शुक्रवार, 13 मई 2016

सपने से दूर सुशील ,रियो ओलंपिक से कटा उनका नाम!



लंबे जद्दोजहद के बाद भारतीय कुश्ती संघ ने आज बड़ा फैसला लेते हुए सुशील का पत्ता काट दिया है और उनकी जगह नरसिंह यादव का चयन किया गया है। हालांकि संघ ने इन खबरों का खंडन किया है कि उन्होंने ऐसी कोई लिस्ट अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ को भेजी है जिसमें सुशील का नाम नहीं है। सुशील की दावेदारी खत्म नहीं हुई है और वह अभी भी रेस में हैं।

लंदन ओलिंपिक-2012 के सिल्वर मेडल विनर सुशील कुमार का इस बार गोल्डन ड्रीम टूट सकता है। सुशील कुमार का नाम ब्राजील में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए भेजी गई भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की संभावितों की लिस्‍ट में नहीं है। दूसरी ओर, रेसलिंग फेडरेशन का कहना है कि अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। रियो ओलंपिक के लिए भारतीय टीम का चयन भारतीय कुश्ती संघ के लिए मुसीबत बन गया था। बीजिंग और लंदन ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार को 74 किलो भार वर्ग में नहीं शामिल किया। जबकि नरसिंह यादव पहले ही ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके थे और फिर से ट्रायल की मांग कर रहे थे।इस भार वर्ग के लिए जारी संघर्ष के बीच अन्य वर्गों के क्वलीफाइड पहलवान फिर से ट्रायल कराने के पक्ष में नहीं थे। इससे पहले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले सभी छह पहलवान बुधवार को कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह से मुलाकात भी की थी।

क्या कहा WFI ने...
- रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि ये वो लिस्ट है, जो रेगुलर प्रैक्टिस के लिए होती है।
- ये रेसलर यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग में प्रैक्टिस करेंगे। इस लिस्ट में नाम नहीं होने का कतई ये मतलब नहीं है कि सुशील ओलिंपिक में हिस्सा नहीं लेंगे।
क्या है विवाद?
- पिछले ओलिंपिक (2012) के दौरान नरसिंह भी भारतीय टीम की ओर से भेजे गए थे।
- अलग-अलग वैट कैटेगरी होने की वजह से सुशील और नरसिंह दोनों को ही जगह मिली थी।
- इस बार मामला उलझ गया है क्‍योंकि सुशील और नरसिंह एक ही वैट कैटेगरी (74 kg) में हैं।
- क्वालिफाई करने की फॉर्मलिटीज की बात करें, तो नरसिंह इन्हें पूरा कर चुके हैं।
- नरसिंह वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इसके दावेदार बन चुके हैं।
- लेकिन यदि स्पोर्ट्स में कद और एक्सपीरियंस की बात करें, तो सुशील की टक्कर का कोई पहलवान नहीं दिखता।

सुशील का क्या है कहना
- पहलवान सुशील कुमार ने कहा है कि ओलिंपिक में कोई भी जाए उन्‍हें इससे मतलब नहीं है।
- लेकिन उन्‍हें नरसिंह यादव के साथ एक ट्रायल का चांस दिया जाना चाहिए।
- वहीं नरसिंह यादव ने ट्रायल से साफ इनकार कर दिया है। अब देखना है कि फेडरेशन सुशील को रियो ओलिंपिक में टिकट दिलवाने के लिए क्या करती है।
 
