लंबे जद्दोजहद के बाद भारतीय कुश्ती
संघ ने आज बड़ा फैसला लेते हुए सुशील का पत्ता काट दिया है और उनकी जगह नरसिंह
यादव का चयन किया गया है। हालांकि संघ ने इन खबरों का खंडन किया है कि उन्होंने
ऐसी कोई लिस्ट अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ को भेजी है जिसमें सुशील का नाम नहीं है।
सुशील की दावेदारी खत्म नहीं हुई है और वह अभी भी रेस में हैं।
लंदन ओलिंपिक-2012 के सिल्वर मेडल विनर सुशील कुमार का इस बार गोल्डन ड्रीम टूट
सकता है। सुशील कुमार का नाम ब्राजील में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए भेजी गई
भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की संभावितों की लिस्ट में नहीं है। दूसरी ओर, रेसलिंग फेडरेशन का कहना है कि अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया
गया है। रियो ओलंपिक के लिए भारतीय टीम का चयन भारतीय कुश्ती संघ के
लिए मुसीबत बन गया था। बीजिंग और लंदन ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार
को 74 किलो भार वर्ग में नहीं शामिल किया। जबकि
नरसिंह यादव पहले ही ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके थे और फिर से ट्रायल की मांग कर
रहे थे।इस भार वर्ग के लिए जारी संघर्ष के बीच अन्य वर्गों के क्वलीफाइड पहलवान
फिर से ट्रायल कराने के पक्ष में नहीं थे। इससे पहले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने
वाले सभी छह पहलवान बुधवार को कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह से मुलाकात
भी की थी।
क्या कहा WFI ने...
- रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि
ये वो लिस्ट है, जो रेगुलर प्रैक्टिस के लिए होती है।
- ये रेसलर यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग
में प्रैक्टिस करेंगे। इस लिस्ट में नाम नहीं होने का कतई ये मतलब नहीं है कि
सुशील ओलिंपिक में हिस्सा नहीं लेंगे।
क्या है विवाद?
- पिछले ओलिंपिक (2012) के दौरान नरसिंह भी भारतीय टीम की ओर से भेजे गए थे।
- अलग-अलग वैट कैटेगरी होने की वजह से
सुशील और नरसिंह दोनों को ही जगह मिली थी।
- इस बार मामला उलझ गया है क्योंकि
सुशील और नरसिंह एक ही वैट कैटेगरी (74 kg) में हैं।
- क्वालिफाई करने की फॉर्मलिटीज की बात
करें, तो नरसिंह इन्हें पूरा कर चुके हैं।
- नरसिंह वर्ल्ड चैम्पियनशिप में
ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इसके दावेदार बन चुके हैं।
- लेकिन यदि स्पोर्ट्स में कद और
एक्सपीरियंस की बात करें, तो सुशील की
टक्कर का कोई पहलवान नहीं दिखता।
सुशील का क्या है कहना
- पहलवान सुशील कुमार ने कहा है कि
ओलिंपिक में कोई भी जाए उन्हें इससे मतलब नहीं है।
- लेकिन उन्हें नरसिंह यादव के साथ एक
ट्रायल का चांस दिया जाना चाहिए।
- वहीं नरसिंह यादव ने ट्रायल से साफ
इनकार कर दिया है। अब देखना है कि फेडरेशन सुशील को रियो ओलिंपिक में टिकट दिलवाने
के लिए क्या करती है।
आपको बता दें की लास वेगास वर्ल्ड
चैम्पियनशिप में नरसिंह यादव को कांस्य पदक मिला और वो भारत के लिए रियो ओलंपिक के
लिए कोटा हासिल करने में कामयाब रहे.भारत में पहली बार प्रो रेसलिंग लीग का कामयाब
आयोज किया गया, हालांकि सुशील कुमार ने आख़िरी पलों में हिस्सा नहीं लिया.
उन्होंने हिस्सा नहीं लेने की वजह तो नहीं बताई है लेकिन माना जा रहा है कि वे
आयोजकों और टीम प्रमोटरों के रवैए से ख़ुश नहीं थे.
