सोमवार, 10 सितंबर 2018

शादी- उम्मीद जो जरुरी है, क्योंकि National Intrest है भई

 ध्यान से पढ़ना-
हर मां-बाप की बच्चों के बचपन से एक फिक्र और बात -बात पर जिक्र शुरु  हो जाता है. लेकिन 23- 27 साल के ऐज ग्रुप की बात करें तो एक बात हर जुबान पर होती है कि शादी नहीं करनी भई. आपके दोस्त या आप भी कभी -कभी यही बोला करते हो या बोलते थे या बोलोगे. क्योंकि वी आर सो बिजी इन लाइफ, फॉर मेक मनी, एंड ऑल

लेकिन शादी से इतना परहेज क्यों भई, ये तो हमारा नेशनल Intrest है. क्योंकि प्लानिंग  हमारे बचपन से ही शुरु हो जाती है. और रिश्तेदार भी हमसे पूछते हैं - आपको भी याद ही होगा. लेकिन यार इस शादी के लिए इतनी चर्चा बचपन से जब तक हो नहीं जाती . तब तक जारी रहती है.

लेकिन गौर करें हजूर - जहां करने की इच्छा होती है वहां होती नहीं. लेकिन नहीं होती ये भी अच्छा ही है. इसका कारण भी एक बड़ा इंटकस्टींग है. लव , सब अगला पिछला - सब पता होता है गर्लफ्रैंड और बॉयफ्रैंड दोनों को ही. लेकिन हर बार ऐसा ही नहीं होता. चलिए इस  बात को साइड में रहने देते हैं. आज नेशनल कल्चर के बारे में ही बात करते हैं. रिवाज के हिसाब से सब ओके रिपोर्ट है. कोई कहीं कमी नहीं. लेकिन बात यहां खूब जमीं है भई-

जब भी लड़का -लड़की को रिश्तेदार मिलवाते हैं. वी आर कॉल- लडकी को देखने गए हैं, या लड़की को देखने आए हैं, अगर बात ओके रिपोर्ट वाली हुई तो इंडियन रीत के हिसाब से काम चलता है. लेकिन एक बात यहां सब मस्त है कि हमें अपनो के लाड प्यार और एक भरोसे का एहसास पता चलता है कौन हमारी कितनी केयर करता है.

अब जब शादी की डेट फिक्स होती है तो न लड़के को पता होता है कि घर पर क्या चल रहा है , शादी की प्लानिंग को लेकर न ही लड़की को.. मोस्ट ऑफ द टाईम जोकि हमारा नेशनल कल्चर है,.

अब वो बात चो सच है या नहीं- जिसका सिर्फ जिक्र होता है बलि का बकरा तो लड़का होता है लेकिन लड़की की बलि अकसर ले ही ली जाती है. जो आज तक खबरों में पड़ा है. जो अकसर होते देखा भी है. हमारे समाज का नेशनल कलचर---- हम या आप उसे दहेज कहते हैं. वो दानव जो न जाने आज जितना डाटा पढ़ा तो ज्यादा हरियाणा. यूपी दिल्ली में निकल कर आया.. लेकिन आजकल दहेज लेने का तरीका बदल सा गया है. अब कैश में दहेज लिया जाता है.. वाह क्या आइडिया है.

लेकिन अब दहेज का नया रुप भी सामने आने ही वाला है. इसलिए बहु फिर हाजिर हो----
क्यों वो भी बता दिये देते हैं- अब लड़को की हिम्मत तो है नहीं की अच्छी या सरकारी नौकरी पा सकें, बात सरकारी की भी नहीं. लेकिन जिक्र कुछेक लड़को का ही- वो भी उनका जो सारा दिन घर पर रहते हैं या रहेंगे. और बीबी सुबह नाश्ता बनाएगी - जॉब पर जाएगी और शाम को आकर दो बातें रिश्तेदारों की भी सुनेगी,. हां इसके साथ एक और भी किस्सा है- दोनों जॉब पर जाते हैं - खूब कमाते हैं लेकिन एक दूसरे को संयम से वक्त नहीं दे पाते हैं. नतीजन रिश्तों में फिर भी कड़वाहट
दैस्ट अवर नेशनल कल्चर - शादी  से पहले भी, शादी के बाद भी  ये हुई असली एलआईसी
अब इस योजना का आपको मजा कैसे लेने है आप पर डिपेंड करता है. ज्यादा चिंता की बात नहीं, भावनाओं को समझो- प्यार से पत्थर भी पिघल जाता है. बस आध्यात्मिक शक्ति और आपसी प्रेम की भक्ति चाहिए. ताकि हमारा ये नेशनल Intrest चलता रहे.

 नहीं तो शादी न करने की बात भी सही है. पर बात न कीजिएगा, अड़े भी रहिएगा. फिर नतीजन जनसंख्या पर कंट्रोल तो लगेगा ही. हाहाहाहहाहा