रविवार, 31 दिसंबर 2017

डबल सेलेब्रेशन का मौका- विकाउज टू-डे इज विद्या बालन बर्थडे


सबसे पहले आप सभी को a very happy new year…नए साल के साथ साथ डबल सेलेब्रेशन का मौका है क्योकि आज बॉलीवुड की one of the most talented actress  विद्या बालन का हैप्पी वाला बर्थडे है...विद्या का जन्म 1 जनवरी 1978 को केरेला के पल्कर डिसेकरिट में हुआ..बचपन से ही विद्या शबाना और माधुरी की बहुत बड़ी फैन रही जिसके बाद एक्टिंग के कीड़े ने विद्या को दिलवाया इनका पहला टीवी सीरीयल हम पांच..,,लेकिन शायद उस वक्त किसी को भी नही पता था कि ये चेहरा एक दिन बॉलीवुड में टॉप हीरोइन की लिस्ट में शुमार हो जाएगा..
विद्या बालन... बॉलीवुड इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम जिसने बॉलीवुड में अपनी अलग ही पहचान बनाई है..... बॉलीवुड की मशहुर अदाकारा विद्या बालन अपने बेहतरीन अभिनय और अदायगी के लिए जानी जातीं हैं... विद्या बालन का जन्म 1 जनवरी 1978 को केरला में हुआ था... उनके पिता का नाम पी. आर बालन हैं जोकि डीजी केबल के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट हैं...उनकी माँ का नाम सरस्वती बालन है, विद्या की एक बहन भी है प्रिया बालन....विद्या का पूरा बचपन मुंबई में ही बीता है... उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई मुंबई के एंथोनी गर्ल्स स्कूल, चेम्बूर से की और ग्रेजुएशन की पढ़ाई मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी...विद्या बालन ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत मलयालम फ़िल्म चक्रम से की थी....बॉलीवुड की बात करें तो विद्या बालन ने हिन्दी फिल्मों में अपना करियर फ़िल्म परिणीता से स्टार्ट किया था...जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ उभरती अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया...... उन्हें इस फिल्म के शाइनिंग स्टार बॉलीवुड के पुरुस्कार से सामनित भी किया गया...। 
वो कहते है ना कि पूत के पावं पालने में ही दिखने शुरु हो जाते है..ऐसा ही कुछ विद्या के साथ भी था..मैडम ने 16 साल में ही टीवी की दुनिया में कदम रखा लेकिन फैमीली चाहती थी कि विद्या पहले पढ़ाई पूरी करे और उसके बाद अपने सपनो को उड़ान दे..मासर्ट की डिगरी करने के बाद विद्या ने साउथ की फिल्म साइन की लेकिन फिल्न बडे पर्दे पर लगने से पहले ही ठंडे बस्ते में चली गई..क्योकि उस दौरान विद्या के नाम के साथ एक शब्द जुड गया था –जिनक्स यानी की मनहूस
परीणीता फिल्म से पहले विद्या का करियर बुरे दौर से गुजर रहा था,,, एक के बाद एक करके विद्या के हाथ से 13 फिल्में निकल गई थी...और वो वक्त बालन कभी भूल नही सकती पर वो कहते है ना कि सब कुछ परमानेटं नही होता...एक बार फिर से विद्या की किस्मत चमकी और मैडम के घर के बाहर बडे बडे डायरेक्टरस की लाइन लग गई...विद्या बालन के फिल्मी करियर में शुरुआती सफल फिल्म की बात की जाए तो व्यवसायिक फ़िल्म थी राजकुमार हिरानी की लगे रहो मुन्नाभाई.. जो 2006 में आई थी...ये फिल्म बहुत बडी हिट साबित हुई थी.... विद्या बालन ने परिणीता, लगे रहो मुन्नाभाई, पा, डर्टी पिक्चर, डेढ़ इश्किया, भूल भुलैया, कहानी, नो वन किल्ल्ड जेसिका, हमारी अधूरी कहानी जैसी बहतरीन फिल्में की है जिन फिल्मों को करने के बाद विद्या का नाम नामी सितारों में आ गया....

