गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015

तेरी याद क्यों आती है

सुबह से शाम हो जाती है
हर पल तेरी याद आती है
दो पल बात करके फिर रात गुज़र जाती है
बस ! यही ज़िंदगी है अब
चाँद ढलने के बाद फिर सुबह हो जाती है
पर समझ नहीं आता
ढलते सूरज से डूबते चाँद तक तेरी याद क्यों आती है 

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