आजकल इंसान फ्री बिल्कुल भी नहीं.
चार लोगों में बैठा है या परिवार के बीच बंदे के पास वक्त ही नहीं. हर 10-15 मिनट
बाद अपना फोन चैक करता ही रहता है. क्या पता भई पीएमओ से फोन आना हो. लेकिन आजकल
उन सबके लिए बहुत आसान हो गया है जो घर से परिवार से दूर रहते हैं. Google Duo, Skype, WhatsApp,
Facebook Messenger,Viber ,Tango, Snapchat, FaceTime for Android, और अब InstaGram सबसे कॉल की जा सकती है. हमारे
नजरिये से आशिकों के लिए ये टैक्नीक सबसे आराम पसंद है. किसी को गिफ्ट देना है.
दिखाओ और ले जाओ. कुछ भी करना है. यहां तक की राखी सावंत जैसे महान शख्स टॉयलेट
में बैठकर भी पोस्ट करते हैं. सच में कितना बदल रहा है इंसान - इस मोबाइल का
इस्तेमाल किस-किस ढंग से होता है. जो हम या आप सामान्य तौर पर करते हैं. जो एप लिखे हैं आपको इससे ज्यादा का
पता होगा. हो सकता है हमें इसका ज्ञान कम हो.
लेकिन कसम उन एप
बनाने वालों की इन्होंने तो नरक के दरवाजे की चाबी ही हाथ में दे दी है. मतलब जो
एप्लीकेशन अच्छे और खुद के टैलेंट को सोशल मीडिया के जरिए दर्शाने के लिए की जानी
चाहिए. उनको किस- किस लहजे से जनता इस्तेमाल करती है. बताना--- जरुरी है... पर निरमा
की एड की तरह पहले इस्तेमाल करें- फिर विश्वास करें की बात यहां सही नहीं बैठेगी.
इसलिए अगर आप प्ले स्टोर से अगर डाउनलोड कर भी लेते हो- आधे घंटे से भी कम वक्त
में आप इसको अन्संटोल कर दोगे. इसमें कोई दोराय नहीं हमारी प्रमाणिकता है. सिर्फ
शरीफ लोगों के लिए नवाज शरीफ की सोच वालों के लिए नहीं,
अच्छा पिछले
दिनों ( इसमें तेरा घाटा, मेरा कुछ नहीं जाता ) गाना ग्रुप में काफी वायरल हो रहा
था. तीन लड़कियां थी या शायद चार, सही से याद नहीं. लेकिन सही में घाटा किसका है
ये उनको पता है जिन्होंने वो वीडियो देखी होगी. खैर छोड़िए - विषय यह नहीं, वैसे
भी जिसका जो मन करता है वो करे, बस खुश रहे अब जिन एप्लीकेशन की बात हम कर रहे
हैं- भई - उसमें तो जीबी रोड की भी हदें पार कर दी हैं. हां सच्ची अब 2 जीबी तक का
डाटा रोजाना मिलता है ना- हमारा वो मतलब था. अब जितना समझ में आया कि उन एप में
आपको स्कोर या प्वाइंट लेने होते हैं, फिर कॉल बगैरा के ऑपशन और साथ में इनकम भी
होती है. जिसके लिए आप पेटीएम से फंड हासिल कर सकते हो. लेकिन यह बात सच है या
नहीं इसकी प्रमाणिकता हमारे पास नहीं.
अब जिसने यह एप
चलाई होंगी, उसमें से कुछेक ने देखा होगा की इसमें किस तरह से वासना की हदें पार
होते आपको लोग दिखेंगे. मतलब यार दुनिया कितनी बेल्ही है- कोई काम धंधा नहीं- बस,
काम वासना में ढूबे हुए हैं. ह्यूमन इंटरेस्ट बस इस लायक ही रह गया है. इतनी गंदगी
आपके सिवरेज में नहीं होगी जिनती इन लोगों के माइंड में भरी होगी. Omegal, Vigo Video, Musicaly ऐप नाम अब बदलकर Tik
Tok हो गया है, ( जैसे न जाने कितने ) इसकी काफी वीडियो आपको अश्लीलता भरे
अंदाज में मिल जाएंगी,. अब आप सोचोगे की भई बंदे ने खूब
नाकारात्मक टिप्पणी की है. करुं क्यों न- समाज में इतनी चर्चा तो राम रहीम और
हनीप्रीत की नहीं होगी. और न ही वर्तमान में अनुपजलोटा ही जितनी इन एप की है. बंदे
के दिमाग में फूहड़ता ही भरी पड़ी है.