पल पल पल पल हर पल हर पल
विद्या एक ऐसी अभिनेत्री है जो अपनी हर फिल्म के साथ experiment करती है..परीणीता में सिम्पल लडकी का कैरेक्ट पले करने के बाद विद्या ने 2007 में साइकोलॉजी थ्रिलर और हॉरर फिल्म भूलभुलैया से फिलमी करीकिटस के साथ साथ फैन्स का भी दिल जीत लिया था..ये फिल्म साउथ की फिल्म का रीमेक थी जिसने विद्या की एक्टिंग स्किलस को एक different  ही लेवल पर पेश किया..
2007 में आई विद्या बालन की सुपर डुपर हिट फिल्म भूलभुलैया ने लोगो के होश उड़ा दिए... जिसमें विद्या बालन ने अपने अभिनेय को लेकर लोगो से खूब तारीफे बटोरी..... तभी तो इस फिल्म को आज भी विद्या बालन के अभिनेय के कारण याद किया जाता है... इस फिल्म की कहानी भी एक दम अलग थी ये उन हास्य फिल्मों की तरह नहीं थी, जिनमें दिमाग का इस्तेमाल ही न करना पडे .....‘भूलभुलैया’ देखते समय लोगो को काफी दिमाग लगाना पड़ा.. यह एक साइकोलॉजी थ्रिलर और हॉरर फिल्म थी जिसने लोगो को बहुत डराया , जिसमें हास्य भी था....इस फिल्म में कॉमेडी भी कूट कूट कर भरी हुई थी.... जिसने लोगो को पेट पकड़ पकड़ कर खूब हसाया.. यह एक अनोखी फिल्म थी और प्रियदर्शन ने इसे बहुत उम्दा तरीके से बनाया था...
एक्टिंग का लोहा तो विद्या ने अपनी पहली ही फिल्म से मनवा लिया था लेकिन अभी कुछ और करना बाकी था..कुछ बड़ा, कुछ बहुत बड़ा तो सदियों तक विद्या का नाम सिनेमा के सुनहरे पन्नों मे लिख दे और ये मुकाम हासिल किया विद्या ने सिल्क समिथा बनके...क्योंकि ,सिनेमा चलता है सिर्फ तीन चीजो से entertainment, entertainment, aur entertainment..
भूलभुलैया’ के बाद विद्या बालन की एक और हिट फिल्म आई जिसमें विद्या बालन के अभिनेय ने लोगो को अपना दिवाना बना दिया...'डर्टी पिक्चर'...जी हां यही वो फिल्म है जिससे विद्या बालन के अभिनेय औऱ अदा ने लोगो को  इस कदर अपना दिवाना बना दिया कि लोगो की ज़ुबां पर सिर्फ और सिर्फ विद्या बालन का ही नाम था..
 2011 में आई विद्या बालन की सुपर डुपर हिट फिल्म डर्टी पिक्चर ने बॉक्स ऑफिस पर काफी धमाल मचाया....जिसके गाने और डायलॉग्स ने धूम मचा दी....यहां तक की इस फिल्म में पहनी हुई हर एक ड्रेस इतनी फेमस हुई की गाने.. डायलॉग्स के साथ साथ ड्रेसिस तक के लिए अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया.... 'डर्टी पिक्चर' में विद्या बालन ने बहुत ही ज्यादा बोल्ड सीन्स दिए है जो फेमस होने के साथ साथ काफी चर्चा में रहे... ‘

‘एंटरटेनमेंट एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट
लाइफ में जब तक रिस्क नही लेते तब तक आगे नही बढ़ सकते...विद्या ने भी डरटी पिक्चर के साथ एक बड़ा रिस्क लिया था..हालाकी फिल्म की टीम इस बात से इंकार करती है कि ये फिल्म सिलक सिमथा की जिनदगी पर बेस्ड नही है पर सभी जानते है कि विद्या ने इसमें सैक्स सिमबल सिमथा का किरदार निभाया था..इस फिल्म को करने से पहले विद्या ने अपने माता-पिता को बताया भी ता कि फिलम में काफी स्किन शो होगा लेकिन जब परिवार का साथ हो और काबीलीयत तो फिर बाकी जो भी बोले-who cares..
  
