शनिवार, 19 दिसंबर 2015

हेराल्‍ड केस: सोनिया-राहुल गांधी को 5 मिनट में मिली बेल

  हेराल्‍ड केस: सोनिया-राहुल गांधी को 5 मिनट में मिली बेल
कोर्ट से बाहर आते ही मोदी सरकार पर किए चुन-चुनकर हमले
सोनिया ही नहीं, इंदिरा गांधी से भी टकरा चुके हैं सुब्रमण्‍यम स्‍वामी

       जब भी भारत और भारतीय राजनीती की बात की जाती है . गाँधी परिवार के नाम का जिक्र सबसे पहले किया जाता है ! “ आज़ादी के पहले से , आज़ादी के बाद तक “ आदम साहस और आत्मविश्वास के लिए-  इस बात का गवाह वर्तमान में स्वयं इतिहास और उसके पन्ने है और आज एक बार फिर इतिहास में गाँधी परिवार का नाम जुड़ भविष्य में पलटे जाने वाले पन्नो में जुड़ गया है .

दरअसल  नेशनल हेराल्ड केस में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी आरोपियों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी है। अदालत ने 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत प्रदान की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई आगामी 20 फरवरी को दोपहर 2 बजे मुकर्रर की गई है।यह मामला सुब्रमण्यम स्वामी की निजी आपराधिक शिकायत पर आधारित है जिसमें इन पर धोखधड़ी, साजिश और आपराधिक विश्वाघात का आरोप लगाए गए हैं। बीजेपी नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने अदालत से अपील की थी कि सोनिया और राहुल के विदेश जाने पर रोक लगाई जाए, जिसके बाद सोनिया गाँधी का ब्यान भी आया था कि कोई हमे डरा नहीं सकता .


‘ दोस्त - दोस्त न रहा
     आपको बता दें कि सोनिया-राहुल गांधी खिलाफ नेशनल हेराल्‍ड मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले सुब्रमण्‍यम स्‍वामी एक जमाने में राजीव गांधी के करीबी दोस्‍त हुआ करते थे। ये वही स्‍वामी हैं,जिन्‍होंने बोफोर्स कांड के वक्‍त खुलकर राजीव गांधी का पक्ष लिया था। स्‍वामी ने सदन में खुलकर कहा था कि राजीव गांधी ने पैसा नहीं लिया है। एक इंटरव्यू में उन्‍होंने खुद इस बात को स्‍वीकार किया था कि राजीव गांधी और वह घंटों साथ रहा करते थे।

आयरन लेडी इंदिरा गांधी से टकरा गए थे स्‍वामी   
सुब्रमण्‍यम स्वामी को गंवानी पड़ी थी नौकरी
  गाँधी परिवार के खिलाफ हुए स्वामी

              एक जमाना वो भी था, जब स्‍वामी आयरन लेडी इंदिरा गांधी से टकरा गए थे और कोर्ट से जीतकर भी आए थे। सुब्रमण्‍यम स्‍वामी के पिता सीताराम सुब्रमण्यम जाने-माने गणितज्ञ थे। सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने आईआईटी के सेमिनारों में पंचवर्षीय योजनाओं का खुलकर विरोध भी किया। उन्‍होंने विदेशी पूंजी निवेश पर निर्भरता को भी भारत के लिए नुकसान दायक बताया। उनका दावा था कि भारत इसके बिना भी ऊंची विकास दर हासिल कर सकता है। इंदिरा गांधी की नाराजगी के चलते सुब्रमण्‍यम स्वामी को दिसंबर 1972 में आईआईटी दिल्ली की नौकरी गंवानी पड़ी थी। वह इसके खिलाफ अदालत गए और 1991 में अदालत का फैसला स्वामी के पक्ष में आया। वे एक दिन के लिए आईआईटी गए और फिर पद से इस्तीफा दे दिया था। नानाजी देशमुख ने स्वामी को जनसंघ की ओर से राज्यसभा में 1974 में भेजा था। आपातकाल के 19 महीने के दौर में सरकार उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी थी। इस दौरान उन्होंने अमेरिका से भारत आकर संसद सत्र में हिस्सा भी ले लिया और वहां से फिर गायब भी हो गए थे। 1977 में जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे थे। 1990 के बाद वे जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। 11 अगस्त, 2013 को उन्होंने अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया। इसके बाद वह हमेशा गांधी परिवार के खिलाफ ही नजर आए।
और आज भी स्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और उपाध्यक्ष राहुल गाँधी को कोर्ट में पहुँच दिया . लेकिन सोनिया गाँधी ने जीत हासिल की .

सुनवाई के दौरान अदालत परिसर बंद किया गया
सुनवाई के दौरान अदालत परिसर को सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया था। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मोतीलाल वोरा, मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, प्रियंका गांधी, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शीला दीक्षित के अलावा अन्‍य भी अदालत पहुंचे थे।

हम जारी रखेंगे अपनी लड़ाई
नहीं कर सकते सिद्धांतों से समझौता
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, क्‍योंकि हम सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते।

बेवजह हाइप क्रिएट किया गया केस , कोर्ट ने बिना शर्त दे दी बेल
कांग्रेस नेता और जाने-माने वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि हम कल से कह रहे थे कि इस केस में बेवजह हाइप क्रिएट न की जाए। कोर्ट ने बिना शर्त के बेल दी है। सैम पित्रोदा को जज ने छूट दी है, क्योंकि वे कान के ऑपरेशन की वजह से आए नहीं हैं।