आपको बता दें की लास वेगास वर्ल्ड चैम्पियनशिप में नरसिंह यादव को कांस्य पदक मिला और वो भारत के लिए रियो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने में कामयाब रहे.भारत में पहली बार प्रो रेसलिंग लीग का कामयाब आयोज किया गया, हालांकि सुशील कुमार ने आख़िरी पलों में हिस्सा नहीं लिया. उन्होंने हिस्सा नहीं लेने की वजह तो नहीं बताई है लेकिन माना जा रहा है कि वे आयोजकों और टीम प्रमोटरों के रवैए से ख़ुश नहीं थे.
पहलवानों के बीच रियो में भाग लेने की थी होड़
कुश्ती को लेकर भारत के लिये वर्ष 2015 खास रहा। भारतीय पहलवानों ने दुिनया के नामी पहलवानों को चित कर धाक कायम की। अब उन्हें अगले वर्ष ब्राजील के शहर रियो में होने वाले ओलंपिक खेलों में दमखम का परिचय देना था । और साल 2016 में  उपलब्धियों के बीच कुश्ती में एक नया विवाद भी सामने आया। वह विवाद था 2 बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और उदीयमान सितारे नरसिंह यादव के बीच रियो के टिकट को लेकर। इसने मैट के बाहर सुर्खियां बंटोरी। मैट पर एक साल से अधिक समय से नजर नहीं आये सुशील की गैर मौजूदगी में नरसिंह ने इस वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करके लगातार पदक जीते।
Header  किसमें कितना है दम
नरसिंह ने भारत के लिये इस साल 74 किलोग्राम भारवर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल किया। लेकिन अब ओलंपिक में नरसिंह जायेगा या सुशील, इस लेकर खूब बहस चली। लंदन ओलंपिक में सुशील और नरसिंह अलग-अलग भारवर्ग में उतरे थे। सुशील ने 66 किलोवर्ग में रजत पदक जीता था, जबकि नरसिंह 74 किलो में पहले ही दौर में बाहर हो गए थे। इसके बाद सुशील 74 किलोवर्ग में आ गए। सुशील ने 2013 में नये भार वर्ग में जाने के बाद से एक रजत और एक स्वर्ण पदक जीता। अब ओलंपकि में इंतजार रहेगा किया यहां मैच पर दोनों के बीच कौन उतरेगा।जोकि आज तय हो  गया है
ओलंपिक में सुशील की उपलब्धियां
    2003 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप
    2003 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
    2005 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
    2007 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
    2008 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप
    2008 कांस्य, बीजिंग ओलम्पिक्स
    2009 स्वर्ण, जर्मन ग्रां प्री
    2010 स्वर्ण, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप
    2010 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स
    2012 रजत, लंदन ओलिंपिक
    2014 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स
 
चोटों से जूझते रहे योगेश्वर
ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त अधिकतर समय चोटों से जूझते रहे, लेकिन जितने भी टूर्नामेंट खेले, उनमें प्रदर्शन अच्छा रहा।  इस साल शुरू हुई प्रो कुश्ती लीग ने देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। इस लीग में विदेशी पहलवानों के अलावा नयी प्रतिभाओं को पहचान मिली। पहली बार आयोजित यह लीग मुंबई गरुड़ टीम ने जीती।


आखिर कौन है महाबली
2010 में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर सुर्खियां बटोरने वाले नरसिंह यादव पिछले कुछ समय से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचने में सफल रहे हैं। लेकिन उनके अच्छे प्रदर्शन ने भारत के ओलंपिक अभियान के लिए एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी है। हम आपको बता रहे हैं कि कौन हैं नरसिंह और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का इस मामले पर क्या कहाना है-  
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने साफ कह दिया कि रियो ओलंपिक में 74 किग्रा वजन वर्ग में भारत को ओलंपिक कोटा दिलाने वाले पहलवान नरसिंह यादव ही रियो जाएंगे।
1989 में उत्तर प्रदेश में पैदा हुए नरसिंह पंचम यादव के पिता का नाम पंचम यादव और मां का नाम  भूलना देवी है। नरसिंह पंचम यादव और उनका भाई विनोद यादव, दोनों ही पहलवान हैं। नरसिंह के पिता मुंबई में दूध बांटने का काम करते हैं वहीं उनकी मां वाराणसी के एक छोटे गांव में रहती हैं। वे वहां अपनी दो बीघा जमीन की रखवाली करती हैं। नरसिंह 13 साल की उम्र से ही कुश्ती की ट्रेनिंग कर रहे हैं।
आज वो ओलंपिक में जाने के लिए फ्रंट रनर हैं और उनका मुकाबला अपने ही देश में ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के साथ है। ये पहलवान देश के नंबर वन पहलवाल सुशील कुमार के लिए चुनौती बनकर उभरा है। आज खुद सुशील कह रहे हैं कि उनका नरसिंह से मुकाबला कराया जाए और जो जीते उसे ओलंपिक टिकट दिया जाए।
बहरहाल, खबर ये है कि नरसिंह रियो ओलंपिक 2016 के लिए 74 किलो वर्ग में क्वालीफाई कर चुके हैं। लेकिन यही से परेशानियां शुरू होती हैं क्योंकि देश को दो ओलंपिक मेडल दिलाने वाले सुशील कुमार भी 74 किलो वर्ग की रेसलिंग में हिस्सा लेते हैं जिससे साफ है कि भारतीय रेसलिंग फेडरेशन के सामने अब बड़े उहापोह की स्थिति बनी हुई है। फेडरेशन को अब ये फैसला लेना है कि इन दोनों प्रतिभावान खिलाड़ियों में से किसे रियो ओलंपिक का टिकट थमाया जाए।
हिंदुस्तान की परंपरा रही है कि जो क्वालीफाई करता है वही ओलंपिक जाता है। उल्लेखनीय है कि कुश्ती महासंघ ने भारतीय ओलंपिक संघ(आईओए) को ओलंपिक कोटा दिलाने वाले पहलवानों की जो सूची भेजी है उसमें 74 किग्रा वजन वर्ग में नरसिंह यादव का नाम है। इस सूची के बाद अब सुर्खियां बन गई हैं कि सुशील रियो ओलंपिक से बाहर हो गए हैं।

