शिमला को सतर्क होने की जरूरत !
4 अप्रैल 1905 को
आया था प्रलयकारी भूकंप ,शिमला ले नेपाल भूकंप से सीख!,नेपाल में अब तक आए भूकंप के 204 झटके
चंडीगढ़ - सुनील
के. हिमाचली ( सहयोगी पत्रकार)
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 25 मई को
भूकंप के झटके महसूस किए गए। जानकारी के मुताबिक ये झटके लगभग 10 सेकेंड तक आते रहे। जिसके
चलते वर्षों पुरानी याद भी ताज़ा हो गई है ,आपको
बता दें की 25 मई को
सोमवार दोपहर लगभग 1 बजकर 50 मिनट पर आए। प्राप्त जानकारी के अनुसार भूकंप का केंद्र चंबा
के होली में था। रिक्टर पैमाने के अनुसार जिले में 3.3 तीव्रता
वाले झटके महसूस किए गए हैं।हालांकि ज्यादातर लोगों को ये झटके महसूस नहीं हुए
लेकिन बहुमंजिला भवनों में ठहरे लोगों में हड़कंप जरूर मच गया। गौरतलब है कि पिछले
दो महीने के दौरान नेपाल के साथ साथ हिमाचल में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए
हैं। हालांकि यहां किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। हिमाचल प्रदेश में आज से लगभग
एक सौ दस साल और एक महिना 20 दिन पहले कांगडा घाटी में 4 अप्रैल 1905 को आए भूकंप में
527 लोग मारे गए थे ,और हाल
ही में नेपाल आए प्रलयकारी भूकंप में लगभग 9 हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए थे ,वहीँ अब हिमाचल में पहाड़ों की रानी
कहे जाने वाले शिमला पर भी प्राकृतिक आपदा खुदा –न खालसा आए लेकिन उसकी चिंता सताने लगी है ,क्योंकि
राजधानी शिमला
में बेतरतीब तरीके से बनी इमारतों और अतिक्रमणों पर संज्ञान लेते हुए राज्य उच्च
न्यायालय ने निर्माताओं को नेपाल में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकंप से सीख लेने
के लिए कहा। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अधिकतर इमारतें ढलान
पर बनी हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। न्यायालय ने कड़ी
टिप्पणी करते हुए कहा कि नेपाल का विनाशकारी भूकंप भी प्रशासन को नींद से नहीं जगा
पाया है कि वे शिमला में अवैध निर्माण पर रोक लगाएं, जिसकी
वजह से यह पहाड़ी क्षेत्र झुग्गी में तब्दील होता जा रहा है। नेपाल में 25 अप्रैल और 12 मई को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से अबतक 204 झटके आ चुके हैं, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने
पर 4 से ज्यादा मापी गई है। विनाशकारी
भूकंप में 8,000 लोगों की मौत हो चुकी है।गौरतलब है कि पिछले दो महीने के दौरान नेपाल के साथ साथ हिमाचल में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि यहां किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है।नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद बार-बार भूस्खलन हो रहा है। पिछले महीने आए 7.8 तीव्रता के भूकंप में नेपाल में आठ हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीँ हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बेतरतीब तरीके से बनी इमारतों और अतिक्रमणों पर संज्ञान लेते हुए राज्य उच्च न्यायालय ने निर्माताओं को नेपाल में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकंप से सीख लेने के लिए कहा। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं, जो बेहद खतरनाक हैं।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह सुनाए गए अपने 29 पृष्ठों के फैसले में कहा कि हालिया अध्ययनों ने इस बात के
संकेत किए गए हैं कि हिमाचल प्रदेश का अधिकतर हिस्सा भूंकप की दृष्टि से संवेदनशील
क्षेत्र-5 और बाकी हिस्सा क्षेत्र-4 में आते हैं।
लेकिन यह तथ्य भी शिमला में अधिकारियों को नींद से जगा नहीं पाया। पीठ ने शिमला के
बाजारों में हो रहे अतिक्रमण पर स्वत: संज्ञान में लेते हुए कहा कि भूकंप की आशंका
वाला क्षेत्र होने के कारण कभी ब्रिटिश राज की राजधानी रही शिमला में नेपाल जैसे
विनाश के खतरे को नहीं टाला जा सकता।
पीठ ने कहा कि अवैध निर्माण को वैध
नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की हालिया गतिविधियों
पर विचार करते हुए निर्माण संबंधी उपनियमों को संशोधित किया जाना चाहिए। न्यायालय
ने कहा कि अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं। उच्च तीव्रता वाला भूकंप इन घनी
बस्तियों और संकरे रास्तों के लिए घातक होगा। न्यायालय ने कहा कि बेढ़ंगे और अवैध निर्माण के कारण कभी सात खूबसूरत पहाडिय़ों
का नगर रहा यह शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस बात को नकारा
नहीं जा सकता कि बेतरतीब, अनियोजित और अवैध निर्माणों ने पहाड़ी इलाकों, खासतौर से राजधानी शिमला की खूबसूरती को नुकसान पहुंचाया
है। फिर प्रशासन इसे झुग्गी में परिवर्तित करने की अनुमति क्यों दे रहा है? न्यायालय ने शिमला नगर निगम को छह सप्ताह के भीतर सभी अवैध
परियोजनाओं को ध्वस्त करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि शिमला में न सिर्फ
बाजारों, बल्कि सार्वजनिक सड़कों पर भी अतिक्रमण है, जिससे आपातकालीन वाहनों को गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी
होती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि बेढंगे
विकास और पर्यावरणीय ह्रास के बाद भी शिमला को यूनेस्को विशव धरोहर स्थल की सूची में
शामिल होने की उम्मीद है। लेकिन लेकिन क्या वर्तमान परिदृश्य में शहर को यह हैसियत
मिल सकती है? शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने आईएएनए (न्यूज़ एजेंसी) को
बताया कि सरकार कुछ सरकारी कार्यालयों को राजधानी से अलग आस-पास के क्षेत्रों में
ले जाकर, शहर की भीड़-भाड़ कम करने की कोशिश कर रही है।