गुलाम नबी आजाद के घर हुई बैठक
कांग्रेस मुख्‍यालय पर समर्थकों का जमावड़ा, पार्टी नेताओं की बैठक
कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं की कोर्ट में पेशी से पहले और बाद में कांग्रेस दफ्तर के अंदर और बाहर में काफी गहमागहमी का माहौल रहा। दिल्ली के अकबर रोड पर कांग्रेस मुख्यालय के बाहर समर्थकों का जमावड़ा रहा। लोग सोनिया और राहुल के समर्थन में नारे लगाते रहे। इनके हाथों में कांग्रेस का झंडा और बैनर-पोस्टर थे। यहां सुरक्षा के लिए पुख़्ता इंतज़ाम किए गए। वहीं, देश के अन्‍य शहर भोपाल और मुंबई में भी कांग्रेस समर्थकों ने प्रदर्शन किया।



सोनिया और राहुल को 50-50 हजार के मुचलके पर मिली बेल
जमानत के बाद केंद्र पर वार
बोली सोनिया साफ़ मन से हुए हम कोर्ट में पेश
जूठे इलज़ाम लगवाते है मोदी बोले राहुल

      जमानत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि हम कोर्ट के सामने साफ मन से पेश हुए। उन्होंने कहा कि देश का कानून सबके लिए बराबर है। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार सरकारी एजेंसियों का विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है, लेकिन हम उनसे डरने वाले नहीं हैं।

वहीं राहुल गांधी ने कहा कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं।  मोदी झूठे इल्जाम लगवाते हैं। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं.

फिलहाल नेशनल हेराल्ड केस पटियाला हॉउस कोर्ट ने नए साल के दुसरे महिना की 20 तारीख तय कर दी है . अब गाँधी परिवार के लिए  साल 2016 कैसा रहेगा ये तो भविष्य और वक्त ही तय करेगा!


 mediasunil1@gmail.com
sunil k himachali


गुरुवार, 5 नवंबर 2015

आस्था से जुड़ी मिट्टी

आस्था से जुड़ी  मिट्टी 
दीपावली आने वाली है -हमारी सांस्कृतिक व्यवसाय शुरू हो गया है। मीट्टी के दीपक बनाने का काम रात दिन चल रहा है। वर्तमान में साफ़ झलकता है की मिटटी हमारी आस्था से कितनी जुडी हुई है।  जब मिटटी से दीपक बनाने वाले कामगारों को मेहनत करते हुए देखा आपको बता दें की  -  दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावलीको आदि  दो अल्फ़ाज़ में  सन्धिविच्छेद किया जाए (दीप +आवली )और आवली का मतलब है पंक्ति यानि दीपों की पंक्ति दीपावली ।  इस  दीपों की पंक्ति को  दीपोत्सव भी कहते हैं लेकिन आधुनिकता की दौड़ में दीपावली के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण दीपक और श्रीलक्ष्मी - श्रीगणेश की मूर्तियाँ गढऩे वाले कुम्हार अपने घरों को रोशन करने से वंचित हैं और अपनी पुस्तैनी कला एवं व्यवसाय से जैसे विमुख हो रहे हैं। कभी उत्सवों की शान समझे जाने वाले दीपों का व्यवसाय आज संकट के दौर से गुजर रहा है और दीपावली में रोशनी करने वाले मिट्टी के कारीगर आज दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं.

पुस्तैनी कारोबार पर छा रहा अँधेरा 
 करवा चौथ हो या अहोई अष्टमी, दीपावली हो अथवा कोई अन्य त्योहार, ये कुम्हारों के चाक और बर्तनों के बिना पूरे नहीं होते. कुम्हार के चाक से बने खास दीपक दीपावली में चार चांद लगाते हैं लेकिन बदलती जीवन शैली और आधुनिक परिवेश में मिट्टी को आकार देने वाला कुम्हार आज उपेक्षा का दंश झेल रहा है. बाजारों में चाइनीज झालरों की धमक ने मिट्टी के दीपक की रोशनी को फीका करना शुरु कर दिया है। सदियों से मिटटी के बनाये गए दीपक को घरों में जलाकर हम दीपावली मनाते चले आ रहे है, लेकिन आज के समय बाजार मे आये चीन के दीपकों ने मिटटी के दियों की महक को छीन लिया है। जिसके चलते कुम्हार बदहाल हुए जा रहे हैं। मंहगाई और मरता हुआ व्यापार कहीं कुम्हारों को कहानी न बना दे। आधुनिकता की मार दीपावली में घर घर प्रकाश से जगमगा देने वाले दीप बनाने वाले कुम्हारों के घरो पर भी पड़ी है। जिस कारण दीप बनाने वाले स्वयं दीप जलाने से वंचित रह जाते हैं और उनके घर अंधेरा ही रहता है। इसे विडबना नहीं तो और क्या कहा जाए कि दीपावली के दिन लोग घरों में जिस लक्ष्मी गणेश की पूजा मूर्तियों और दीपक के जरिए लक्ष्मी के आगमन के लिए करते हैं। उसे गढऩे वाले कुम्हारों से ही वह कोसो दूर है। आधुनिकता के दौर में पूजा आदि के आयोजनों पर प्रसाद वितरण के लिए इस्तेमाल होने वाली मिट्टी के प्याले, कुल्हड़ एवं भोज में पानी के लिए मिट्टी के ग्लास आदि भी प्रचालन अब नहीं रहा, इसकी जगह अब प्लास्टिक ने ले ली है। पारंपरिक दीप की जगह मोमबत्ती एवं बिजली के रंज बिरंगे बल्बों ने ले ली है।

मिटटी में मिटटी  हो रहा जिस्म : सदरुद्दीन 
चंडीगढ़ निवासी कुम्हार सदरुद्दीन बताते हैं कि सुबह से रात तक जिस्म मिटटी में  मिटटी हो जाता है।  जब दीये की खरीददारी करने वाले ही कम रह गए हैं तो ज्यादा बनाने से क्या फायदा. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक चायनीज दीये की मांग हर साल बढती ही जा रही है. दो जून की रोटी के लिए कड़ी धूप में मेहनत करने वाले कुम्हार का परिवार मिट्टी के व्यवसाय में महीनों .लगा रहता है उसके बावजूद न तो उसे वाजिब दाम मिलते हैं और न ही खरीददार. समय की मार और मंहगाई के चलते लोग अब मिट्टी के दीये उतने पसंद नहीं करते. चीन में निर्मित बिजली से जलने वाले दीये और मोमबत्ती दीपावली के त्योहार पर शगुन के रुप में टिमटिमाते नजर आते हैं.

