कभी लिखता नहीं परपर बिकता रहता हूँतेरी यादों संगमिटता रहता हूँ ...सोचा था यूँ किआएगी और गले लगा लेगीलेकिन पता नहीं थाआशियाना कहीं और बना लेगी..सौंक उसका मेरी समझ नहीं आयाजख्म आज भी है दिल पर लगायालिए फिरता हूँ आज भी साथ हीइसीलिए अकेलेपन को गम नहीं बनाया .