शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

malls

माल्स में मंदी का दौर 

आधुनिक युग में जहाँ हर कोई व्यस्त रहता है ,उस व्यस्तता को कम  करने के लिए हम किसी न किसी तरीके से मनोरंजन के साधन ढूंढ लेते है। मनोरंजन के साधन तो बहुत  हैं लेकिन मॉल थेयटर और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हमारी जिन्दगी में हिस्सा बन चुके है। आराम फरमाने के लिए ,मनोरंजन के लिए या फिर शॉपिंग के लिए हम अक्सर मॉल्स आदि में जाया करते है। माल्स का प्रचलन दिनों दिन बढ़ता ही नज़र आ रहा है।  
 ठीक इसी तरह चंडीगढ़ जैसे शहर में भी माल्स का काफी प्रचलन है।  जहाँ पर हर वर्ग के लोगों को हर मौसम में देखा जाता है। लोगों में ब्रांड्स कि लोकप्रियता की कोई सीमा नहीं है।  करोड़ों के हिसाब से विभिन्न तरह के ब्राण्ड्स हर रोज अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए , हर मॉल में अपनी फ्रैंचाइज़ी देने लगे हैं।  भले ही वो ब्रांड कपडे , अस्स्रीस  या फिर खाने पीने के हों। 

जब नगर बाणी की टीम ने माल्स का दौरा किया तब पहले के मुकाबले अब कम् संख्या में लोग नजर आये। लोगों से वार्ता करने पर ज्ञात हुआ की अब शहर में माल्स की  संख्या ज्यादा हो गयी है और जो भी जरूरतमंद वस्तु चाहिए वह अब आसानी से मॉल और मार्केट में मिल जाती है इसका कारण ये भी है कि हर माल्स व  बाजार  में अपनी ब्रांड फ्रैंचाइज़ी देने लगे हैं। यही कारण माल्स में दुकानदारों से बात करने पर उन्हों ने दिया। उन्हों ने यह भी कहा कि पहले युवा काफी मात्र में माल्स की  तरफ रुख किया करते थे लेकिन अब कोई खास बजह नजर नहीं आती , जिससे हमे पता लग सके कि लोगों के अंदर मॉल थेयटर और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के प्रति दिलचस्वी कम होती जा रही है।जिस कारण माल्स आदि में मंदी का दौर आ गया है। 
जब थीएटर की बात लोगों से की गयी तो उस जाँच से ज्ञात हुआ की आज जो भी नयी फ़िल्म मार्किट में आती है तो ज्यादा से ज्यादा तीन दिन तक थीएटर में टिक पाती है दूसरी  वजह ये भी बताई गयी कि आसानी से  हफ्ते  के भीतर  तक फ़िल्म टीवी चैनेल पर दिखाई जाती है जिससे टाइम कि बचत भी होती है। हम अपने परिवार को भी समय दे पातें है। आजकल  मॉल थेयटर और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में एक ही तरह की  चीजें आसान दरों पर उपलब्ध हो जाती है और आम तौर पर यहाँ अब 16 से 35 वर्ष आयु वाले लोग ही नजर आते है। खाश रूप से देखा जाये तो कपल का भी  रश अब पहले के मुकाबले कम ही देखने  को मिलता है।