ग्राहक को तरस रहा कुम्हार 
मिट्टी के व्यवसाय से जुड़ी  70 वर्षीय मंगी देवी  का कहना है कि अब मिट्टी के दीप का जमाना गया. कभी दीपावली पर्व से एक महीने पहले मोहल्लों में रौनक हो जाती थी और कुम्हारों में भी यह होड़ रहती थी कि कौन कितनी कमाई करेगा लेकिन अब तो खरीददार ही नजर नहीं आते.

बरसों से मिट्टी के बर्तन बेचकर पेट पालने वाले छोटेलाल का कहना है, "महंगाई की मार से मिट्टी भी अछूती नहीं रही, कच्चा माल भी महंगा हो गया है. दिन रात मेहनत के बाद हमें मजदूरी के रुप में अस्सी से 100 रुपये की कमाई हो पाती है. इससे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता."

कहानी न बन जाए 'एक था कुम्हार'

 आने वाले समय में ऐसा दिन ना आ जाए जब कभी हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को कहानी सुनानी पड़े की, एक था कुम्हार। जिस तरह से कुम्हार के जीवन यापन करने वाले बाजार पर चीन जैसे दीपक हावी होते जा रहे हैं। उससे तो यही लगता है की शायद कुम्हार का घूमता हुआ चाक रुक जाएगा और कुम्हार सिर्फ कहानियो मे ही सुनने को मिलेंगे। हाडतोड़ मेहनत के बाद दीये बनाने बाले कुम्हार फुटपाथ पर दूकान लगाकर जहां बाजार मे एक एक ग्राहक को तरस रहा है, वहीँ चाईनीज दीपकों की बिक्री हाथों हाथ हो जाती है। दीपावली असत्य पर सत्य की जीत सहित रौशनी का भी त्यौहार है, लेकिन एक सत्य यह भी है की हमारी माटी की महक पर चाईनीज भारी पड़ गए। जिसके चलते आने वाले दिनों मे हजारों कुम्हारों के घरों मे दीपक क्या चूल्हे भी नहीं जल पायेंगे।


pm मोदी ने कहा-इस दिवाली मिट्‌टी के दीपक जलाएं
प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में लोगों से अपील की  कि वे इस दिवाली पर मिट्टी के दीपक का उपयोग करें जिससे गरीब कुम्हारों के घरों में समृद्धि आए। उन्होंने यह अपील अलवर के पवन आचार्य द्वारा दिए गए सुझाव पर की। आचार्य ने मोदी के 12वें रेडियो कार्यक्रम में अपनी बात रखी। 

आपसे अनुरोध - 
 साँझ समुदाय की आराफ से आप सभी से अनुरोध है कि इस दीपावली पर कुम्हारों द्वारा बनाये जा रहे भारतीय परम्परा के मिटटी के दिये और उनके बनाये गए मिट्टी के खिलौने अवश्य खरीदें और हाँ, खरीदते समय किसी प्रकार का मोल-भाव न करें, नहीं तो तब आप के आगे आने वाली पीढ़ी को यह दीप, खिलौने बनाने वाले नहीं दिखेंगे। इस काम में काफी श्रम लगता है और मुनाफा कम है लेकिन इनमें भारतीय परम्परा को जि़ंदा रखने का जूनून है...इस जुनून में आप भी अपने भारतीय होने की भूमिका अवश्य निभायें। दीपावली में मिट्टी के दीप अवश्य जलाएँ...क्योंकि आप चीन से बने दीये खरीदने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे...चीन का सामान कम से कम खरीदें जिससे आप भारत के गरीबों द्वारा बनाये गए सामान खरीदने का पैसा बचा सके।

सोमवार, 19 अक्टूबर 2015

रूह-ए-कलम

रूह-ए-कलम 
आज फिर सूरज और चाँद
बिना दिलासा दिए ही चले गए 
मेरे चाहने वाले ज़ख्मों का
 खुलासा किये बिना चले गए। 
नहीं दिलाया उन्होंने 
दबे दर्द का एहसास 
नहीं बुझाई 
तुम्हारा नाम ले ले कर  मेरी प्यास । 
तभी शायद खाली पन्ने है किताब के 
और जेब भर के आशा
नहीं आई अब तक मुझे
प्यार की समझ भाषा। 
मेरी ख़ामोशी में छुपा है वो सब
जो तुम जानती हो तब से 
जब से मुझे अपना मानती हो .
तभी कहा कि
कुछ न लिखूं तो चलेगा
तुम्हारी ही जिद्द थी 
आज एक और पन्ना फिर भरेगा। 
रूह-ए-कलम का क्या है 
जब तक ज़िंदा हूँ 
यूँ ही तेरी याद में 'सुनील' 
लिखता रहेगा , ये चलेगा !

Roc-A-Pen

Roc-A-Pen
Today, the sun and the moon
The same went without console
My fans Wounds
 Without revealing moved.
He made no
Buried feeling of pain
Not quenched
Take your name my thirst.
It is probably the book of blank pages
And a pocketful of hope
So far I have not seen
Understanding the language of love.
All that is hidden in my silence
Since then, you know
Since I have my considered.
Then the
So do not write anything
You had the stubbornness
Then fill another page today.
Roc-A-Pen's
Unless'm alive
Simply in your mind 'Sunil'
Will write, they will!

