वरिष्ठ पत्रकार प्रसून बाजपेयी ढूंढ रहे है नौकरी या दिला रहे हैं नौकरी !
होकर स्वतंत्र मैने कब चाहा है कर लूँ सब को गुलाम ?
मैंने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को ग़ुलाम ।
गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किया?
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर में नरसंहार किया?
-अटल बिहारी वाजपेयी ( हिन्दु तन-मन )
कविता के साथ ये पंक्तियाँ किसने कहाँ लिखीं ज्यादातर पत्रकार बंधु जानते ही होंगे। या शायद अब नज़र पढ़ जाए। वैसे बुधवार रात से वीरवार शाम तक हमे लगा की हर राज्य में सबका प्राइम टाइम अब या डिवेट शो अटल जी की जीवनी पर ही होंगे लेकिन सोच को मात मिल ही गई. लेकिन मुद्दा मिल गया और फिर क्या चर्चा शुरू - अटल की टककर का नेता क्या भाजपा के पास है। जमकर इसपर भी सियासत के तीर-कमान चलाए गए. टीवी शो में बेशक नहीं लेकिन उसके बाहर जरूर, अब सियासत हुई तब नज़र पुण्या प्रसून बाजपेयी जी की पोस्ट फिर लगा की अब प्रसून जी नौकरी ढूंढ रहे है या रोजगार समाचार ज्वाइन कर लिया है। लगा कुछ ऐसा है क्यूंकि उनके द्वारा जो हाल ही में पोस्ट ज्वाइन की गई हैं। उनको देखकर यही लगता है। केंद्र सरकार की पोल ढोल की थाप के बिना खोलने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी कहाँ है , अभी कुछ खबर नहीं। स्क्रीन पर हर किसी को इंतज़ार रहता है. ग्रामीण स्तर पर अब अगर रविश कुमार भी किसी दिन टीवी पर न दिखे तो सुबह को गांव की बस स्टैंड पर बनी दुकान में यही चर्चा होती है. भाई साहब रात रविश कुमार नहीं दिखे, जाहिर है की अब गांव के उम्र दराज़ लोगों को भी अब यही चिंता रहती है की कहीं रविश कुमार का पता न कट हो जाए। लेकिन हाँ अब प्रसून साहब की पोस्ट से यही ब्यान होता है कि या तो वो नौकरी ढूंढ रहे हैं या फिर रोजगार समाचार ज्वाइन किए हुए है. -
बाजपेयी जी के ट्वीट
सारा ख़र्च राजनीतिक सत्ता पर.. ख़ाली पदों तक पर भर्ती नहीं..? सिस्टम लचर होगा ही
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी - 1219 पद रिक्त आईआईटी - 2669 पद रिक्त एनआईटी - 1507 पद रिक्त आईपीएस/आईएएस- 2434 पद रिक्त जारी...पुलिस -4,43,524 रिक्त पद सेना/अर्धसैनिक बल - 65,699 रिक्त पद सरकारी शिक्षक—10,27,413 रिक्त पद ग्रामिण भारत में डॉ./नर्स-72,150पद रिक्त पोस्ट आफिस - 49,349 पद रिक्त बैक - 16,560 पद रिक्त जारी....
सही मायने में प्रसून जी के ये ट्वीट उन पर कोई टिप्पणी नहीं है , लेकिन जो गोदी मिडिया हो रही है उससे लग रहा है कि आने वाले वक्त में इस तरह मिडिया कर्मी भी राजनीती की भेंट चढ़ेंगे। और इस तरह की टिप्पणियां की जाया करेंगे। वैसे भी हमे नहीं लगता की वर्तमान में प्रसून जी जैसे स्वतंत्र पत्रकार जो बोल सकें गिने चुने ही होंगे। लेकिन देश के कुछ युवाओं को उनके ट्वीट का फल मिलेगा और कुछेक यहाँ भी सिफारश पहुंचेंगे। जो आए होंगे अपने किसी पूजनीय के क़दमों पर चंद कागज के वो टुकड़े रखकर जिनके बल के आगे प्रसून जी कमजोर हुए और आज भी नौकरी ढूंढ रहे हैं , युवाओं के लिए की सरकार ने जो रोजगार देने का वादा किया वो निभाए तो सही। धन्यवाद प्रसून सर युवा पत्रकार सुनील के हिमाचली
होकर स्वतंत्र मैने कब चाहा है कर लूँ सब को गुलाम ?