एंटरटेनमेंट एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट ये डायलॉग तो लोगो की जूबां पर ऐसे रट गया जैसे उनका नाम हो....जिसे लोग अपने नीजी जीवन में भी खूब इस्तेमाल करने लगे..... 'डर्टी पिक्चर' एक रियल लाइफ पर बेस्ड है....और इस तरह की विद्या बालन ने काफी फिल्म की है.. आपको बता दे कि 'डर्टी पिक्चर' से जुड़े सीन्स और गाने  मोबाइल पर सबसे अधिक देखे गए है...वूक्लिप नाम की एक मोबाइल वीडियो कंपनी ने सर्वेक्षण किया था जिसके मुताबिक 'डर्टी पिक्चर' के गानों और सीन्स को 13,24,000 बार देखा गया... विद्या का फ़िल्मी सफर बेहद सफल रहा है उन्हें एक राष्ट्रीय पुरूस्कार और 5 बार फिल्मफेयर अवार्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है।
कॉमेडी कर ली, सेक्स सिंबल बनकर विद्या ने अपना उ लाला लाला साईड दिखाकर फिल्मफेयर ले लिया लेकिन इसके बाद विद्या ने बी-टाउन के मोस्ट conventional डायरेक्टर विशाल भारदवाज की फिल्म इशकिया की...काजल से लबरेज आंखें,नसीरुद्दी शाह जैसे मंझे हुए दिग्गज के साथ स्कीन शेयर करने के बावजूद भी विदया की ऐक्टिंग को लोगो ने गौर तो किया ही साथ ही खूब पसंद भी किया..
‘इश्किया’ देखते समय ‘ओंकारा’ की याद आना स्वाभाविक है। ‘ओंकारा’ की ही तरह इस फिल्म के किरदार के मन में क्या चल रहा है जानना कठिन होता है लेकिन विदया की ऐक्टिंग स्करीन पर कमाल कर गई थी... विद्या बालन ने एक बार फिर अपना रंग जमाया। उनके चरित्र में कई शेड्स थे जिसे बालन ने बखूबी जिया है
नसीरुद्न शाह के साथ काम करना अपने आप में एक बड़ी बात है..अऱशद की कामिक टाइमिंग ने जहां फिलम को बांधे रखा तो वही विदया की नजाकत ने भी खालूजान के साथ साथ दर्थकों पर जादू कर दिया..
चाहे डायरेक्टर हो या फिर बडे सितारे, अब विद्या हर किसी के साथ फिल्म कर रही थी और हर कोई विद्या को फिल्म में लेना भी चाहता था..इस बार बारी थी विद्या की 70 एम एम के पर्दे पर मां बनने की और वो भी बिग-बी के मां की...जी हां विद्या ने विद्या ही बनकर अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाया...पा की कहानी पूरी बेस्ड थी मेगास्टार अमिताभ बच्चन पर लेकिन दिग्गों के बीच में खुद को निखार के सबके सामने रखने की कला विदया बाखूबी जानती है..
विद्या बालन ने फिल्म पा में विद्या नाम का किरदार निभाया है जो जहां किरदार के वक्त उन्होंने दो रोल बखूवी अदा किए और वो भी एक साथ एक औरो की मां  और दूसरा डॉक्टरर का. ‘पा’ के प्रति लोगों के मन में कुछ धारणाएँ हैं। ये रोने-धोने वाली फिल्म होगी। बीमारी के ऊपर वृत्तचित्रनुमा फिल्म होगी या लाचार बीमार के प्रति हमदर्दी जताने वाली फिल्म होगी, लेकिन ‘पा’ में ऐसा कुछ नहीं है। बेशक, ‘पा’ का मुख्य किरदार ऑरो (अमिताभ बच्चन) प्रोजेरिया नामक बीमारी से पीडि़त है, जिसमें व्यक्ति अपनी उम्र से कही ज्यादा का दिखाई देता है, लेकिन उसकी कहानी को हँसते-हँसाते पेश किया गया है।
विद्या की professional life जितनी हैप्निंग थी तो वही पर्सनल लाइफ भी मैडम की लाइफ काफी interesting है..विद्या का नाम बी टाउन के कई सेलेब्स के साथ जुड़ा लेकिन 2008 में आई फिल्म ‘किस्मत कनेक्शन’ की शूटिंग के दौरान विद्या और शाहिद के अफेयर की खबरों ने तूल पकडा था.. करीना से ब्रेकअप होने के बाद शाहिद उस समय सिंगल थे और ऐसे में उन्हें विद्या बालन का साथ मिला लेकिन ये प्यार ज्यादा देर तक नही टिका और मैडम को सिद्धार्थ के रुप में मिला उनका हमसफर
विद्या बालन ने सिद्धार्थ संग रचाई शादी
बोल्ड, विद्या बालन के रियल लाईफ की बात करें तो उन्होनें यूटीवी के सी.इ.ओ सिद्धार्थ रॉय कपूर से 14 दिसंबर 2012 को शादी की थी ... उनकी प्रेम कहानी बहुत विनम्र रही है, जहां एक लड़की जो शादी के बाद अपनी पहचान खोने के बारे में आशंकित थी, उसे कोई ऐसा व्यक्ति मिल गया, जो उसके सभी फायबर को समझता है...आपको बता दे कि दो तलाक के बाद सिद्धार्थ ने विद्या से तीसरी शादी की थी ...बॉलीवुड के फेमस प्रोड्यूसर सिद्धार्थ रॉय कपूर बॉलीवुड की नामी हस्ती में से एक हैं... हालांकि, उनकी दूसरी पहचान एक्ट्रेस विद्या बालन के पति के तौर पर भी है...
हर मुश्किल से खुद को बाहर निकालकर एक मुस्कुराहट के साथ फिर से संभलना विद्या बालन बाखूबी जानती है..और इनकी यही अदा इन्हे सबसे अलग बनाती है...


हैप्पी बर्थ-डे नाना साहिब- एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है।

(एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है।)
ये फेमस डॉयलोग है फिल्म यशवंत का और इस फिल्म में यशवंत का किरदार निभाने वाले मशूर एक्टर का नाम है नाना पटेकर... 1 जनवरी 1951 में नाना पाटेकर का जन्म हुआ था। जिन्होने वॉलीबुड में अपनी अदायगी से सबका दिल जीत लिया। और लगातार कई फिल्मों में काम किया... किसी फिल्म में उन्होंने समाज को जगाने का तो किसी फिल्म में रोमांश किया... लेकिन हर किरदार में बेहतर प्रफॉरमेंस दिया।  और अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। साथ ही उनके जैसी डॉयलोग डिलेवरी कोई और नहीं कर सकता। यहां तक की आज भी लोग नाना पाटेकर के कुछ डॉयलोग बोलते हैं।

नाना पाटेकर ने अक्सर अपनी फिल्मों में आए दिन घटित होने वाली घटनाओं को दिखाया है।
नाना ने फिल्म 2611 में जिहाद का पाठ पढ़ाया था। जिसमें उन्होंने जिहाद और इंसानियत के बीच का फर्क बताया था।