रूह-ए-कलम

रूह-ए-कलम

आज भी गुजारिश है
न कोई सिफारिश है
मरकर भी ज़िंदा रहूँ
यही दिल की खबाहिश है।

भूलना तो चाहता हूँ
लेकिन भूल नहीं पाता
हरे हैं भरे नहीं जख़्म
यही है दुनिया से नाता

चंद लम्हे पहले ही
हुई थी मुलाकात
रूह- ए- कलम से
जब बैठा था महखाने में

छोड़ कर चल दिया जाम
उसी बहाने से
कोई फर्क पड़ता नही 'सुनील'
ज़िंदा रहूँ या मौत को गले लगाऊं
 इस ज़माने में।

Roc-A-Pen

Roc-A-Pen

Today is also requested
No recommendation
Perishes stay alive
That heart is HOPE.

Do you want
But does not forget
Green is packed wound
That belongs to the world

A few moments ago
There was a meeting
Roc e-pen
When seated in Mahkhane

Drinks were on leave
The same excuses
It does not matter, 'Sunil'
Sitting down and asking to stay alive or died
  In this day and age.

रूह -ए-कलम

रूह -ए-कलम
अगर आज कुछ ना लिखूं
तो समझ जाओगी
कि शब्द हर रोज़ की तरह
आज भी कम हैं
जुबां है याद से सूखी
और आँखें नम हैं।
अगर आज कहूँ
कि कशमकश अब भी ज़ारी है
 तुम्हारी दी हुई कलम
आज भी डायरी के बीच संभाली है।
रूह -ए-कलम की तिजोरी में
अकेले लम्हों की चोरी में
क्या तुम मान जाओगी
'सुनील' को
इतनी भीड़ में पहचान पाओगी। 

Roc-A-Pen

Roc-A-Pen
If not write something today
So will understand
Like the word everyday
Today they are less
Remember lips dry
And eyes are moist.
If today say
The dilemma now is continued
  You had given pen
Today, the people have taken over.
Roc-A-Pen's vault
Moments alone in theft
You will feel
'Sunil' the
Be able to identify in a crowd.

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015

miss you my cool heart

From morning to evening is
Miss you every moment
By talking through the night are two moments
enough ! That is life now
The moon is the morning after sunset
But do not understand
The sun was setting, the waning moon
Did you remember why

तेरी याद क्यों आती है

सुबह से शाम हो जाती है
हर पल तेरी याद आती है
दो पल बात करके फिर रात गुज़र जाती है
बस ! यही ज़िंदगी है अब
चाँद ढलने के बाद फिर सुबह हो जाती है
पर समझ नहीं आता
ढलते सूरज से डूबते चाँद तक तेरी याद क्यों आती है 

रूह - ए - कलम

रूह - ए - कलम
कोई आशा नहीं है 
अब इस जग से। 
पर्वत की तरह 
गरूर में खड़ा है हर कोई।  
झुकना नहीं आता किसी को 
नफरत से भरा है हर कोई। 
" सबका रामबाण यहां एक ही इलाज़ 
जिसके पास पैसा उसके बने काज़ "
बिक रहा है आज भगवान भी 
दर्शन करने के लिए भी बन रहे 'पास'
फिर भी न जाने क्यों ' दिल निराश '
जो है लाइन में खड़ा उसके चेहरे पर उल्लास। 
न कोई दर्द - न कोई पीड़ा 
फिर भी टुटा रहा विश्वास। 
सुनील है जो ये 'रूह--ए- कलम'
अब तो यही है एक आश। 

Roc - A - pen

Roc - A - pen

There is no hope
Now the world.
Like Mount
Everyone stands in proud.
Do not bow to anyone
Everyone is full of hate.

"All the same treatment panacea
Which made her the money work "

God is selling today
The vision for becoming "VIP tickets"
Yet somehow the "heart frustrated '
Which is lined glee on his face.

No pain - no pain
Still Paradise Lost Faith.
Sunil, who these 'Roc - A-pen'
This is now a hope.

बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

रूह - ए - कलम

रूह - ए - कलम

कोई आशा नहीं है
अब इस जग से।
पर्वत की तरह
गरूर में खड़ा है हर कोई।

झुकना नहीं आता किसी को
नफरत से भरा है हर कोई।
सबका रामबाण यहां एक ही इलाज़
जिसके पास पैसा उसके बने काज़।

बिक रहा है आज भगवान भी
दर्शन करने के लिए भी बन रहे 'पास'
फिर भी न जाने क्यों ' दिल निराश '
जो है लाइन में खड़ा उसके चेहरे पर उल्लास।

न कोई दर्द - न कोई पीड़ा
फिर भी टुटा रहा विश्वास।
सुनील है जो ये 'रूह--ए- कलम'
अब तो यही है एक आश।



Roc - A - pen

Roc - A - pen
What can I do? Jag's all your own so
Yet why seeking no recourse,
Sky thinking, be your
Wings without air support -
I wish the whole world is walking,,
What can I do? There are limitations
So I want to embrace
Who live across its
To cross the barbed wires
May not be their gateway
'Sunil' change time
With the changing pages
  Spirit will also justice
Pilar! Running just wait
Like the resort to pen the pages.

रूह - ए - कलम

रूह - ए - कलम
क्या करूँ ! अपना ही तो है जग सारा
फिर भी क्यों तलाशूं कोई सहारा ,
आसमान सी हो सोच अपनी
बिना पंख हवा के सहारे -
घूमना चाहूँ जग सारा  ,,
क्या करूँ ! सीमाएं है -बाधाएं हैं
गले मिलना तो चाहूँ
जो रहते है अपने उस पार
कंटीली तारों को लाँघ कर
जा नहीं सकता उनके द्वार
'सुनील' बदलेगा वक़्त
बदलते पन्नो के साथ
 रूह को भी मिलेगा इन्साफ  
वस ! चल अभी इंतज़ार करें
कलम की तरह जिसे पन्नो का सहारा।  

