गुरुवार, 16 अगस्त 2018

वरिष्ठ पत्रकार प्रसून बाजपेयी ढूंढ रहे है नौकरी या दिला रहे हैं नौकरी !

वरिष्ठ पत्रकार प्रसून बाजपेयी ढूंढ रहे है नौकरी या दिला रहे हैं नौकरी !

 होकर स्वतंत्र मैने कब चाहा है कर लूँ सब को गुलाम ?
मैंने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को ग़ुलाम ।
 गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किया?
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर में नरसंहार किया?
-अटल बिहारी वाजपेयी ( हिन्दु तन-मन )

कविता के साथ ये पंक्तियाँ किसने कहाँ लिखीं ज्यादातर पत्रकार बंधु जानते ही होंगे। या शायद अब नज़र पढ़ जाए। वैसे बुधवार रात से वीरवार शाम तक हमे लगा की हर राज्य में सबका प्राइम टाइम अब या डिवेट शो अटल जी की जीवनी पर ही होंगे लेकिन सोच को मात मिल ही गई. लेकिन मुद्दा मिल गया और फिर क्या चर्चा शुरू - अटल की टककर का नेता क्या भाजपा के पास है। जमकर इसपर भी सियासत के तीर-कमान चलाए गए. टीवी शो में बेशक नहीं लेकिन उसके बाहर जरूर, अब सियासत हुई तब नज़र पुण्या प्रसून बाजपेयी जी की पोस्ट फिर लगा की अब प्रसून जी नौकरी ढूंढ रहे है या रोजगार समाचार ज्वाइन कर लिया है। लगा कुछ ऐसा है क्यूंकि उनके द्वारा जो हाल ही में पोस्ट ज्वाइन की गई हैं। उनको देखकर यही लगता है। केंद्र सरकार की पोल ढोल की थाप के बिना खोलने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी कहाँ है , अभी कुछ खबर नहीं। स्क्रीन पर हर किसी को इंतज़ार रहता है. ग्रामीण स्तर पर अब अगर रविश कुमार भी किसी दिन टीवी पर न दिखे तो सुबह को गांव की बस स्टैंड पर बनी दुकान में यही चर्चा होती है. भाई साहब रात रविश कुमार नहीं दिखे, जाहिर है की अब गांव के उम्र दराज़ लोगों को भी अब यही चिंता रहती है की कहीं रविश कुमार का पता न कट हो जाए। लेकिन हाँ अब प्रसून साहब की पोस्ट से यही ब्यान होता है कि या तो वो नौकरी ढूंढ रहे हैं या फिर रोजगार समाचार ज्वाइन किए हुए है. -
 बाजपेयी जी के ट्वीट
सारा ख़र्च राजनीतिक सत्ता पर.. ख़ाली पदों तक पर भर्ती नहीं..? सिस्टम लचर होगा ही

सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी - 1219 पद रिक्त आईआईटी - 2669 पद रिक्त एनआईटी - 1507 पद रिक्त आईपीएस/आईएएस- 2434 पद रिक्त जारी...पुलिस -4,43,524 रिक्त पद सेना/अर्धसैनिक बल - 65,699 रिक्त पद सरकारी शिक्षक—10,27,413 रिक्त पद ग्रामिण भारत में डॉ./नर्स-72,150पद रिक्त पोस्ट आफिस - 49,349 पद रिक्त बैक - 16,560 पद रिक्त जारी....

 सही मायने में प्रसून जी के ये ट्वीट उन पर कोई टिप्पणी नहीं है , लेकिन जो गोदी मिडिया हो रही है उससे लग रहा है कि आने वाले वक्त में इस तरह मिडिया कर्मी भी राजनीती की भेंट चढ़ेंगे। और इस तरह की टिप्पणियां की जाया करेंगे। वैसे भी हमे नहीं लगता की वर्तमान में प्रसून जी जैसे स्वतंत्र पत्रकार जो बोल सकें गिने चुने ही होंगे। लेकिन देश के कुछ युवाओं को उनके ट्वीट का फल मिलेगा और कुछेक यहाँ भी सिफारश पहुंचेंगे। जो आए होंगे अपने किसी पूजनीय के क़दमों पर चंद कागज के वो टुकड़े रखकर जिनके बल के आगे प्रसून जी कमजोर हुए और आज भी नौकरी ढूंढ रहे हैं , युवाओं के लिए की सरकार ने जो रोजगार देने का वादा किया वो निभाए तो सही। धन्यवाद प्रसून सर युवा पत्रकार सुनील के हिमाचली

21वीं सदी की आजाद देश में गुलाम जवान गजल ?

