सोमवार, 19 नवंबर 2018

Hello : नमस्कार, कितने दिन पहले बोला था, शायद हमें याद भी नहीं ?



Are u ashamed to say greetings #Namaste 

नमस्कार, कितने दिन पहले बोला था शायद हमें याद भी नहीं ? Hello _ Good Morning  या किसी और भाषा विस करने का शब्द अलग होगा, लेकिन सलीके में अब घूटन सी देखी है. किसी को इतना संकोच क्यों, प्रत्यक्ष है लेकिन इस संकोच का प्रमाण नहीं, वैसे अब छोटों और बढ़ो को गुडमोर्निंग और हैलो के अलावा किसी शब्द का ज्ञान नहीं, हैलो के इंग्लिश में ट्रांसलेट करने के जरुरत नहीं, आप खुद भी कर सकते हो, ताकि व्यक्तिगत तौरे इसका मतलब समझ आए .
अच्छा एक बात ये भी है चैटिंग या फोन कॉल के अलावा हैलो हम बोलते ही नहीं, लेकिन अब हैलो के पीछे भी हर किसी का अपना एक हित छिपा हुआ. मेरा या आपका भी शायद, और सच यही है कि हम जिंदगी की मशरुफियत में अपने साथ ही मजाक कर रहे हैं. अपने बंधू ( छोटा-बड़ा करीबी ) को विस तो कर रहे हैं. लेकिन बस काम के लिए, या फिर बोरियत को खत्म करने के लिए. क्योंकि हैलो तो हमने अपना लिया निंकोच बोल भी दिया, लेकिन इसके मतलब को हमने ताक पर ऱख दिया.
अब इस बात में भी कोई दोराय नहीं और न ही इसपर कोई पर्दा की हमें नमस्कार या नमस्कारम बोले कितना वक्त हो गया होगा. सच में ना- हैलो साधारण है, कभी कबार किसी से मिलने पर बोल ही देते हैं, लेकिन नमस्कार, प्रमाण, जैसे शब्दों को हमने शमसान में ही रख दिया है, बस चिता ही सेज सजाना बाकि है. अब चिंता नहीं चिंतन है कि हाथ जोड़ने पर भी हम अपने अंदर एक अजीब सी घुटन महसूस करते हैं.
ये घुटन कैसी, हाथ जोड़ कर देखिए तो सही, अजीब सा लगेगा, फालतू का ड्रामा ये भी नहीं कह सकते कि ये ड्रामा अब स्क्रीन पर सही लगता है क्योंकि कुछेक न्यूज एंकर या रीडर ही होंगे जो आदर सहित हाथ जोड़ कर कहते हैं  ' नमस्कार '
      No Indian has ever explained the meaning of #NAMASTE in such a beautiful way !!

'नम:' धातु से बना है 'नमस्कार'। नम: का अर्थ है नमन करना या झुकना। नमस्कार का मतलब पैर छूना नहीं होता। नमस्कार शब्द हिन्दी, गुजराती, मराठी, तमिल, बंगाली आदि वर्तमान में प्रचलित भाषाओं का शब्द नहीं है। यह हिन्दू धर्म की भाषा संस्कृत का शब्द है। संस्कृत से ही सभी भाषाओं का जन्म हुआ।
हिन्दू और भारतीय संस्कृति के अनुसार मंदिर में दर्शन करते समय या किसी सम्माननीय व्यक्ति से मिलने पर हमारे हाथ स्वत: ही नमस्कार मुद्रा में जुड़ जाते हैं। नमस्कार करते समय व्यक्ति क्या करें और क्या न करें इसके भी शास्त्रों में नियम हैं। नियम से ही समाज चलता है।

1 सामान्य नमस्कार : किसी से मिलते वक्त सामान्य तौर पर दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है। प्रतिदिन हमसे कोई न कोई मिलता ही है, जो हमें नमस्कार करता है या हम उसे नमस्कार करते हैं।

2 पद नमस्कार : इस नमस्कार के अंतर्गत हम अपने परिवार और कुटुम्ब के बुजुर्गों, माता-पिता आदि के पैर छूकर नमस्कार करते हैं। परिवार के अलावा हम अपने गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न व्यक्ति के पैर छूते हैं।

3  साष्टांग नमस्कार : यह नमस्कार सिर्फ मंदिर में ही किया जाता है। षड्रिपु, मन और बुद्धि, इन आठों अंगों से ईश्वर की शरण में जाना अर्थात साष्टांग नमन करना ही साष्टांग नमस्कार है।

नमस्कार के लाभ : अच्छी भावना और तरीके से किए गए नमस्कार का प्रथम लाभ यह है कि इससे मन में निर्मलता बढ़ती है। निर्मलता से सकारात्मकता का विकास होता है। अच्छे से नमस्कार करने से दूसरे के मन में आपके प्रति अच्छे भावों का विकास होता है।इस तरह नस्कार का आध्यात्मिक और व्यावहारिक दोनों ही तरह का लाभ मिलता है। इससे जहां दूसरों के प्रति मन में नम्रता बढ़ती है वहीं मंदिर में नमस्कार करने से व्यक्ति के भीतर शरणागत और कृतज्ञता के भाव का विकास होता है। इससे मन और मस्तिष्क शांत होता है और शीघ्र ही आध्यात्मिक सफलता मिलती है।

अब इतना ज्ञान हासिल करने के बाद भी हैलो में वो मजा नहीं शायद जो नमस्कार में है. 

#Namaste!!! Please be proud about it !!!!!! It’s a profound statement to greet someone !!! Please get educated

नमस्कार