हड़तालों का देश

हड़तालों का देश 

बड़ी ख़ामोशी से देखता हूँ दुनिया को 
कोई कसर नहीं छोड़ी है.
मसला कोई भी हो  
हर मुद्दे पर एक ही बात छेड़ी है ,
हड़ताल , विरोध ने हर राह है घेरी। 

मौका परस्तों को भी मौका मिला 
शुरू कर दिया वाह-वाही लूटने का शिलशिला 
नेता लोग भी बीच मैदान में आए 
गले लग- हमदर्दी दिखाए ,

बैठ होते है सुनील जैसे भी 
बीच झुंड में नारे लगाए 
करके वक़्त बर्बाद 
लौट बंधू घर को आए। 
पूछ लिया घर वालों ने -
कहाँ जाकर कुर्ते फ़ड़वाए 
लेकर नहीं ?
दो गुना बर्बाद करके हो आए। 
न काम पर गए - न कुछ जीत के आए। 

अरे ! किया होता बैठ के चिंतन थोड़ा -
हल हो जाता मसला सारा ,
मज़बूर हैं जो अब तक  समझ न पाए 
हल नहीं हड़तालों से
"हड़ताली देश के नागरिक "
हम न बन जाए  
सोचों समझों फिर कदम उठाओ 
हर कदम अन्ना जी की ओर न ले जाओ। 

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015

WhatsApp out ahead in terms of popularity of Facebook


लोकप्रियता के मामले में फेसबुक से आगे निकला व्हाट्सएप्प
 रिपोर्ट के अनुसार भारत में फेसबुक सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट बनी हुई है और 51 प्रतिशत यूजर्स रोजाना इसे देखते हैं जबकि तुरंत मैसेज IM (instant messaging) भेजने वाले ऐप में व्हाट्सएप सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.वैश्विक अनुसंधान परामर्श फर्म (टीएनएस) की रिपोर्ट ‘कनेक्टेड लाईफ’ में यह बात सामने निकल कर आयी. यह सर्वे 50 देशों में 60,500 इंटरनेट यूजर्स पर किया गया है. और इनमें से 55 प्रतिशत यूजर्स हर दिन व्हाट्सएप जैसे दूसरे ऐप इस्तेमाल करते हैं.टीएनएस ने अपने बयान में कहा भारत में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों में 51 प्रतिशत यूजर्स के साथ फेसबुक का दबदबा कायम है. वहीं 56 प्रतिशत यूजर्स के साथ तुरंत मैसेजिंग ऐप में व्हाट्सएप यूजर्स की पहली पसंद है.टीएनएस इंडिया के कार्यकारी निदेशक परिजात च्रकवर्ती ने कहा, भारत में सोशल नेटवर्किंग बाजार फेसबुक केंद्रित है जो कि फेसबुक मैसेंजर को अपनाने को भी प्रोत्साहित कर रहा है. व्हाट्सएप अब तक भारत में सबसे लोकप्रिय IM(instant messaging) प्लेटफार्म है.भारत के अलावा इन देशों में फेसबुक यूजर्स का प्रतिशत कही ज्यादा है, थाईलैंड में 78 प्रतिशत, ताइवान में 75 प्रतिशत, हांगकांग में 72 प्रतिशत लोग फेसबुक यूज करते हैं.रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा फेसबुक यूजर हैं. विश्व भर में फेसबुक के 1.49 बिलियन यूजर हैं. भारत में 125 मिलियन लोग फेसबुक पर हैं.


इस तरह शुरू हुई थी WhatsApp की कहानी!
दो दोस्तों ने यह सोचकर नौकरी छोड़ दी कि अपना कोई काम किया जाए, लेकिन जब बात नहीं बनी तो दोनों ने दुबारा नौकरी ज्वाइन कर ली। हालांकि दोनों ने कुछ अलग करने की अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी। इसके बाद उन्होंने कुछ प्रयोग किए और देखते ही देखते उनका काम लोकप्रिय होने लगा। बाजार में उसकी कीमत अरबों डॉलर की हो गई और फेसबुक जैसे लोकप्रिय ब्रांड को उसे खरीदने का प्रस्ताव भेजना पड़ा।



यहां बात हो रही है व्हाट्सप्प की, जिसे जां कॉम और ब्रायन ऐक्टन नाम के दो दोस्तों ने तैयार किया है। आज आपके फोन में मौजूद व्हाट्सप्प का सफर इसके को-फाउंडर जां कॉम की जिंदगी के शुरुआती दिनों से शुरू होता है। जां कॉम अपने दोस्त ऐक्टन के साथ एक कॉफी शॉप में बैठकर बात करते रहे थे कि तभी दोनों ने सोचा कि यह कितना कूल होगा कि एक एप्प का स्टेटस यह बताए कि आप क्या कर रहे हो। जैसे आप फोन पर हो, बैटरी लो है, जिम में हूं। व्हाट्सप्प का नाम रखे जाने में कोई लिस्ट नहीं थी। कॉम ने एक बार में ही यह नाम सोच कर तय कर लिया था। 

इसके बाद कॉम एप्प की कोडिंग पर काम करने लगे। उन्होंने दुनियाभर के मोबाइल में इस एप्प को सिंक करने की कोशिश की, शुरुआत में व्हाट्सप्प लगातार क्रैश या हैंग होता रहा। फिर उन्होंने कुछ नोट्स बनाए कि कहां-कहां दिक्कते आ रही हैं। इसके बाद कॉम और ऐक्टन ने एक छोटा सा ऑफिस खोला जहां कुछ लोग मिलकर काम करते रहे। 2009 में बनाए गए वाट्स ऐप में खास बात यह थी कि यह मोबाइल नंबर से लॉग इन होता था। वॉट्स एप्प की लॉन्चिंग बेहद चुपचाप तरीको से हुई थी और 2013 में व्हाट्सप्प ने सारी चैट एप्स को मात देते अपने साथ 200 मिलियन यानी 20 करोड़ यूजर जोड़ लिए। अब यह ऐप अमरीका के टॉप 20 एप्प में शामिल हो गया है।

