शहीदों की चिताएं तो जलती है -यहाँ
भी, वहां भी लेकिन फर्क और फ़िक्र किसे है !
1999 के युद्ध के बाद से अब तक न जाने कितने शहीदों को घर आते देख
चूका हूँ। कितने तिरंगे में लिपटे बेजान बेटे को लिपटते हुए माँ को देख चूका हूँ।
शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा पास ही के गांव के रहने वाले थे। जिस वक्त उनको शहीदी प्राप्त हुई उस वक्त ज्ञान
नहीं था क्या है युद्ध और क्या है सीमा ? हाँ धीरे-धीरे समाज ने सब सीखा दिया , यहाँ मेरा
गांव है ,यहाँ मेरी दलीज़ है , यह मेरे देश है और भारत के मेप से ज्ञात कर लिया ये भारत और
यह पाकिस्तान है। थोड़ी बहुत कमी फिल्मों
ने पूरी कर दी। धीरे -धीरे सोच भी पाकिस्तान के प्रति वैसी ही बनती गई जैसा बताया
गया। बचपन से ही भारतीय हूँ सबने सिखाया।
लेकिन खुद ही जान सका आज की सबसे पहले क्या मै एक अच्छा इंसान हूँ ? अगर मै एक
अच्छा इंसान हूँ तभी एक भारतीय हूँ।
राष्ट्र कोई भी है देशवासी को जान से
प्यारा होता है। कोई ऐसी ख़बरें भी देखता
हूँ जिसमे राष्ट्र के प्रतिक को आग के
हवाले करने में देरी नहीं लगाई जाती। किसी व्यक्ति विशेष या दल का जिक्र नहीं करूँगा लेकिन किसी भी देश के लिए
उसका झंडा उसकी शान होता है , मानसिकता लोगों की बदली है उनको आग लगाओ किसी देश के प्रतीक
को क्यों आग के हवाले किया जाता है। हर
कोई बुरा नहीं होता - कुछेक बुरे लोगों के कारण खामियाजा पूरी कौम को भुगतना पड़ता
है। और शायद यही आज पाकिस्तान के साथ हो
रहा है. आज कई जगह में लिखा देखता हूँ
पकिस्तन को 'पाक' लिखा जाता है। फिर 'पाक' का मतलब
किनारे कर आगे बढ़ जाता हूँ।
लेकिन आज फिर सुर्ख़ियों में
पाकिस्तान है ,यहाँ ही नहीं पाकिस्तान में खुद पाकिस्तान सुर्खियां बन चुका
है। सिर्फ कुछेक लोगों की मानसिकता के
कारण -मुझे तो ये समझ नहीं आता ये कौन से जिहाद और कौन सी जन्नत की बात करते
है।
मंगलवार को नियंत्रण रेखा पर नौशेरा
सेक्टर में पाकिस्तान की तरफ से मोर्टार दागे गए थे. जिसके चलते इलाके के 9 स्कूलों
में करीब 200 बच्चे और स्कूल स्टाफ से सदस्य फंस गए थे. सभी बच्चे पूरा
दिन स्कूल में फंसे रहे. जिसके बाद बुलेट प्रूफ वाहनों से उन्हें रेस्क्यू किया
गया. हालांकि, किसी भी बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था. वहीं पाकिस्तान
की तरफ हो रही गोलीबारी में सेना के एक जवान की शहादत हो गई थी.वहीं मोगा के रहने
वाले शहीद जवान का नाम जसप्रीत सिंह बताया गया. बुधवार देर शाम उसका शव पैतृक गांव
पहुंचा और उसका अंतिम संस्कार किया गया।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में
बुधवार को पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन किया गया. पुंछ में एलओसी पर
सीमा पार से मोर्टार दाए गए.गोलीबारी का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. इस
गोलीबारी में पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा है. कई पाकिस्तानी सैनिकों के मारे
जाने की भी खबर है. कई घायल भी हुए हैं. खुफिया सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना
ने पीओके में मेढ़र सेक्टर में पाक बंकरों और वाहनों को तबाह किया है.
दोनों देशों के जवान मारे जा रहे है।
फर्क किसे है और फ़िक्र किसे है?
