रविवार, 29 जून 2014

utaar pardesh baagpat

बागपत

बागपत उत्तर प्रदेश का जिला है। इस जिले का मुख्यालय बागपत है। ये शहर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। पहले ये व्यागप्रस्थ-टाइगर्स की भूमि के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर बागपत रख दिया गया।

विकास का लेख जोखा

बागपत उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। बागपत को व्यगप्रस्था के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ लैंड ऑफ टाइगर होता है। यह जिला मुजफ्फरपुर जिले के उत्तर, गाजियाबाद जिले के दक्षिण, यमुना नदी और रोहतक के पश्चिम से घिरा हुआ है। एक अलग जिले के रूप में बागपत की स्थापना 1997 ई. में हुई थी। भारत के कई शहरों की तरह ही यह जिला भी नदी क तट पर ही बसाया गया। बागपत यमुना नदी के तट पर स्थित है।

समस्याए :
बागपत मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेतिहर जिले के रूप में जाना जाता है। इस जिले ने देश को राष्ट्रीय स्तर पर कई खिलाड़ी भी दिए हैं। पुलिस-सेना में भी जिले से कई युवा गए हैं। लेकिन बावजूद इसके बागपत को राष्ट्रीय स्तर पर वो पहचान नहीं मिल पाई जो मिलनी चाहिए थी। यहां कई समस्याएं हैं जो इस जिले को आज भी पीछे की ओर ढकेल रही हैं। अवैध रेत खनन पर प्रशासन आज तक रोक नहीं लगा सका है। इसके साथ ही दिल्ली हाईवे की सड़कें खस्ताहाल हैं। जनपद के कई रूटों पर आज भी बस की सुविधा उपलब्ध नहीं है, नहरों में पानी की कमी है, कई स्कूल सालों से प्रयोगशाला कक्ष की मांग कर रहे हैं। दिल्ली-शामली रेलमार्ग के दोहरीकरण का काम अभी भी अधूरा पड़ा है।
ऐसा माना जाता है कि मेरठ के बागपत जिले के रावण उर्फ बड़ागाँव लंकाधिपति रावण ने ही स्थापित किया था। राजस्व रिकॉर्ड में भी यह गांव रावण के नाम से दर्ज है। रविवार को विजयादशमी के अवसर पर बड़ागाँव के प्राचीन मंशा देवी मंदिर में इतिहासकारों ने एक नई मुहिम की शुरुआत की।
इतिहास
इतिहासकारों ने हिमालय से लंका जाने के रावण के मार्ग की खोज के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। इससे इस बात को बल मिलता है कि लंका जाते समय लंकाधिपति रावण उर्फ बड़ागांव से होकर गुजरा होगा। मंदिर में मौजूद विष्णु की मूर्ति की बनावट वाली एक अन्य मूर्ति उदयगिरी की गुफाओं में भी मिली है। इससे पहले प्रारंभिक सर्वेक्षण में इतिहासकारों को मंशा देवी मंदिर के टीले से महाभारतकालीन चित्रित धूसर मृदभांड़, गुप्तकाल की बड़ी-बड़ी ईंटे, टूटे-फूटे बर्तन आदि मिल चुके हैं।