नाना पाटेकर ने देश भक्ति की कई फिल्में की है। जिनमें से क्रांतिवीर फिल्म में उनके डॉयलोग काफी फेमस हुए थे। यहां तक एक इस फिल्म के दौरान नान पाटेकर की तबीयत काफी बिगड़ गए थी। जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा था लेकिन वहीं दूसरी ओर फिल्म का सेट लग चुका था वहां पर लोगों की भीड़ को बुलाया गया था। जिसके बाद नाना से अस्पताल में मिलने के लिए फिल्म के डॉयरेक्टर पहुंचे ... और उन्होंने नाना पाटेकर को आराम करने के लिए कहा लेकिन नाना ने फिल्म की देरी और पैसा बर्बाद ना हो इसके लिए उन्होंने डॉरेक्टर को कहा कि वे पांच कैमरे लगवाए और वे केवल एक ही बार में शॉट देंगे... और वो शॉट नाना ने खुद से बोला था। जो आज भी लोकप्रिय बना हुआ है।


इतना ही नहीं नाना पाटेकर ने साल 2007 में आई फिल्म वैलकम में भी एक्टिंग की थी। इस फिल्म में नाना ने  रोमेंस किया और साथ ही डांस भी किया। नाना एक ऐसे एक्टर है जिन्होंने ज्यादातर सीरीयस रोल प्ले किया है। लेकिन इस फिल्म में नाना ने रोमांस किया डांस किया साथी ही कॉमेड़ी भी की। जिसे लोगों ने काफी पंसद किया।

नाना पाटेकर को जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएं और हम आशा करते हैं कि आप आगे भी इसी  तरह से हम सभी को अपनी एक्टिंग से एंटटेन करते रहें। साथ ही हम ये उम्मीद करते हैं आपकी आने वाली मराठी फिल्म आपला मानुष को बड़ी कामयाबी मिले।
हैप्पी बर्थडे नाना

साल 2017- पंजाब आप विंग पर रहा शनि भारी, आगे अब संजय प्रभारी


पंजाब में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा ने एक नया खुलासा किया है..सुखपाल खैरा ने आरटीआई सूचना के आधार पर कहा कि पंजाब में तपस्या का राग अलापने वाली सरकार की जीवनशैली लग्जरी खर्चों पर आधिरत है....
विपक्ष के आंकडों में फंसी पंजाब सरकार


विपक्ष के आंकडों में फंसी पंजाब सरकार
RTI  के जरिए सुखपाल खैरा ने लगाया आरोप
लग्जरी जीवन शैली वाली है पंजाब सरकार
दरअसल पंजाब में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा  और सरकार के बीच वाद-विवाद का एक लंबा दौर चल रहा था ...इसी बीच सुखपाल सिंह खैरा ने आरटाई के जरिए एक खुलासा किया है कि पंजाब सरकार तपस्या की राह का केवल राग अलापती है लेकिन हाल ही में आरटीआई से प्राप्त सूचना के आधार पर उन्हें पता चला है कि सरकारी निवास का इस्तेमावल करने वाले कै. अमरिंदर और उनके नेता के मैंटेनेंस और रिनोवेश्न खर्च ही करोड़ो में है...

RTI  के तहत प्राप्त अहम तथ्य? .
कैं. अमिरंदर सिंह की 4 मजिला इमारत का रिनोवेश्न खर्च- 50 लाख
पंजाब एडवोकेट जनरल अतुल नंदा के रेसिडेंस का खर्च-1 करोड़
मनप्रीत सिंह बादल ने नए गैस्ट रुम के लिए किए 25 लाख रुपये खर्च
राना गुरजीत सिंह का बिल रिनोवेश्न खर्च 35 लाख रुपये
प्राप्त सूचना को आधार बनाते हुए सुखपाल खैरा का आरोप है कि पंजाब सरकार केवल दिखावा करती है कि सरकार के पास आर्थिक तंगी है...जबकि सच्चाई RTI से सामने आ चुकी है...

सुखपाल खैरा का आरोप
सरकार पैसों के अभाव में पेंशन देने में सक्ष्म नहीं..पिर करोड़ों का रिनोवेश्न खर्च क्यों?
करोड़ से ऊपर का रिवोनेसन खर्च करने वाली सरकार तपस्वी जैसी जीवन शैली की राग क्यो?
बलात्कार के आरोप से 2-4 हो रहे खैरा के हाथ इन दिनो ऐसी सूचना हात लगा गई जिसके बिनाह पर यकीनन पंजाब सरकार घिरती ही नजर  रही है,,,अब देकने वाली बात होगी कि सरकार किस तरह अपनी सफाई पेश करेगी...और विपक्ष सवालों से खुद को बचाएगी....


अन्ना हजारे की तरफ से किए गए आंदोलन के बाद होंद में आई आम आदमी पार्टी वैसे तो पिछले दो सालों से लगातार पतन की तरफ जा रही है। परन्तु कुछ दिनों बाद विदाई ले रहा साल-2017 इस पार्टी के लिए बेहद भारू सिद्ध हुआ है। इस साल दौरान चाहे पार्टी ने पंजाब विधानसभा में विरोधी पक्ष का दर्जा हासिल करके पंजाब अंदर इतिहास बनाया है। परन्तु सारे वर्ष के घटनक्रम को देखा जाए तो इस पार्टी का झाड़ू लगातार बिखरता ही गया है। 

