हड़तालों का देश
बड़ी ख़ामोशी से देखता हूँ दुनिया को
कोई कसर नहीं छोड़ी है.
मसला कोई भी हो
हर मुद्दे पर एक ही बात छेड़ी है ,
हड़ताल , विरोध ने हर राह है घेरी।
मौका परस्तों को भी मौका मिला
शुरू कर दिया वाह-वाही लूटने का शिलशिला
नेता लोग भी बीच मैदान में आए
गले लग- हमदर्दी दिखाए ,
बैठ होते है सुनील जैसे भी
बीच झुंड में नारे लगाए
करके वक़्त बर्बाद
लौट बंधू घर को आए।
पूछ लिया घर वालों ने -
कहाँ जाकर कुर्ते फ़ड़वाए
लेकर नहीं ?
दो गुना बर्बाद करके हो आए।
न काम पर गए - न कुछ जीत के आए।
अरे ! किया होता बैठ के चिंतन थोड़ा -
हल हो जाता मसला सारा ,
मज़बूर हैं जो अब तक समझ न पाए
हल नहीं हड़तालों से
"हड़ताली देश के नागरिक "
हम न बन जाए
सोचों समझों फिर कदम उठाओ
हर कदम अन्ना जी की ओर न ले जाओ।
बड़ी ख़ामोशी से देखता हूँ दुनिया को
कोई कसर नहीं छोड़ी है.
मसला कोई भी हो
हर मुद्दे पर एक ही बात छेड़ी है ,
हड़ताल , विरोध ने हर राह है घेरी।
मौका परस्तों को भी मौका मिला
शुरू कर दिया वाह-वाही लूटने का शिलशिला
नेता लोग भी बीच मैदान में आए
गले लग- हमदर्दी दिखाए ,
बैठ होते है सुनील जैसे भी
बीच झुंड में नारे लगाए
करके वक़्त बर्बाद
लौट बंधू घर को आए।
पूछ लिया घर वालों ने -
कहाँ जाकर कुर्ते फ़ड़वाए
लेकर नहीं ?
दो गुना बर्बाद करके हो आए।
न काम पर गए - न कुछ जीत के आए।
अरे ! किया होता बैठ के चिंतन थोड़ा -
हल हो जाता मसला सारा ,
मज़बूर हैं जो अब तक समझ न पाए
हल नहीं हड़तालों से
"हड़ताली देश के नागरिक "
हम न बन जाए
सोचों समझों फिर कदम उठाओ
हर कदम अन्ना जी की ओर न ले जाओ।
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