 



 

हरियाणा में जाट को मिला आरक्षण



                       आरक्षण के हकदार हुए जाट

हरियाणा में कागजी तौर से जाटों को आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो गया है । कई महीनों की कवायद के बाद आज सरकार की ओर से आरक्षण का नोटिफिकेशन कर दिया गया । गौरतलब है कि लंबे आंदोलन के बाद बीते 29 मार्च को हरियाणा विधानसभा में बिल पास कर हरियाणा की जाट सहित 6 जातियों को पिछड़ा वर्ग की सी. कैटेगरी में आरक्षण दिया गया था। विधानसभा के बाद उक्त बिल को राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था, जिस पर पिछले दिनों राज्यपाल ने अपनी स्वीकृति दे दी थी। इसके अलावा सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को वैधानिक दर्जा देते हुए उसका गठन भी कर दिया है।


हरियाणा कैबिनेट ने जाटों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान करने के लिए 28 मार्च 2016 को  एक विधेयक को मंजूरी दे दी ।फरवरी माह में आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे । जाटों ने अपनी मांग पूरी करने के लिए सरकार को तीन अप्रैल तक का समय दिया था ।बताया गया था कि जाटों और चार अन्य जातियों को आरक्षण देने पर मसौदा विधेयक को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई । जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला/मुस्लिम जाट को पिछड़ा वर्ग की नई कैटेगरी बीसी(सी) के तहत आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। इसके लिए हरियाणा सरकार नोटिफिकेशन जारी कर दिया है ।

                                                           यह है आरक्षण का प्रावधान 
जाट आरक्षण के लिए तैयार किए गए नोटिफकेशन में पहले से आरक्षण ले रही जातियों के आरक्षण से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है। अलबत्ता सरकार ने क्लास-वन और क्लास-टू की नौकरियों के आरक्षण में बढ़ौतरी की है। जाटों सहित इन छह जातियों को अब तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसी तरह से प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में इन जातियों को 6 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान बिल में किया गया है।

                                                     सरकार ने जारी की नोटिफिकेशन......
- नोटिफिकेशन की फाइल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास पहले ही पहुंच गई ।
- इस नोटिफिकेशन के तहत जाट समेत 6 जातियों को क्लास वन और टू की सेवाओं में 6 प्रतिशत और शैक्षणिक संस्थानों, क्लास थ्री और क्लास फोर के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण मिला है ।
- इससे पहले राज्यपाल इस बिल पर हस्ताक्षर करके सरकार को भेज चुके हैं।
- गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने जाट आरक्षण आंदोलन के बाद 29 मार्च को हरियाणा विधानसभा में जाट सहित 6 जातियों को आरक्षण की नई कैटेगरी बीसी (सी) में शामिल करते हुए आरक्षण दिया था।

           इन जातियों को मिला है आरक्षण
जाटों समेत 6 जातियों को पिछड़ा वर्ग की नई कैटेगरी बीसी(सी) में भले ही 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है। आरक्षण बिल के तहत जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला/मुस्लिम जाटों को राज्य की सरकारी नौकरियों, सरकारी या सहायता प्राप्त शैक्षणिक, तकनीकी प्रोफेशनल संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण हासिल हो सकेगा।

कैटेगरी : पहले : अब
- बीसी ए : 10 : 11
- बीसी बी : 5 : 6
- बीसी सी : 0 : 6
- ईबीसी : 5 : 7
- एससी :20 : 20
नोट: ये क्लास वन और क्लास टू सेवाओं के लिए है।
- बीसी-ए :16 : 16
- बीसी-बी : 11 : 11
- बीसी-सी : 10 : 0
- ईबीसी : 10 : 10
- एससी : 20 : 20
नोट: यह शैक्षणिक संस्थानों, क्लास थ्री और क्लास फोर के लिए है।