आम आदमी पार्टी के लिए बेहद भारी रहा 2017
पिछले समय दौरान भी विवादों में उलझी रही आम आदमी पार्टी
इस पार्टी ने 2013 दौरान दिल्ली की सत्ता संभाली थी। परन्तु जल्दी ही योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे कई नेताओं के साथ मतभेदों ने इस पार्टी के साथ जुड़े लोगों को निराश किया। इस पार्टी की पहली सरकार सिर्फ तीन महीने ही चल सकी। परन्तु दिल्ली निवासियों ने फिर पार्टी को एकतरफा फतवा देकर अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार बनाई। एक तरफ यह पार्टी विरोधी धड़ों के निशाने पर रही और दूसरी तरफ पार्टी की अंदरूनी कशमकश ने लोगों को इस हद तक निराश किया कि 2014 के लोकसभा मतदान दौरान पंजाब के बिना ओर कहीं भी इस पार्टी को कोई समर्थन नहीं मिला।
पंजाब में जो 4 लोकसभा मैंबर जीते वह भी इस पार्टी के साथ जुड़े नहीं रह सके। यहां तक कि पार्टी में नई रूह फूंक कर पंजाब अंदर इस के पैर लगाने वाले कनवीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर जैसे नेता को भी दरकिनार कर दिया गया। इस के इलावा इस पार्टी के कई ओर नेताओं के खिलाफ लगे गंभीर दोषों ने भी पार्टी का अक्स धुंधला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पंजाब में दिल्ली वालों का बोलबालापंजाब के नेताओं को नजर अंदाज करने के इलावा टिकटें बांटते समय पैसों के लेन-देन जैसे इलाजामों ने पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया।

केजरीवाल की एक झलक भी नहीं देख सके पंजाब निवासी
2017 दौरान हुए विधानसभा मतदानों से पहले ही पार्टी में टिकटों के ऐलान मौके बड़े राजनैतिक विस्फोट होने शुरू हो गए थे। अकाली-भाजपा गठजोड़ की सरकार खिलाफ बड़े गुस्से का दिखावा करते हुए पंजाब निवासियों ने लोक इंसाफ पार्टी के उमीदवारों समेत इस पार्टी को करीब 22 सीटों पर जेतू बना कर विधानसभा में पहली बार किसी गैर अकाली या गैर कांग्रेसी पार्टी को विरोधी पक्ष का दर्जा दिया। परन्तु यह पार्टी विरोधी पक्ष के नेता के चुनाव करने में भी अंदरूनी कशमकश में उलझी रही जिस के चलते कई नेताओं की अलग-अलग सुरों ने इस पार्टी के साथ जुड़े लोगों को बड़े स्तर पर निराश किया।
इतना ही नहीं मतदान के बाद पंजाब निवासियों को इस साल अरविन्द केजरीवाल की एक झलक तक देखने को नसीब नहीं हुई। ओर तो ओर बटाला से चुनाव लडऩे वाले पार्टी के कनवीनर गुरप्रीत सिंह घुग्गी भी अपने समर्थकों का हाल पूछने तक नहीं आए। पार्टी के नए बनाए गए कनवीनर और संगरूर से लोकसभा मैंबर भगवंत मान भी कई तरह के दोषों में घिरते आए हैं। इसी तरह पार्टी का विरोधी पक्ष के नेता एच.एस.फूल्का के इस्तीफे की नौबत भी आई और सुखपाल सिंह खैहरा के रूप में विरोधी पक्ष का नया नेता नियुक्त करना पड़ा। 

लगातार गिरता रहा पार्टी का ग्राफ

बेशक पार्टी के कनवीनर अरविन्द केजरीवाल ने पार्टी में जान डालने के लिए कई कोशिशें की हैं। जिस के अंतर्गत संजय सिंह के इस्तीफे उपरांत अब मनीष सिसोदिया को पंजाब का इंचार्ज लगाकर पार्टी वर्करों में नया उत्साह भरने की कोशिश की गई है। परन्तु इस के बावजूद भी स्थिति यह बनी हुई है कि निचले स्तर पर पार्टी का ढांचा पूरी तरह हिला हुआ है। पार्टी के माझा जोन के प्रधान कंवलप्रीत सिंह काकीजो कादियां हलके से चुनाव लड़े थेअकाली दल में शामिल हो गए। इसी तरह माझे के कोआरडीनेटर और पूर्व लोकसभा मैंबर चरनजीत सिंह चन्नीदीनानगर से चुनाव लडऩे वाले जोगिन्द्र सिंह छीनाफतेहगढ़ चूडि़य़ां से गुरविन्दर सिंह शामपुरालखबीर सिंहमनमोहन सिंह भागोवालिया समेत अनगिनत वालंटियर और सीनियर नेता इस पार्टी को छोड़कर ओर पार्टियों में शामिल हो गए हैं।

कुछ हलकों के अंदर स्थिति यह बनी हुई है कि मतदान लड़ चुके नेताओं की कोई भी सक्रियता दिखाई नहीं देती। इसी कारण नगर निगमों की मतदान दौरान 414 वार्डों में से इस पार्टी को केवल एक सीट पर जीत नसीब हुई है जबकि गुरदासपुर उप चुनाव दौरान तो पार्टी उमीदवार की जमानत भी नहीं बच सकी। पंजाब के इलावा दिल्ली और ओर सूबों के अंदर भी पार्टी की स्थिति अजीबो-गरीब बनी हुई है जिस के चलते इस वर्ष दौरान पार्टी के शुभ चिंतकों के पल्ले निराशा ही पड़ी है। 