बधाई हो देश 72 स्वतंत्रता दिवस मना चूका है. क्रम यूं ही बढ़ता जाएगा. खुशी जीतनी हमें है उतनी शायद आने वाली पीढ़ी को नहीं होगी. इसमें कोई दोराय नहीं . वैसे भी 21वीं सदी अब जवां हो गई है. 2018 चला हुआ है. ठीक वैसे ही जैसे लड़की की उम्र 18 साल की हो जाए . तब चिंता होती है कि इसे देखकर कहीं पड़ोसी की नियत खराब न हो जाए. वैसे भी हमारे पडोसी की नियत कब खराब हो जाए और कब सीजफायर का उल्लंघन कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता है.

अब 21वीं सदी जवां है और कानून के मुताबिक 18 साल की भी हो चूकी है. अब शादी की बातें  करना जरुरी है. वैसे भी स्वतंत्र देश के वासी है लेकिन 18 साल बाद भी हक नहीं कि बेटी कोई फैसला ले सके. चलिए जाने दीजिए हमें क्या- हरकोई लिखता है, बोलता है लेकिन समाज सुधरेगा थोड़ी, चलो एेसे तैसे लड़की ने फैसले को लेकर परिवार को मना लिया . लेकिन रिश्तेदार वो तो ऐसे एंट्री मारते हैं जैसे - क्रिकेट मैच चल रहा हो और टीवी की आवाज सुनते ही पड़ोसी घर में एंट्री मार गया हो. अब भई फिर आपको पता है जब इंटरस्ट की बात हो तो सबको मजा आता है. और किसी के पंखो को कतरना हो तो इससे भला बेहतर वर्तमान मेें हो क्या सकता है.

लड़का 18 का हो या 21 का कोई फर्क नहीं. उसकी जिंदगी में कोई जर्क नहीं. लेकिन भई लड़की को पढाया-लिखाया और फिर घर पर बिठाया.अगर चार दिन कहीं बाहर चली गई तो बादलों के पीछे छिपे रहने वाले चांद को बारे में नहीं पूछेंगे. चाहे दिन में सूरज 10 दिन तक न दिखे उसके बारे में चर्चा शुरु हो जाती है. और वो भी गली-गली

और वैसा ही आज भी स्वतंत्र देश की गुलाम लड़कियों के साथ होता है. 10 को अगर हम आजाद भारत में देखते हैं तो उनमें से 8 भी कड़े संघर्ष और दृढ़ निश्चय की देन हैं.  और 2या 3 ही आजादी की आदरणीय होती है.

अब मसला लड़कियों का है लड़की को यह रोना -रोना चाहिए. भई ऐसा बिल्कुल नहीं है. अच्छा आपने कभी गज़ल सुनी है. उसकी पंक्तियों को पढ़ा है,  किस तरह से गालिब ने उसको संजोया होता है, वैसे ही एक गज़ल को हम भी जानते हैं, और उस जैसी कई और भी गज़ल को हम जानते होंगे जो हमारे जीवन में अलग-अलग किरदार में मिली होंगी या मिलेंगी.

गजल न तो 18 साल की है और न ही 21 दोनों ही भारतीय कानून के जो भी प्रावधान है उससे ज्यादा उम्र की है 22 साल उसकी उम्र है. लेकिन आज भी वो आजादी की लड़ाई लड़ रही है. वो लड़ाई जो उसने सपने देखे हैं. जिन सपनो के हकीकत करने के लिए वो जी तोड़ मेहनत कर रही है. लेकिन आज भी शायद शाम को परिवार और समाजिक परिवेश में चार बातों का शिकार होना पड़ता है.

सुबह घर से निकलते वक्त मां का संदेशा होता होगा- बस में आराम से उतरना -चढ़ना. भाई का दुलार और पिता के दिल में एक चिंता की आग. सारा दिन यही ख्याल घूमता होगा जब भी गजल का ख्याल आता होगा. और हमारी गजल अब 8-10 घंटे घर से बाहर दुनिया को समझ रही है. दुनिया से तालमेल बनाने की कौशिश कर ही है. वो अकेली लड़की नहीं है ऐसी लाखों है. जो अपनी आजादी के लिए दुनिया से तालमेल मिला रही हैं.

