बुधवार, 2 सितंबर 2015

अलविदा पंजाब sunil k himachal

आज फिर चल दूंगा अपनी ही धुन में
एक नए मेह्खाने की और
सकूं तो आएगा ज्ञात नहीं इस रूह को कब
वस कब्र में दबने से पहले
आशियाना बनाऊंगा अपने ही नाम का मै

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