वोट प्रतिशत बनाम चुनाव नतीजे 
आप को मिलने वाली वोटों की प्रतिशत में भी इस साल गिरावट आई है। 2014 में हुए लोकसभा मतदान दौरान इस पार्टी ने जब 13 में से सीटों पर जीत हासिल की थी तो उस समय पार्टी को 24.40 प्रतिशत वोटें पड़ी थीं। परन्तु इस साल विधानसभा मतदान में वोट प्रतीशत कम हो कर करीब 23.7 प्रतिशत रह गई। यदि 2014 की लोकसभा मतदान दौरान इस पार्टी को पड़ी वोटों का लेखा जोखा विधानसभा हलकों अनुसार किया जाए तो उस मौके 13 लोगसभा हलकों अंदर करीब 33 विधानसभा हलके ऐसे थे जहां इस पार्टी के उमीदवारों को कांग्रेस और अकाली-भाजपा के उमीदवारों की अपेक्षा ज्यादा वोटें पड़ीं थी जबकि विधानसभा हलकों में आप के उमीदवार दूसरे स्थान पर आए थे। परन्तु इस साल विधानसभा मतदान दौरान पार्टी के 20 उमीदवार ही विधायक बन सके। ओर तो ओर 2014 की लोकसभा मतदान दौरान सुच्चा सिंह छोटेपुर गुरदासपुर से चुनाव लड़ कर एक लाख 73 हजार से भी ज्यादा वोटें ले गए थे। परन्तु अब जब इस साल इसी हलके गुरदासपुर में उप चुनाव हुआ है तो पार्टी के उमीदवार की जमानत भी नहीं बच सकी। 

पंजाब 2017- 10 महीने में भी सरकार पर कई सवाल, कैसा रहेगा साल


कहते है कि पीछे मुडकर नहीं देखना चाहिए लेकिन साधारण मनुष्य़ हैं,  देखते ही है, लेकिन हल नहीं मिल पाता क्यों देखते हैं,- बीती बाते बीत चूकी होती है,  जिनका आगे कुछ नहीं किया जा सकता. लेकिन सीख तो छीपी होती है हर एक बात में-  और बीत रहे 2017 के कुछ पल ऐसे भी हैं- लेकिन कुछ ऐसी बाते होती है, जिन्हे बार-बार हवा लगती ही रहती है, कुछ ऐसे वादे होते हैं- जो जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं, औऱ ऐसा ही राजनीति में भी होता है, जब साल 2017 की शुरुआत हुई तो उस वक्त पंजाब विधानसभा चुनवों का दौर था., उस वक्त अच्छे दिन आएंगे, वाक्य भी खूब बोला जाता था, लेकिन पंजाब में कांग्रेस के अच्छे दिन आ गए., पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी और फिर निगम चुनावों तक कांग्रेस विजच हासिल करती चली गई, औऱ अब टारगेट 2019 का भी है.-


साल 2017 की शानदार शुरुआत

पंजाब में कांग्रेस का परचम

2017 की जीत ने जगाई 2019 के लिए उम्मीद

पंजाब में साल 2017 की शुरुआत विधानसभा  चुनाव के साथ सर्द मौसम के बीच चुनावी सरगर्मी से साथ हुई . औऱ साल 2017 पंजाब कांग्रेस के लिए अच्छे दिन लेकर आया। पंजाब में हुई जीत ने एक बार फिर कांग्रेस में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उम्मीद जगा दी, क्योंकि इससे पहले 3 राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के कारण कांग्रेस की स्थिति डगमगा गई थी। कांग्रेस ने जहां विधानसभा चुनाव में 10 साल बाद सत्‍ता में वापसी की. वहीं निकाय चुनाव में जालंधर,पटियाला और अमृतसर तीनों निगमों पर धाक जमाई।  कांग्रेस ने विधानसभा की 77 सीटें जीती जबकि 20 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर और शिरोमणी अकाली दल 15 और भाजपा 3 सीटों तक ही सिमट कर रह गई।  कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पटियाला सीट से तो चुनाव जीता ही । वहीं, लंबी सीट से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से कड़ा मुकाबला किया। बादल को 66,375 वोट मिले जबकि कैप्टन ने 43,605 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे। 

गुरदासपुर उपचुनाव में जाखड़ रहे विजयी
कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने बीजेपी-अकाली गठजोड़ के उम्मीदवार स्वर्ण सलारिया को 1.93 लाख वोटों से शिकस्त दी। जाखड़ के पक्ष में 4,99,752 वोट पड़े और उनके सबसे क़रीबी उम्मीदवार रहे स्वर्ण सलारिया को 3,06,533 वोट मिले। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मेजर जनरल सुरेश कथूरिया के पक्ष में महज 23,579 वोट ही मिले। अभिनेता से नेता बने बीजेपी सांसद विनोद खन्ना के निधन के कारण पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट पर ये उपचुनाव कराए गए थे।

उपचुनाव में केवल 56 फीसदी वोटिंग हुई। नतीजों से साफ हुआ कि सात महीने पुरानी कांग्रेस की सरकार के खिलाफ लोगों में कोई बड़ी नाराजगी नहीं थी।  बीजेपी और अकालियों की तुलना में कांग्रेस लोगों के सामने ज्यादा एकजुट और संगठित नजर आई। 