                                   पिछड़ा वर्ग ब्लाक ए में आरक्षण
सेवाओं में आरक्षण : श्रेणी 3 और 4 के पदों के लिए 16 प्रतिशत तथा श्रेणी 1 और 2 के पदों के लिए 11 प्रतिशत आरक्षण (श्रेणी 1 और 2 के पदों के लिए पहले 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता था। श्रेणी 3 और 4 के पदों के लिए पहले भी 16 प्रतिशत आरक्षण) शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिले के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण
                                                           जातियां - 71
1. अहेरिया, अहेड़ी, हेड़ी, नायक, थोरी या तूरी, हारी 2. बर्रा 3. बेटा, हैंसी या हैसी 4. बगडिया 5. बरवार 6. बराए, तंबोली 7. बरागी, वैरागी, स्वामी साध 8. बटेरा 9. भड़भूंजा, भडभूजा 10. भाट, भाटडा, दार्पी, रामिया 11. बुहालिया, लोहार 12. चंगार 13. चिड़ीमार 14. चंग 15. चिंबा, छिप्पी, चिंपा, दर्जी, रोहिला 16. डेया 17. धोबी, धोबी-रजक 18. डाकोत 19. धीमार, मल्लाह, कश्यप-राजपूत, कहार, झीवर, धीवर, खेवट, मेहरा, निशाद, सक्का, भिस्ती, शेख अबासी 20. धौसाली, दोसाली 21. फकीर 22. गवारिया, गोरिया, गवार 23. धीराथ 24. घासी, घसियारा या घौसी 25. गोरखा 26. गवाला, गोवाला 27. गड़रिया, पाल, बाघेल 28. गाड़ी लोहार 29. हजाम, नाई, नाईज, सैन 30. झांगड़ा-ब्राह्मण, खाती, सुथार, धीमान-ब्राह्मण, तरखान, बरहाई, बाड्डी 31. जोगीनाथ, जोगी, नाथ, जंगम-जोगी, योगी 32. कंजर या कंचन 33. कुर्मी 34. कुम्हार, प्रजापति 35. कंबोज 36. खंगहेड़ा 37. कुचबंद 38. लबाना 39. लखेरा, मनीहार, कचेरा 40. लोहार, पांचाल-ब्राह्मण 41. मदारी 42. मोची 43. मिरासी 44. नार 45. नुनगर 46. नलबंद 47. पिंजा, पेंजा 48. रेहार, रेहाड़ा या रे 49. रायगर
50. रायसिख 51. रेचबंद 52. शोरगिर, शेरगिर 53. सोई 54. सिंगीकाट, सिंगीवाला 55. सुना, जरगर, सोनी 56. ठठेरा, तमेरा 57. तेली 58. बंजारा, वंजारा 59. वीवर (जुलाहा) 60. बादी-बादो 61. भट्टू-चट्टू 62. मीना 63. रेहवारी 64. चारन 65. चारज (महा ब्राह्मण) 66. उदासीन 67. रामगढ़िया 68. रंगरेज, लीलगर, नीलगर, लल्लारी 69. डावला, सोनी-डावला, न्यारिया 70. भर, राजभर 71. नट (मुस्लिम)

- पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी में आरक्षण
सेवाओं में आरक्षण
श्रेणी 34 के पदों के लिए 11 प्रतिशत तथा श्रेणी 12 के पदों के लिए 6 प्रतिशत आरक्षण (श्रेणी 12 के पदों के लिए पहले 5 प्रतिशत और श्रेणी 34 के पदों के लिए 11 प्रतिशत आरक्षण मिलता था)
- दाखिलों में आरक्षण
शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिलों के लिए 11 प्रतिशत आरक्षण का लाभ 11. अहीर - यादव 2. गुज्जर 3. लोध, लोधा, लोधी 4. सैनी, शाक्य, क्योरी, कुशवाहा, मौर्या 5. मेव 6. गोसाई, गोसाईन, गोस्वामी


