बुधवार, 16 जनवरी 2019

वाह रे जिंदगी... अब तूने नफरत करना भी सीखा दिया

वाह रे जिंदगी
अब तूने नफरत करना भी सीखा दिया
सलीका हम ही को दे दिया
जो नफरत करना भी सीखा दिया
वाह रे जिंदगी

आज होश में हूं
या पहले न था
चंद खुदगर्ज इंसानों के बीच
खुद ही का खुद न था
क्या रे जिंदगी
कैसे राह पर ला दिया
अब तूने नफरत करना भी सीखा दिया


पहले भी करता था शायद
या आज आंखों में सजा दिया
सोच में भी गुस्सा है अब हमारी
क्या किस्सा बना दिया
वाह रे जिंदगी
अब तूने नफरत करना भी सीखा दिया

चंद सिक्कों के खातिर
या जरुरत के मुसाफिर
जो खेल गए हैं हमसे
हमारी ही जिंदगी में आकर
अब कुछ बोल भी सकता नहीं
क्या गए अब झोल कमाकर
वैसे कयामत ही है शायद - ए- जिंदगी
अब तूने नफरत करना भी सीखा दिया