2 घंटे यहाँ बिताते है जनाव !
उत्तर भारत में लोग रोजाना करीब 2 घंटे का समय व्हाट्सप्प पर बिताते हैं।जब सांझी खबर की टीम द्वारा इस विषय पर उत्तर भारत की ब्यूटीफुल सिटी चंडीगढ़ में व्हाट्सप्प यूजर्स से पूछा गया तब जाँच में पाया गया की , भारतीय उपभोक्ता अपने मोबाईल फोन पर प्रतिदिन औसतन दो घंटे बिताते हैं, और 25 प्रतिशत उपभोक्ता अपने फोन दिन में 100 से अधिक मर्तबा चेक करते हैं।और फेसबुक के प्रति रुझान  कम हो गया है। 

ब्यूटीफुल सिटी चंडीगढ़ में दिल्ली ,यूपी ,बिहार ,राजस्थान ,हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लोगों से इस विषय (व्हाट्सप्प )पर सवाल किए गए :



Q.क्या आप व्हाट्सप्प  यूज़ करते हो और दिन में कितना समय बिताते हो?
दिल्ली से आए एक परिवार ने बताया की हम सभी नौकरी करने वाले है और दिन में  दो घंटे या उससे अधिक समय तक व्हाट्सप्प  इस्तेमाल में लाया जाता है। क्यूंकि कुछ काम अब इसी से आसान हो गए है अगर घरवाली कोई सामान मंगवाए तो वो भी इसी पर टेक्स्ट कर देतीहै।और यही कहना था चंडीगढ़ से अधिकतर लोगों का जो ऑफिस में काम करते हैं। ऑफिस में बिज़ी रहने वाले व्हाट्सऐप उपभोक्ताओं ने बताया की हमारे बीच कई ऐसे ग्रुप भी बनाए गए है। जिसके जरिए हम सूचनाओं का आदान प्रदान भी कर पाते हैं और ऑफिस का काम भी इसी से हो जाता है.साथ ही फन मस्ती का भी ये एक विशेष हिस्सा बन गया है लेकिन काम में व्यस्त होने के चलते ज्यादा समय तो नहीं निकाल पाते लेकिन जब भी मौका मिले चेक जरूर करते है। 
 साथ ही जब इसी बारे में गृहणियों से बात की गई तब उन्होंने बताया की व्हाट्सप्प के इस्तेमाल से हम हरेक रिश्तेदार और दोस्त की खबर रहती जिनसे पहले कई दोनों तक बात नहीं हो पाती थी ,अब उनसे जब भी मौका मिलता है बात होती रहती है। और व्हाट्सऐप पर फैमली के दोस्तों के ग्रुप बने हैं ,घर के काम से साथ साथ उनके साथ भी वक़्त बातें करते बीत जाता है और समय का पता ही नहीं चलता। 
  और हमारा विशेष वर्ग युवा वर्ग जो घर से बाहर रहता है पीजी या हॉस्टल में। उनका कहना है की दिन का ज्यादा से ज्यादा वक़्त व्हेस्टप्प पर ही बिताया जाता है.जब भी क्लास ख़त्म होती है या जब भी पीजी में अकेले होते है दोस्तों से इसी के जरिए बात की जाती है। और समय का अंदाजा लगाना मुश्किल है क्यूंकि लगातार 4 से 6 घण्टे भी अपने दोस्त से इसी पर बात की जाती है। और इन सभी ने एक बात तो स्पष्ट कर दी की व्हाट्सप्प के आने के बाद और उसके चलन के बाद अब फेसबुक या फोनकाल काम की जाती है। 

Q.मोबाइल फ़ोन का खर्च कितन काम हुआ ?
ऑफिस में काम करने वाले हर व्यक्ति ने यही कहा की व्हाट्सऐप हो या कुछ भी लेकिन हमारे फोन बिल अभी भी उतने ही आते है जितने पहले हाँ 5 -10 प्रतिशत कम हो भी जाते है कई बार क्यूंकि जब कोई हमारा फोन न उठाए तो व्हाट्सऐप पर उसको मैसेज छोड़ दिया जाता है। जोकि बहुत बड़ा फायदा है। 
वहीँ गृहणियों का कहना है की 50 प्रतिशत तक का तो फोन बिल कम हुआ है क्यूंकि आजकल ज्यादातर वक़्त इसी पर गुजरता है। जो खर्च मोबाइल फोन पर पहले २५०० ,3000 हज़ार तक का हो जाता है वे अब एक हज़ार 1200  -1500 तक का आता है। 

वहीँ जब पीजी या होस्टलर से इस सवाल का जबाब पूछा गया तब उन्होंने कहा की एक माह के एंड तक कई बार पॉकेट मनी भी ख़त्म हो जाती थी लेकिन व्हॉटप का इस्तेमाल करने के बाद काफी खर्चा कम हो गया है क्यूंकि दोस्तों से हर पर काफी बातचीत हुआ करती थी और अब व्हाट्सप्प ने सब काम आसान कर दिया है। अगर किसी फ्रैंड्स को या किसी को ही कोई डॉक्युमेंट्स फाइल या कुछ भी भेजना है सब इसी से हो जाता है।