पर वो अभी भी कनफ्यूज हैं वो आंटी जो सुबह रास्ते में मिले हैं. उनको  चिंता कैसी- जैस पाकिस्तान में आज भी यही पता नहीं कि पाकिस्तान को आजादी 14 अगस्त को मिली या 15 अगस्त को.  ठीक वैसे ही आंटी भी जितने मुंह उतनी बातों वाला किरदार निभा रही हैं. और रहेंगी. अब अंकुश कैसे लगेगा ये चलता ही रहेगा. So Just Ignore & Finally FUCK OFF जिसको जो बोलना है बोले जाओ... अब आजादी तो ऐसे आजाद देश में मिलने से रही. जहां सपनो को साकार करने से पहले भी हाथ जोड़ो..
सपनो के द्वार पर भी हाथ जोड़ो और बाद में भी हाथ जोड़ते रहो. क्योंकि भई सृजन जो करना है. और तब तक दिमाग में कीड़ा जन्म ले लेता है कि दोस्त क्या कहेंगे अगर जॉब छोडी, जो बनना है नहीं बन पाई, एंड ऑल दीज काइंड ऑफ फकिंग थिंग्स.
अब परिवार की भी चिंता है. रिश्तेदार की भी, अब हो गया है गजल को सारे समाज का ठेका, और अब ठेकेदार बन गई है, और सपना 50 फीसदी और 50 फीसदी रहा समाज-बाकि की उलझने.. ऐसे में सपनों को हकीकत का  रुप देना है. आजाद देश में गुलाम गजल .

अब गुलामी की जंजीरों को तोड़ना है और खुद से नाता जोेड़ना है तो खुद से खुश रहना सीखो. टारगेट करो अपने फॉक्स में ताकि परिवार के साथ अपना विकास हो सके. नहीं तो जुमले बाजी की राजनीति आजादी के बाद से खूब चली आ रही है. कोई आपको जाने या न जाने खुद को जाने और एक के बाद एक मंजिल को तय करो.
फिर बनों 21वीं सदी में आजाद देश की आजाद गजल , जवान गजल




वो अटल है, जो आज मौन है | #AtalBihariVajpayee #अटल_बिहारी_वाजपेयी | अटल बिहारी वाजपेयी

वो अटल है, जो आज मौन है
देश  फिर भी गूगल कर रहा
वो कौन है
वो अटल है, जो आज मौन है

चंद सांसे बाकि है अभी जिंदगी की
यम में भी दम नहीं अब
समझ गया है, जान गया
वो अटल है जो मौन है

सांस दर सांस खबर आ रही है
कहीं सच्ची, कहीं झूठी
की-बोर्ड से लिख
स्क्रीन पर फैलाई जा रही है

कहीं जिंदा इंसान को ही RIP
कहीं दुआओं की पंक्ति सजाई जा रही है
अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी
एक भाषण दे जाओ-
देश में गूंज दमदार आवाज की सुनाई जा रही है
आज हवा भी अलग ही धुन में गाए जा रही है

देर रात को चालाकी से चांद ने खुद देखा वो चेहरा
जिसे देखने के लिए सूरज के उजाले में
दुनिया आज गोते लगाए जा रही है
मोदी भी मायूस दिखे-
कुदरत करवट लेते हुए कुछ समझाए जा रही है

यहां बैठा सुनील समझ नहीं आ रहा
अलफाज वाक्य में हैं अटल
 जो रुह लिखाए जा रही है
फिर मौत आज आए या कल
बस- अंतिम सांसों में उलझन न आए
रुह जाकर प्रभु के चरणो से लिपट जाए
जिस्म ये मेरे गांव की माटी में मिल जाए

फिर साल में दो दफा ही तारीख पर पूछोगे
वो अब मौन नहीं, वो अटल कौन है
कुछ किस्से, कुछ बाते- किताबों में मिलेंगी
अटल को बताएगा गुगल कौन है....
जो....... 
अटल बिहारी वाजपेयी
 #AtalBihariVajpayee
#अटल_बिहारी_वाजपेयी