हमने तो दुआ मांगी थी उनकी खैरियत की
फिर क्यों जख्म दिए यूँ गिरा कर
अभी डगमगाते है पांव उनके
बच्चे है वो माफ़ कर दे-
दर्द चाहे हममें भर दे।
यही ये भी नहीं
तो यही करदे
मुझे खबर न लगे
इतना गुमनाम कर दे
बच्चे है वो माफ़ कर दे-
दर्द चाहे हममें भर दे।
पलभर के लिए सुन हो जाती है रूह
जब भी उनको ज़ख्म लगे
कांटे से चुभ जाते है शाह ए शरीर में
जब भी वो दर्द से आह भरे
खैरियत भी पूछ नहीं सकते
इतने क्यों फांसले खुदा करे
बजूद की तलाश नहीं हमे हमारे
उन्हीं की ख़ुशी की आस में दर तेरे खड़े।
फिर क्यों जख्म दिए यूँ गिरा कर
अभी डगमगाते है पांव उनके
बच्चे है वो माफ़ कर दे-
दर्द चाहे हममें भर दे।
यही ये भी नहीं
तो यही करदे
मुझे खबर न लगे
इतना गुमनाम कर दे
बच्चे है वो माफ़ कर दे-
दर्द चाहे हममें भर दे।
पलभर के लिए सुन हो जाती है रूह
जब भी उनको ज़ख्म लगे
कांटे से चुभ जाते है शाह ए शरीर में
जब भी वो दर्द से आह भरे
खैरियत भी पूछ नहीं सकते
इतने क्यों फांसले खुदा करे
बजूद की तलाश नहीं हमे हमारे
उन्हीं की ख़ुशी की आस में दर तेरे खड़े।