इसका बड़ा ही
साधारण सा उदाहरण है- एप पर एक लड़की गाना गा रही थी , साथ में चैट भी रीड कर रही
थी. लाइक और कॉमेंट का दौर जारी था. बस आशिकी का दौर - लडके ऐसे-ऐसे कॉमेंट कर रहे
थे, आप बाकिफ होंगे ही
अच्छा यही नहीं-
इन एप पर आप ग्रुप कॉलिंग भी कर सकते हैं. अब भई- जब ग्रुप कॉलिंग होगी फिर इसमें
रोकड़ा भी मिलेगा. तो लड़कियों की यहां बाते सुनने किए लिए दो लड़के बात करते हैं,
आप भी उनकी बातचीत को सुन सकते हो. लेकिन उसमें एंट्री मारने के लिए आपको पैसे पे करने
होंगे, लेकिन यहां जो बातें होंगे उनको
सुनकर आप मानसिक तौर पर बिमार हो जाओगे. किस रुप में ये आपसी मानसिक क्षमता पर तय
करता है. अब इन एप ने कईयों का दिमाग खराब किया हुआ है. खासकर उनलोगों का जो कहते
हैं- हमें किसी पर विश्वास नहीं रहा- कारण- अकेलापन, अधिकतर वो वर्ग जो घर में या
बाहर अकेला होता है. इसमें जो उम्र होगी 19- 37 तक के लोगों की होगी. हां - कोई युरोपियन हुआ तो 50प्लस भी हो
सकती है.
मतलब दुनिया पागल
हुई पड़ी है. ज्यादादर वो देश जिनमें सेक्स एजुकेशन मूल रुप से पढ़ाई नहीं जा रही
है, पीएमओ से गुजारिश भी की लेकिन कोई असर नहीं, हां- शायद यही कारण है कि सेक्स
एजुकेश्न जब तक कोमन नहीं होती. तब तक लोग इसके मानसिक, समाजिक परेशानियों से रुबरु
नहीं होंगे. और शायद दिन प्रतिदिन बड़ रही रेप की घटनाओं पर भी अंकुश न लग सके.
फिक्र
नहीं- जिक्र योग्य है - आपको- हमें या एक
बच्चे को जिस काम के लिए ज्यादा रोक-टोक की जाती है, व्यक्तिगत रुप से उस और
ज्यादा ध्यान जाता है. अब वर्तमान में जो लोग वासना से भरे हुए एप लेकर बैठे हैं
उनकी आत्मा कितनी शुद्ध होगी, और मानसिकता कितनी सही होगी, कभी आप किसी गार्डन में
जाइएगा. फिर ध्यान से एक लड़के या लड़की को देखिएगा नहीं. किसी भी लड़की या लडके
को एंट्री प्वाइंट से देखिएगा- उसकी खूबसूरती का पैमान उस इंसान लड़का या लड़की की
निगाहें माप रही हैं जो हर शख्स को आते हुए देख रहा है. लेकिन उसके दिमाग में क्या
चल रहा है वो सिर्फ वही जानता है. या उसके साथ के भी जानते होंगे .जिनसे अगर वो
निसंकोच अपनी भावना व्यक्त करता है .
वैसे लाइन मारना
अब कॉमन है- सोशल एप ऐसी कई मिल जाएंगी. जिनसे आप इस तरह की ट्रैनिंग ले सकते है.
सही मायने में कहें- आपके अंदर की उत्सुकता कभी न कही आपको यह करने पर अब मजबूर
करेगी. लेकिन गुजारिश है- वक्त बरबाद न करें. जो पल आप उन लोगों के साथ बेस्ट
करोगे, उनको अपने चहाने वालों के साथ गुजारो. आपकी विचारधारा का प्रवाह पहले
नाकारात्मक होगा फिर सकारात्मक हो जाएगा. फिर जिस एजुकेश्न की हम बात कर रहे हैं
उस विषय पर आपके साथ अगर कोई चर्चा भी करेगा. तब आपको संकोच नहीं होगा बल्कि
सकारात्मक तरीके से बात करोगे. क्योंकि यह बात तब आम हो जाएगी. इसके लिए आपके
दिमाग पर कोई बोझ नहीं होगा. और न ही किसी इंसान पर हवस का शैतान हावी होगा.
कहते हैं वक्त
इंसान को बदल देता है, लेकिन हमारे समाज
में इस तरह ही एप ऐसी दीमक है जो इंसान को अंदर ही अंदर चाट रही हैं. जब आप
इन एप को चलाने में मशरुफ होंगे. ऐसे में उस वक्त आपको कोई बुलाएगा. तब आप गुस्से
के साथ पल भर के लिए भर जाते हो. जैसे आम तोर पर आप चैटिंग किसी खास व्यक्ति से कर
रहे होते हैं, कोई आपको काम के लिए आवाज मारता है- तब आपको बीपी का लेवल चैक करना-
हो सकता है मशीन फाड़ दे. अगर गलत लिखा है- कोई इस बात को झूठला दे- लिखना छोड़
दूंगा. लेकिन यह हमारा और आपके वर्तमान का सच है. इसलिए एप के चक्कर में कभी अपनी
स्थिति न खराब करना की - एप्पल का जूस पीने की नौबत होस्पीटल में आ जाए.
अब हम सही बोलें
हैं या गलत- ये हमारे लिए है. अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बूरा जाना, जिसकी जितनी
समझ- उतना पहचाना. #dimagkharabhai