पंजाब निकाय चुनावों में भी सत्‍ताधारी कांग्रेस को कामयाबी मिली।  कांग्रेस ने विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया। विपक्षी दलों को एक भी निकाय में जीत नहीं मिली। आम आदमी पार्टी को तो एक भी सीट नहीं मिली। तीन नगर निगमों और 29 नगर परिषदों व नगर पंचायतों के लिए 17 दिसंबर को वोट डाले गए थे। कांग्रेस ने अमृतसर, जालंधर और पटियाला नगर निगम में एकतरफा जीत दर्ज की। जालंधर में उसे 80 वार्डों में से 65 और पटियाला में 60 में से 59  और अमृतसर में 85 में से 64 वार्डों पर परचम लहराया।
न्यूज डेस्क रिपोर्ट लिविंग इंडिया न्यूज


सियासी महौल तो आपने देख ही लिया लेकिन सियासत के बीच सत्ता मे आने के लिए पंजाब की कैप्टन सरकार ने कई वायदे भी किए, बाते-वादे भुलाए नहीं भूले जाते- जनता को याद रहे न रहे, लेकिन विपक्ष हमेशा याद रखता है, पंजाब सरकार सत्ता में आई और सैंकड़ो वादे किए- क्या-क्या वादे थे- अगर सरकार के मंत्री एक दो भूल भी जाएं तो विपक्ष वक्त-वक्त पर सरकार को याद दिलाता रहता है. औऱ उसके लिए सदन में भी जनता के हक के लिए हंगामा करता रहता है,

बदली सरकार, बदला मिजाज
पंजाब असेंबली में धक्कामुक्की
दो विधायक बेहोश
उतर गई थी दस्तारें

22 जून को विधानसभा का सत्र जारी था , यूं तो विपक्ष पर हंगामा करने का आरोप लगता ही रहता है, लेकिन 22 जून को जारी विधान सत्र के दौरान खूब हंगामा हुआ. विधानसभा में पहली बार मार्शल से धक्कामुक्की के दौरान महिला विधायक की बाजू में चोटें आई इस दौरान दो विधायक बेहोश भी हो गए, वहीं 5 विधायकों की दस्तारें भी उतर गई.

वादा तेरा वादा...

कैप्टन सरकार ने अपने कितने वादे किए पूरे ?

पंजाब में सत्‍तासीन हुए कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्‍व वाली कैबिनेट की पहली बैठक में कई महत्‍वपूर्ण फैसले किए गए थे। कैबिनेट ने अपनी पहली ही बैठक में नशा पर हमला किया। और जल्द खात्मे की बात कही थी,  कैप्टन सरकार ने कई मसलों से ज्यादा पर चुनाव लड़ा था.
10 महीने की सरकार ने 10 वादे भी नहीं किए पूरे
1.   
                किसान कर्ज फाफी
2.       युवाओं को 2500 रुपए महीना बेरोजगारी भत्ता
3.       30 लाख स्मार्ट फोन
4.       फसल का 12 हजार रुपए/एकड़ मुआवजा
5.       12वीं तक की फ्री बुक्स
6.       सरकारी प्राईमरी स्कूलों में फर्नीचर
7.       हेल्थ इंशयोरेंस
8.       छठा वेतन आयोग
9.       सस्ती चाय पती-चीनी
         इंडस्ट्री को 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली

क्या हुआ तेरा वादा

पंजाब सरकार को सत्ता में आए 10 महीने हो गए हैं. लेकिन सत्ता में 10 साल बाद सरकार को शायद जीत हाजम नहीं हो रही है..और अब तक 10 वादे भी पूरे नहीं कर पाई है.

नशे को खत्म करने की कसम का सच !
कैप्टन सरकार की 4 हफ्ते की सियासी कसम !
न नशा खत्म हुआ और न ही नशे की लत !
नशे के खात्मे के लिए बनी STF!

सबसे बड़ा मुद्दा सरकार बनने के बाद नशा का खात्मा करने का रहा. सरकार ने नशे के खात्मे के लिए STF बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ से पंजाब में नशे का खात्मा करने आए हरप्रीत सिहं भी, नशे पर रोक न लगा पाए.

कर्ज होगा कब माफ!

नए साल में कर्ज माफी किस्त देने की कही है बात

किसान परेशान, दे रहा जान!

पंजाब सरकार ने किसान कर्ज माफी की बात कही लेकिन सिर्फ चर्चाएं ही आई, पंजाब का अन्नदाता उम्मीद के सहारे बैठा रहा कि आज नहीं कल कर्ज माफ होगा, उम्मीद के सहारे दिन महीनों में बदल गए लेकिन अब साल बाद कर्ज माफी करने की बात पंजाब सरकार की और से कही गई है. पंजाब वित्त मंत्री की माने तो नए साल में किसान कर्ज माफी की किस्त जारी की जा सकती है. सरकार  के कर्ज माफी जैसे- जैसे दिन बढ़ते गए , वैसे-वैसे पंजाब में किसान खुदकुशियों का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया.