                   आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन

फरवरी में जाटों ने हरियाणा में ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था. 9 तक दिन चले इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था और इसमें 30 लोगों की जान चल गई थी. आंदोलन में करोड़ों रुपये की निजी और सरकारी संपत्त‍ि को नुकसान पहुंचा था. जाट आरक्षण के लिए फरवरी में आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा की चपेट में आए न्यायिक अधिकारियों ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में हरियाणा लीगल सर्विसेज अथॉरिटी की तरफ से दाखिल किए गए हलफनामे में आपबीती दर्ज कराई जो कि रोंगटे खड़े कर देने वाली थी।
वहीँ न्यायिक जाँच के दौरान वे आंकड़े भी सामने आए जब जाट समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग की गई।
उग्र भीड़ से बचाने में नाकाम रहा प्रशासन
आंदोलन के केंद्र रहे रोहतक के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की तरफ से दाखिल हलफनामे में 16 न्यायिक अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि 18 से 21 फरवरी के बीच शहर में घूम रही उग्र भीड़ से उन्हें बचाने के लिए पुलिस और प्रशासन ने कुछ भी नहीं किया। उनके साथ जो कुछ हुआ वह सब लिखकर हाई कोर्ट को भेजा है।

बच्चों को लगा कि यह उनकी आखिरी रात...
एक अधिकारी ने लिखा है कि जान बचाने के लिए उन्हें अपने एक साल के बेटे को बाइक पर बैठकर 12 घंटे तक सफर करना पड़ा। भीड़ न्यायिक अफसरों की सरकारी कालोनी की तरफ बढ़ रही थी। ऐसे में कुछ अफसरों को जान बचाने के लिए अपने परिवार के साथ पास के पार्क में छुपना पड़ा। एक अफसर ने बताया है,' जल्दबाज़ी में हम गरम कपड़े भी लेना भूल गए और पार्क में ठिठुर रहे थे। बच्चों को लग रहा था यह उनकी आखिरी रात है।' एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने लिखा है, 'हालात ऐसे थे जैसा हमने अपने बड़े-बुज़ुर्गों से बंटवारे के बारे में सुना था।'

झज्जर के पुलिस अधीक्षक का कायराना रवैया
झज्जर की रिपोर्ट में 20 फरवरी को एक महिला न्यायिक अधिकारी के साथ हुए हादसे का जिक्र किया गया है। इस महिला अधिकारी की सास का देहांत हो गया था लेकिन शहर के हालात ऐसे थे कि अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल था। अंतिम संस्कार के लिए भी जान जोखिम में डालना पड़ा क्योंकि प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा देने से हाथ खड़े कर दिए थे। झज्जर की उपयुक्त ने हाई कोर्ट को भेजी अपनी रिपोर्ट में तब के पुलिस अधीक्षक के रवैये को कायराना बताया है।

न्यायिक अधिकारियों के परिवारों को छोड़ा भगवान भरोसे
सोनीपत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हिंसा भड़कने के बाद उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने अपने-अपने परिवार को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया था लेकिन न्यायिक अधिकारियों और उनके परिवारों को भगवान भरोसे छोड़ दिया था। हिसार, भिवानी, बहादुरगढ़ के न्यायिक अधिकरियों ने भी अपनी-अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को भेजी है जिनमें कहा गया है कि आंदोलन के दौरान राज्य की व्यवस्था चरमरा गई थी और सरकार अपने नागरिकों की जान और माल की हिफाजत करने में नाकाम रही थी।

 आरक्षण पर सियासत
हुड्‌डा सरकार ने 2012 में स्पेशल बैकवर्ड क्लास (एसबीसी) के तहत जाट, जट सिख, रोड, बिश्नोई और त्यागी समुदाय को आरक्षण दिया। यूपीए सरकार ने भी 2014 में हरियाणा समेत नौ राज्यों में जाटों को ओबीसी में लाने का ऐलान किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को पिछड़ा मानने से इनकार कर यूपीए सरकार का आदेश रद्द कर दिया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद 19 सितंबर 2015 को खट्टर सरकार को भी जाटों सहित पांच जातियों को आरक्षण देने की अधिसूचना को वापस लेना पड़ा। यह अधिसूचना हुड्डा सरकार के वक्त जारी हुआ था। इसके बाद से जाट समुदाय खट्टर सरकार पर नया रास्ता तलाशने का दबाव बना रही थी।

                                    हरियाणा में पहले से ही कितना आरक्षण

हरियाणा में कुल 67 प्रतिशत आरक्षण पहले से ही लागू था । अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत, बैकवर्ड क्लास-ए को 16 प्रतिशत, बैकवर्ड क्लास-बी को 11 प्रतिशत, स्पेशल बैकवर्ड क्लास को 10 प्रतिशत और आर्थिक रूप से बैकवर्ड क्लास-सी को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। जाट नेता अपनी बिरादरी के लिए अब ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण चाहते थे । लेकिन हरियाणा सरकार इसपर राजी नहीं थी ।