एक सिक्के के दो पहलु -:
     मोबाइल फोन मैसेजिंग एप व्हाट्सएप के बहुत से फायदें हैं, लेकिन गौरतलब है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। व्हाट्सएप के साथ भी कुछ ऎसा ही है, क्योंकि इसके फायदों के साथ-साथ कुछ ऎसे नुकसान भी है जिन्हे जान लें तो बेहतर है। दिल्ली की एक मोतरमा जो किए एक गृहणी है उन्होंने बताया की डॉक्टर ने उन्हें व्हाट्सऐप पर टाइपिंग ही नहीं ,सिंगल टेक्स्ट भी टाइप करने के लिए मना किया है , उनके मुताबिक वॉट्सऐप से होने वाली बीमारी ‘वॉट्सऐपिटाइटिस’ से वह पीड़ित है।महिला ने बताया कि उसको कुछ दिन पहले कलाई में अचानक दर्द होने लगा। उंगलियों की नसों में सूजन भी आ गई थी। पूछताछ से पता चला कि और जब डॉक्टर ने बताया स्मार्टफोन से वॉट्सऐप का प्रयोग किया और लगातार 6 से 8  घंटे तक मैसेज रोजाना भेजने पर यह सब हुआ।  मैसेज भेजने के लिए महिला ने अंगूठों का भी इस्तेमाल किया। जांच-पड़ताल के बाद डॉक्टरों ने महिला की बीमारी को ‘वॉट्सऐपिटाइटिस’ बताया।वहीँ महिला ने बताया की ज्यादातर वे एक हाथ से चैटिंग करती थी जिसकी बजह से उसके एक हाथ के अंगूठे की नशों में अभी भी सोजिश है और उससे कोई काम नहीं होता। 

     वहीँ जब युवा वर्ग और वरिष्ठ छात्रों से जब इस बात की जानकारी ली गई वह दिन में कितना समय व्हाट्सप्प पर बिताते हैं और उनको इसका कोई दुष्प्रभाव नज़र आता हैं ,तब उन्होंने अधिकतर ने बताया की वे रोजाना 15 से 18 घंटे तक व्हाट्सऐप का प्रयोग करते है और उनका अब फेसबुक की तरफ रुझान काम हो गया है ,क्यूंकि उस इस पर बोलकर ,लिखकर और वीडियो क्लिपिंग के जरिए अपने दोस्तों से चैटिंग की जाती है ,और जो भी फ्रेंड्स ने ग्रुप बनाए है उसमें सब मिलकर बड़े आराम से बातचीत करते है। और स्टडी करते वक़्त भी बड़े आराम से इसका इस्तेमाल हो जाता है ,इनमे से अधिकतर युवा वर्ग ने बताया की रात के 12 या 1  तो बढ़े आराम से बज जाते है और उसका पता ही नहीं चलता है. और सबसे ख़ास बात यह कि इसके इस्तेमाल से फोन का बिल भी काम आता है। 
  लेकिन जब हरियाणा और पंजाब से माध्यम और उच्च स्तर से छात्रों से इस बारे में बात  की गई तब उन्होंने बताया की मुश्किल से एक या दो घंटे ही निकल पते है व्हाट्सऐप के लिए क्यूंकि इतना टाइम ही नहीं होता। वैसे भी सारा दिन दोस्तों के साथ स्कूल और ट्यूशन में होते ही हैं लेकिन शाम को या रात को थोड़ा सा वक़्त इसके जरिए रिश्तेदारों से बातचीत करने के लिए मिल जाता है और थोड़ी से मस्ती भी हो जाती है। लेकिन कहीं न कहीं स्टडी पर इसका असर पड़ता है।

वहीँ हरियाणा की छात्राओं ने विशेष तौर पर बताया की यहाँ लड़कियों पर जो पहले पाबंदी लगाईं जाती है वह अब नहीं है ,क्यूंकि अब हम बड़ी आसानी ने सोशल नेटवर्किंग पर जुड़े हुए है और जिससे हम सामजिक गतिविधियों से भी जुड़ सकते है और हमारी पढ़ाई में भी इससे मदद मिलती है।

व्हाट्सप्प सम्बन्धी सुझाव -:
अगर आपको वाट्सएप द्वारा जनित इस रोग से बचना हैं तो नीचे दिए गए इन टिप्स को अपनाएं ताकि आप इस रोग से बच सकें। सबसे पहले तो आपको लगातार कई घंटे तक मोबाइल का प्रयोग नही करना होगा।

अगर आप लगातार मैसेज टाइप करें तो कुछ समय का ब्रेक जरूर लें। मोबाइल हमेशा हाथ में लेकर खिटर पिटर करने की आदत से बाज आएं और काम आने वाली जानकारियां ही मोबाइल पर पढ़ें।

अमूमन हम कोई काम करने के बाद अपनी उंगलियों को मरोड़ते हैं लेकिन मोबाइल के प्रयोग के बाद उंगलियां चटकाएं नहीं।जब भी आप मोबाइल का इस्तेमाल कर चकें उसके बाद हाथों की एक्सरसाइज करें।

इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि जब आप गर्दन झुकाकर मोबाइल या टेबलेट को देखते हैं तो आप अपनी गर्दन पर 60 पाउंड का भार डालते हैं।

इससे गर्दन के पीछे की हड्डी यानी स्पाइन जा सकती है। इसलिए गर्दन और कमर को सीधे रखकर ही मोबाइल का प्रयोग करें।


सुनील कुमार
mediasunil1@gmail.com

सोमवार, 5 अक्टूबर 2015

कभी लिखता नहीं पर sunil k himachali

कभी लिखता नहीं परपर बिकता रहता हूँतेरी यादों संगमिटता रहता हूँ ...सोचा था यूँ किआएगी और गले लगा लेगीलेकिन पता नहीं थाआशियाना कहीं और बना लेगी..सौंक उसका मेरी समझ नहीं आयाजख्म आज भी है दिल पर लगायालिए फिरता हूँ आज भी साथ हीइसीलिए अकेलेपन को गम नहीं बनाया .