दोनों ही देशों के लोगों को बचपन से एक ही
बात सिखाई जाती है। पाकिस्तान -हिन्दुस्तान आपस में दुश्मन देश है। इतिहास के पन्नों को बदलते -बदलते पता लगता है
कि दोनों देश नहीं थे - एक ही को दो हिस्सों में सियासत के हुक्मरानो ने बाँट दिया
है। और आज इन हुक्मरानों के चेहरे तो बदल
गए है लेकिन मुद्दा वही है - लेकिन और न जाने कितने माँ के बेटे शहीद होंगे और
जिनकी चिताएं सरहद के आर -पार दोनों ही तरफ जलेंगी।
जो क्रूरता पाकिस्तान की और से की
जाती है भुलाई भी नहीं जाती। लेकिन कुछेक
लोगों की नामसमझी के कारण वहां के लोगों को भी शायद अब एक ही नज़र से देखा जाता
है। जिनका कोई कसूर भी नहीं। ऐसा ही भारतीय जनता के साथ भी है। जिसका न जाने कौन सा चेहरा पकिस्तान में दिखाया
जाता है।
हर सुबह वैसे भी यही खबर आती है -
पाकिस्तान की और से फिर सीजफायर का उललंघन किया गया। लगता है एलओसी से सटे इलाकों में रहने वाले
लाखों लोगों ने 50 सालों तक ऐसे हालात के साथ जीना सीख लिया था- पर 264 किमी
लंबे इंटरनेशनल बॉर्डर के लोगों के लिए यह किसी अचंभे से कम नहीं है।‘एक तो
जम्मू सीमा इटरनेशनल बॉर्डर है,
जहां इंटरनेशनल ला लागू होते हैं और दूसरा
कहते हैं कि सीजफायर भी जारी है,’
क्या सच में सीजफायर ऐसा होता है? नागरिकों
को निशाना बना मोर्टार तथा छोटे तोपखानों से गोलों की बरसात करना। दागे गए कई गोले
फूटते हैं तो मासूमों की जानें ले ले लेते हैं। कई अपंग और कई लाचार हो जाते
हैं।जो गोले फूटते नहीं हैं वे गलियों और खेतों में जिन्दा मौत बन कर रहते हैं।
सब पाकिस्तान की और से किया जाता
है। पाकिस्तान में कहा जाता है सब भारत की
और से किया जाता है। नहीं जानता भारत और
पाकिस्तान का भविष्य क्या होगा। क्या ये
दोनों एक होंगे या नहीं। और कोई ये भी नहीं जानता है कि सीजफायर का क्या
भविष्य होगा पर सीमावासियों का भविष्य जरूर खतरे में है। वे रोजाना तिल-तिल कर मर
रहे हैं। सिरों पर पाक सेना के गोलों की बरसात का खतरा मंडरा रहा है तो साथ ही
भूखे मरने की नौबत भी आने लगी है। परेशानी यह है कि राज्य सरकार उनकी मदद उसी
स्थिति में करती है जब युद्ध घोषित हो और इन लोगों की बदकिस्मती यह है कि प्रतिदिन
होने वाला सीजफायर का उल्लंघन उनके लिए
किसी युद्ध से कम नहीं है।
अब कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर
में आतंकियों के खात्मे के लिए अब एक नया प्लान तैयार कर लिया गया है। इस प्लान
के तहत आतंकियों के खात्मे के लिए अब सेना का साथ हाईली स्पेशलाइज फोर्स के
कमांडोज देंगे। यह कमांडो और कोई नहीं बल्कि नौसेना के मरीन कमांडो होंगे। भारत के
मरीन कमांडो दुनिया के बेहतरीन कमांडो दस्ते में गिने जाते हैं। इन्हें मार्कोस
भी कहा जाता है। मुंबई हमले के दौरान ताज होटल पर हुए आतंकी हमले में पहला मोर्चा
संभालने वाले यही कमांडो थे।इन कमांडो को बेहद कड़ी ट्रेनिंग से होकर गुजरना होता
है। मार्कोस जल, थल और वायु सभी जगह ऑपरेशन को अंजाम देने में महारत हासिल
रखते हैं। यह कमांडो यूनिट दुश्मन को बिना भनक लगे उनपर टूट पड़ने में माहिर होती
है। इनके पास हाइटेक वैपंस के साथ कई अन्य उपकरण भी होते हैं। इन्हें बेहद
मुश्किल मिशन जैसे समुद्री लुटेरों को खत्म करने में लगाया जाता है। यही वजह है
कि सेना का साथ देने के लिए अब मार्कोस का इस्तेमाल करने का मन बनाया गया है।
आतंकियों की धर-पकड़ और उन्हें खत्म करने में अब इनका सहयोग लिया जाएगा। लिहाजा
अब आतंकियों का बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा।
चलो उम्मीद है कि आतंकियों का खात्मा हो सके। चैन और शांति कायम हो सके। क्यूंकि आतंकियों से
तो पाकिस्तान भी परेशान है। लेकिन क्या
पाकिस्तान से मधुर संबंध होंगे ये चिंता का विषय न जाने कब तक और कितनी पीढ़ियों तक
रहेगा। उम्मीद पर तो ज़िंदगी कायम है तो
यही सही के कल किसी माँ का बेटा -बेटी शहीद होकर घर न आए और सरहद पर सब सही हो
जाए।