मैंने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को ग़ुलाम ।
गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किया?
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर में नरसंहार किया?
-अटल बिहारी वाजपेयी ( हिन्दु तन-मन )
कविता के साथ ये पंक्तियाँ किसने कहाँ लिखीं ज्यादातर पत्रकार बंधु जानते ही होंगे। या शायद अब नज़र पढ़ जाए। वैसे बुधवार रात से वीरवार शाम तक हमे लगा की हर राज्य में सबका प्राइम टाइम अब या डिवेट शो अटल जी की जीवनी पर ही होंगे लेकिन सोच को मात मिल ही गई. लेकिन मुद्दा मिल गया और फिर क्या चर्चा शुरू - अटल की टककर का नेता क्या भाजपा के पास है। जमकर इसपर भी सियासत के तीर-कमान चलाए गए. टीवी शो में बेशक नहीं लेकिन उसके बाहर जरूर, अब सियासत हुई तब नज़र पुण्या प्रसून बाजपेयी जी की पोस्ट फिर लगा की अब प्रसून जी नौकरी ढूंढ रहे है या रोजगार समाचार ज्वाइन कर लिया है। लगा कुछ ऐसा है क्यूंकि उनके द्वारा जो हाल ही में पोस्ट ज्वाइन की गई हैं। उनको देखकर यही लगता है। केंद्र सरकार की पोल ढोल की थाप के बिना खोलने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी कहाँ है , अभी कुछ खबर नहीं। स्क्रीन पर हर किसी को इंतज़ार रहता है. ग्रामीण स्तर पर अब अगर रविश कुमार भी किसी दिन टीवी पर न दिखे तो सुबह को गांव की बस स्टैंड पर बनी दुकान में यही चर्चा होती है. भाई साहब रात रविश कुमार नहीं दिखे, जाहिर है की अब गांव के उम्र दराज़ लोगों को भी अब यही चिंता रहती है की कहीं रविश कुमार का पता न कट हो जाए। लेकिन हाँ अब प्रसून साहब की पोस्ट से यही ब्यान होता है कि या तो वो नौकरी ढूंढ रहे हैं या फिर रोजगार समाचार ज्वाइन किए हुए है. -
बाजपेयी जी के ट्वीट
सारा ख़र्च राजनीतिक सत्ता पर.. ख़ाली पदों तक पर भर्ती नहीं..? सिस्टम लचर होगा ही
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी - 1219 पद रिक्त आईआईटी - 2669 पद रिक्त एनआईटी - 1507 पद रिक्त आईपीएस/आईएएस- 2434 पद रिक्त जारी...पुलिस -4,43,524 रिक्त पद सेना/अर्धसैनिक बल - 65,699 रिक्त पद सरकारी शिक्षक—10,27,413 रिक्त पद ग्रामिण भारत में डॉ./नर्स-72,150पद रिक्त पोस्ट आफिस - 49,349 पद रिक्त बैक - 16,560 पद रिक्त जारी....
सही मायने में प्रसून जी के ये ट्वीट उन पर कोई टिप्पणी नहीं है , लेकिन जो गोदी मिडिया हो रही है उससे लग रहा है कि आने वाले वक्त में इस तरह मिडिया कर्मी भी राजनीती की भेंट चढ़ेंगे। और इस तरह की टिप्पणियां की जाया करेंगे। वैसे भी हमे नहीं लगता की वर्तमान में प्रसून जी जैसे स्वतंत्र पत्रकार जो बोल सकें गिने चुने ही होंगे। लेकिन देश के कुछ युवाओं को उनके ट्वीट का फल मिलेगा और कुछेक यहाँ भी सिफारश पहुंचेंगे। जो आए होंगे अपने किसी पूजनीय के क़दमों पर चंद कागज के वो टुकड़े रखकर जिनके बल के आगे प्रसून जी कमजोर हुए और आज भी नौकरी ढूंढ रहे हैं , युवाओं के लिए की सरकार ने जो रोजगार देने का वादा किया वो निभाए तो सही। धन्यवाद प्रसून सर युवा पत्रकार सुनील के हिमाचली