रविवार, 20 सितंबर 2015

रोज़गार का गम प्यार के गम से भी लाख बढ़ा

रोज़गार का गम प्यार के गम से भी लाख बढ़ा

सुनील के. हिमाचली 

आजकल जहाँ राजनीतक नुमाईंदों द्वारा जब कभी भी जनसभा को सम्भोधित किया जाता है ,युवाओं को रोज़गार देने का वादा भी जरूर किया जाता है। और इस बात को हम झुठला नहीं सकते की कश्मे वादे तो सिर्फ प्यार में किए जाते थे लेकिन वर्त्तमान में जो वादे युवाओं से रोज़गार को लेकर किए जाते हैं वे सब अब झूठे लगने लगे है। और इसीलिए आज युवाओं को रोज़गार का गम प्यार के गम से लाख बढ़ा लगता है.और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है हाल ही में -उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय में चपरासियों के 368 पदों पर नियुक्ति के लिए लगभग 23 लाख आवेदन प्राप्त हुए । हर पद के लिए 6 हजार से अधिक आवेदन मिले । इन अभ्यर्थियों में 255 डाक्टरेट (डॉक्टर/पीएचडी डिग्री धारक) हैं। 

चपड़ासी की नौकरी के लिए लाइन में लगे डॉक्टर, इंजीनियर-एमबीए डिग्री होल्डर

सचिवालय में चपरासी पद पर नियुक्ति की न्यूनतम योग्यता पांचवी पास होना है। मगर आवेदकों में 255 पीएचडी उपाधिधारकों के अलावा, डेढ लाख से ऊपर स्नातक और लगभग 25 हजार एमए, एमएसी हैं। प्रदेश सरकार की तरफ से हाल ही में सचिवालय में 5200-20200 रुपये के वेतनमान में चपरासियों के 368 पदों पर नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे गए थे। आयु सीमा 18 से 40 वर्ष और आवेदन करने की अंतिम तिथि 14 सितंबर तय थी।
सचिवालय प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब हमने आवेदनों को वर्गीकृत करना शुरू किया तो हमारी आंखे खुली की खुली रह गईं। 255 आवेदक पीएचडी है, डेढ़ लाख से अधिक स्नातक और लगभग 25 हजार एमए, एमएससी डिग्री धारक हैं, इनमें इंजीनियर और एमबीए भी हैं। अधिकारी ने बताया कि पहले चयन साक्षात्कार के माध्यम से होना था। मगर इतनी बडी संख्या में आए आवेदनों को देखते हुए साक्षात्कार के जरिए चयन में काफी दिन लग जाएंगे।
उन्होंने बताया कि अभ्यर्थियों की भारी संख्या को देखते हुए चयन प्रक्रिया में बदलाव पर विचार हो रहा है और अब छटनी के लिए लिखित परीक्षा भी कराई जाएगी। चपरासियों के पदों पर पीएचडी उपाधिधारी अभ्यर्थियों समेत इतनी बड़ी संख्या में आए आवेदनों से विपक्षी दलों को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका दे दिया है।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार लोगों को रोजगार देने के वादे को पूरा करने में विफल रही है, जबकि तमाम विभागों में बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं। कांग्रेस ने एक बयान जारी करके कहा कि यह आंकड़े सपा सरकार के विकास के दावे की पोल खोलने वाले हैं। रोजगार देने के उसके वादों का क्या हुआ। चपरासी पद पर इतने पढ़े लिखे युवकों का आवेदन यह बताने के लिए पर्याप्त है कि बेरोजगारी का आलम क्या है।

45 फीसदी से कम अंक पाने वाले नहीं बन सकेंगे टीचर: HC

वहीँ अब  इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के उस प्रावधान को वैध और सही ठहराया है, जिसमें कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 72,825 पदों को भरने के लिए आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को न लिया जाए, जिनके प्राप्तांक ग्रेजुएशन में 45 फीसदी से कम हैं।

कोर्ट ने कहा है कि एनसीटीई द्वारा इस प्रकार का प्रतिबंध लगाना सही है, क्योंकि प्राथमिक विद्यालयों में अच्छे अध्यापकों कि नियुक्ति हो, इसके लिए इस प्रकार का प्रतिबंध जरूरी है। एनसीटीई ने 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में टीचर्स कि नियुक्ति के लिए उन्हीं को योग्‍य माना जाए, जिनके ग्रेजुएशन के प्राप्तांक यदि वह अनारक्षित वर्ग के है तो 50 फीसदी और आरक्षित वर्ग के हैं तो 45 फीसदी हो।
याचिकाएं हुई खारिज
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों संतोष कुमार व कई अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दी, जिसमें एनसीटीई द्वारा 45 फीसदी अंक की अनिवार्यता को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि यह नियम गैरकानूनी व असंवैधानिक है। वकील अभिषेक श्रीवास्तव का कहना था कि प्रदेश सरकार ने भी एनसीटीई के इस प्रावधान के अनुसार शासनादेश जारी कर ग्रेजुएशन में 45 व 50 फीसदी अंक पाने को अनिवार्य कर दिया है, जो गलत है।
याचिकाओं में एनसीटीई कि अधिसूचना के अलावा प्रदेश सरकार के शासनादेश को भी चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता के वकील का तर्क था कि जब सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति का आधार टीईटी में प्राप्त अंक ही है तो ग्रेजुएशन में प्राप्त अंक को आधार बनाकर सहायक अध्यापक पदों पर नियुक्ति से वंचित करना गलत है। वकील ने अपने तर्क के समर्थन में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को भी आधार बनाया था, जिसमें एनसीटीई के इस प्रावधान को गलत बताया गया है।

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

jantar mantar sunil k himachali

१४ सितम्बर का  काफी अहम रहा दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर न्यूज़ कवरेज की साथ ही सायं ४ बजे प्रेस क्लुब ऑफ़ इंडिया में हुई पत्रकार वार्ता में देश के कई दिग्गज पत्रकारों के बीच स्वयं मौजूद था
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बुधवार, 2 सितंबर 2015

अलविदा पंजाब sunil k himachal

आज फिर चल दूंगा अपनी ही धुन में
एक नए मेह्खाने की और
सकूं तो आएगा ज्ञात नहीं इस रूह को कब
वस कब्र में दबने से पहले
आशियाना बनाऊंगा अपने ही नाम का मै

रविवार, 23 अगस्त 2015