अभी ये हाल

343 किसान खुदकुशी कर चुके हैं 9 महीने मेः विपक्ष

नवंबर में खुदकुशी करने वाले किसान 289 बताए गए थे

कैप्टन सरकार का दावा है कि 100 किसाने ने खुदकुशी की थी

10.25 लाख किसानों के फसली कर्ज के लिए 9500 रुपए माफ होने हैं

हाल किसानों का बेहाल है- और किसानों कर्ज से परेशान होकर जान दे रहा है. फसल की पैदावार कम हो रही है, अक्सर किसान बिजली के मसले को लेकर भी कहता है कि बिजली के कट ज्यादा लगने से फसल को पानी नहीं मिल पता जिस कारण धान की फसल की पैदावार में कमी आ जाती है. बिजली के कटों से परेशान किसान घर- और आंगन में तो अंधेरा होता ही है, देखते ही देखते कर्ज उसकी जिंदगी में भी अंधेरा ला देता है , और किसान की आंखों को कालरुपी कर्ज हमेशा के लिए बंद कर देता है. जो पीड़ित किसान परिवार के अंधेरे के आगोष में भेज देता है,क्योंकि सरकार उद्योगपतियों की बहाली के लिए बिजली की दरों में कमी करने के लिए प्रयत्नशील है,

घरेलू बिजली महंगी करने की वजह क्या ?
क्या चुनावी वादों की पूर्ति के लिए डाला जनता पर बोझ ?
थर्मल प्लांट बंद करने से होगा फायदा ?
बिजली महकमे से राणा गुरजीत के कितने हित जुड़े ?
माइनिंग मामले में क्यों विरोधियों के निशाने पर राणा गुरजीत ?

पंजाब सरकार उद्योगपतियों की बहाली के लिए लगातार प्रयासरत है,  9 महीने से पंजाब में उद्योगों की राह बनाने के लिए पंजाब सरकार जुटी हुई है, उद्योगपतियों को पंजाब सरकार 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली की दर से देना चाहती है, लेकिन एक कहावत है. 9 दिन अढाई कोस दूर – यानि सरकार प्लान तो बहुत कर रही है, लेकिन बात –बात पर आर्थिक हालात ठीक न होने का राग आलाप देती है.

पंजाब सरकार के खजाने में नहीं है माल !
3 साल, ऐसा ही रहेगा हाल !

पंजाब में अगले तीन साल ऐसे ही गुजरेंगे जैसे गुजर रहे हैं यानी कि मंदहाली और गुरर्बत के जो दिन पंजाब सरकार के बीत रहे हैं वैसे ही अगले 3 साल भी बीतेंगे..ये हम नहीं बल्कि खुद पंजाब के खज़ाना मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कह रहे हैं,...

दरअसल, मनप्रीत बादल पंजाब कैबिनेट की मीटिंग के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दे रहे थे....इसी दौरान जब उनसे पूछा गया कि सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर पा रही है...किसान कर्जमाफी की पहली ही किश्त जारी होने में तारीख मिलती जा रही हैं....युवाओं को स्मार्टफोन जैसे तमाम वादे हैं जो पूरे नहीं हो पा रहे हैं तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पंजाब के अगले 3 साल ऐसा ही बीतेंगे क्योंकि हमारी माली हालत ठीक नहीं है..

 पंजाब के खज़ाना मंत्री मनप्रीत बादल ने खजाना खाली होने का हवाला देते हुए जब ये ज़ाहिर कर दिया कि अब अगले तीन साल तक उनसे ऐसा कोई सवाल न पूछा जाए तो हमने पंजाब के कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत से सवाल पूछा तो वो भी कुछ कुछ यही कहते नज़र आए...

हालांकि कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका ने भी बात यो लगभग यही कही लेकिन उनका लहज़ा थोड़ा सा दुहाई वाला था..अब बड़ा सवाल यहां पर ये उठता है कि अगर पंजाब की माली हालत ठीक नहीं है और अगले 3 साल ऐसा ही हाल रहने वाला है तो इसमें गौर करने वाली बात ये है कि सरकार अपने वादे कैसे पूरे करेगी जो सत्ता में आने से पहले किए गए थे...मसलन

किसान की पूर्णरूप से कर्जमाफी
युवाओं को स्मार्टफोन
बेरोजगार युवाओं को 2500 रुपए बेरोज़गारी भत्ता
बेघर दलितों को मुफ्त में आवास मुहैया कराने का वादा
ओलंपिक के गोल्ड विनर को 6 करोड़ रुपए दिए जाएंगे

ऐसे और भी कई वादे हैं जो कि बिना पैसों के पूरे नहीं किए जा सकते....अब तय सरकार को करना है कि प्रदेश की जनता को माली हालत का हवाला देकर समय काटने को कहना है या फिर अपने ही किए गए वादों को पूरा करना है...
न्यूज डेस्क रिपोर्ट लिविंग इंडिया न्यूज

लालबत्‍ती संस्‍कृति खत्‍म
कैबिनेट ने राज्‍य में वीआइपी कल्‍चर भी खत्‍म करने का भी फैसला किया। इसके तहत मुख्‍यमंत्री, मंत्री और नौकरशाह लाल या अन्‍य रंग की बत्‍ती लगी गाड़ी का इस्‍तेमाल नहीं करेंगे।