मंगलवार, 11 सितंबर 2018

खूबसूरती आपकी शैल्फी में नहीं दिमाग में चाहिए जनाब, फिर लगेगी आग



खूबसूरती आपकी शैल्फी में नहीं दिमाग में चाहिए जनाब, फिर लगेगी आग

एक बात गौर की कभी- दो-चार दिन बाद लड़कों के फोन सिर्फ खराब होते हैं. लेकिन लड़कियों का फोन सीधा ब्लास्ट ही होता है. क्योंकि लड़की की डीपी और पिक्स लड़के छुप-छुप कर देखते हैं. फिर जो खूबसूती लड़की की होती है उसे मोबाइल फोन सहन नहीं कर पाता और ब्लास्ट हो जाता है. ब्लास्ट की स्थिति से पहले कभी किसी लड़की से पूछिएगा कि यार रिप्लाई क्यों नहीं कर रही हो. वो यही बोलेगी -फोन हैंग हो गया था.
भई अब हैंग होना लाजमी है- क्योंकि इतने फीचर आईफोन भी स्पोट नहीं करता फिर एंडरोइड कैसे कर लेगा. लेकिन इस खूबसूरती को कैद करने के चक्कर में मर्द जात की पतलून अब सैट दिखने लगी है. आपने एक-दो साल पहले देखा होगा कि लड़के इस तरह से पैंट बांधा करते थे जैसे पतलून नीचे ही गिरने वाला हो, वो इसलिए की उस वक्त जेब में पैसा हुआ करता था. लेकिन नोट बंदी के बाद भई बंदी (गर्लफ्रैंड) के  चक्कर में कई लोग ड्रैसअप सीख गए. अब पैंट सैट है लेकिन आए दिन फोन खराब हो रहा. यही कारण है कि प्रकृति की सुंदरता जैसे कश्मीर को जन्नत कहा जाता है. धौलाधार की पहाडिया, कई ऐसे स्थल - शायद धरती की खूबसूरती को देख आस- पास के ग्रह ही नहीं. धरती के भीतर भी जलन हो रही है क्योंकि उन्होंने शायद खूबसूती को महसूस किया है, धरती के बाहर से-  अंदर जो जीव जाते हैं वो बताते होंगे - तभी धरती के अंदर आग लगी हुई है-- हां - समझ आया ग्लोबल बार्मिंग क्यों हो रही है. क्योंकि 'धरती पर कुछेक चीजें हैं ही इतनी खूबसूरत;'

अब इस खूबसूरती को देख कर आप क्या सोचते हो - आप पर डिपेंड है, अगर धरती की खूबसूरती को बचाए रखना है, तब हमें पौधे लगाने होंगे. पर्यारवरण के बारे में आप हमसे ज्ञानी हो. और खूबसूरती की गालिब बात ही क्या करें- लड़कों में ही नहीं लड़कियों में भी डैसिंग लूक की चर्चा होती है. इसमें कोई दौराय नहीं.   अब ग्लोबल वार्मिंग से भी खतरनाक वाली स्थिति लड़के और लड़कियों में पैदा हो जाती है जब वो शैल्फी लेते हैं. माईलोर्ड- नोट दैट प्वाइंट - शैल्फी -

और शैल्फी भी ऐसी कीः आपने तरह - तरह के शायद हमसे बेहतर एंगल देखे होंगे या आपने भी बनाए होंगे- जिन्हें देख खूबसूरती की मिशाल भी नहीं दी जा सकती उसे भी आग लग जाए. शैल्फी का जिक्र करते अब लिखते-लिखते पुरानी याद और अल्फाज ताजा हो गए- दो साल पहले (2016) चंडीगढ़ स्थित रोज गार्डन में रोज़ फैस्टिवल देखने का मौका मिला दो अजीज दोस्तों के साथ (ज्योति अर्पिता) उस दौरान की खींची गई शैल्फी को पोस्ट करते वक्त लिखा था. - शैल्फी लेना सिर्फ एक सैकेंड का काम है, वक्त इमेज बनाने में लग जाता है.- पंक्ति काफी अच्छी है, अमल भी कीजिएगा.

ठीक शैल्फी का जिक्र आज के पोस्ट में भी है. क्योंकि न जाने कितने ही लड़के और लड़कियां एक-दूसरे की सैल्फी के मुरीद है. लेकिन मुरीद कुछ पल बाद मुर्दा हो जाती है क्योंकि उतनी देर में अगली पोस्ट का पोस्टमार्टम हमारी उंगलियां फोन या टैब पर कर रही होती है.  नैचुरल है भई - जरा न सोचिए
अब जो पोस्टमार्टम करते हैं गालिब उसकी मेडिकल रिपोर्ट के बारे में कभी जिक्र किया जाए, बैठे-बिठाए बंदे का हार्ट फेल हो जाए. इसलिए कभी किसी की खूबसूरती, आवाज पर कॉमेंट जरा सोच समझ कर कीजिएगा. तब बेहतर है कई दफा किसी करीबी को वह टिप्पणी आहत कर जाती है. अनेकों पोस्ट आपने भी देखीं होंगी जिनको देख आपका भी जहन कहता होगा यार गलत लिखा है, नहीं लिखना चाहिए था ऐसा... वैसे हम कभी किसी व्यक्ति -विशेष पर टिप्पणी करते नहीं. उम्मीद आपसे भी यही रखेंगे. अब मोदी सरकार के चाहे आप लेपेटे में लीजिएगा या मंगलसूत्र फिर पहनाइएगा आप पर डिपेंड है. लेकिन सार्वजनिक तौर पर ब्यानबाजी आजकल सोशल मीडिया ही नहीं हमारे अंदर भी क्रांति ला सकती है. सब डिपेंड करता है आप पर पॉजिटिव या नेगटिव वे में- ब्यानबाजी
चलिए अब फोन उठाइए और खूबसूरती का आनंद लीजिए - जिंदगी एक बार मिली है एंजॉय कीजिए , कुछ ऐसा कीजिए की वक्त भी आपका मुरीद होकर इतिहास के पन्नों को खूबसूरती से अंकित करे. न की चार कंधों के ऊपर सवार होकर ये जिस्म स्वाह हो जाए. मतलब फोन बार-बार ठीक हो सकता है, लेकिन ब्लास्ट हुआ फिर महंगा पड़ सकता है.
रिस्पेक्ट गर्लः  खास उनके लिए जो पीठ पीछे लड़कियों की तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं- वो मर्द बनो जिसे औरत चाहे, वो मर्द नहीं जिसे औरत चाहिए.