पहलवानों के बीच रियो में भाग लेने
की थी होड़
कुश्ती को लेकर भारत के लिये वर्ष 2015 खास रहा।
भारतीय पहलवानों ने दुिनया के नामी पहलवानों को चित कर धाक कायम की। अब उन्हें
अगले वर्ष ब्राजील के शहर रियो में होने वाले ओलंपिक खेलों में दमखम का परिचय देना
था । और साल 2016 में उपलब्धियों के
बीच कुश्ती में एक नया विवाद भी सामने आया। वह विवाद था 2 बार के
ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और उदीयमान सितारे नरसिंह यादव के बीच रियो के टिकट
को लेकर। इसने मैट के बाहर सुर्खियां बंटोरी। मैट पर एक साल से अधिक समय से नजर
नहीं आये सुशील की गैर मौजूदगी में नरसिंह ने इस वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व
करके लगातार पदक जीते।
Header किसमें कितना है
दम
नरसिंह ने भारत के लिये इस साल 74
किलोग्राम भारवर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल किया। लेकिन अब ओलंपिक में नरसिंह जायेगा
या सुशील, इस लेकर खूब बहस चली। लंदन ओलंपिक में सुशील और नरसिंह
अलग-अलग भारवर्ग में उतरे थे। सुशील ने 66 किलोवर्ग में रजत पदक जीता था, जबकि
नरसिंह 74 किलो में पहले ही दौर में बाहर हो गए थे। इसके बाद सुशील 74 किलोवर्ग
में आ गए। सुशील ने 2013 में नये भार वर्ग में जाने के बाद से एक रजत और एक स्वर्ण
पदक जीता। अब ओलंपकि में इंतजार रहेगा किया यहां मैच पर दोनों के बीच कौन
उतरेगा।जोकि आज तय हो गया है
ओलंपिक में सुशील की उपलब्धियां
2003 कांस्य, एशियन कुश्ती
चैंपियनशिप
2003 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
2005 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
2007 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
2008 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप
2008 कांस्य, बीजिंग ओलम्पिक्स
2009 स्वर्ण, जर्मन ग्रां प्री
2010 स्वर्ण, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप
2010 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स
2012 रजत, लंदन ओलिंपिक
2014 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स
चोटों से जूझते रहे योगेश्वर
ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त
अधिकतर समय चोटों से जूझते रहे,
लेकिन जितने भी टूर्नामेंट खेले, उनमें
प्रदर्शन अच्छा रहा। इस साल शुरू हुई प्रो
कुश्ती लीग ने देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। इस लीग में
विदेशी पहलवानों के अलावा नयी प्रतिभाओं को पहचान मिली। पहली बार आयोजित यह लीग
मुंबई गरुड़ टीम ने जीती।
आखिर कौन है ‘महाबली’
2010 में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर सुर्खियां बटोरने वाले नरसिंह यादव पिछले कुछ समय से
लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सभी का ध्यान
अपनी तरफ खींचने में सफल रहे हैं। लेकिन उनके अच्छे प्रदर्शन ने भारत के ओलंपिक अभियान के लिए एक अजीबोगरीब
स्थिति पैदा कर दी है। हम आपको बता रहे हैं कि
कौन हैं नरसिंह और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का इस मामले
पर क्या कहाना है-
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने
साफ कह दिया कि रियो ओलंपिक में 74 किग्रा वजन वर्ग में भारत को ओलंपिक कोटा
दिलाने वाले पहलवान नरसिंह यादव ही रियो जाएंगे।
1989 में उत्तर प्रदेश में पैदा हुए नरसिंह पंचम यादव के
पिता का नाम पंचम यादव और मां का नाम
भूलना देवी है। नरसिंह पंचम यादव और उनका भाई विनोद यादव, दोनों ही पहलवान हैं। नरसिंह
के पिता मुंबई में दूध बांटने का काम करते हैं वहीं उनकी मां
वाराणसी के एक छोटे गांव में रहती हैं। वे वहां
अपनी दो बीघा जमीन की रखवाली करती हैं। नरसिंह 13 साल
की उम्र से ही कुश्ती की ट्रेनिंग कर रहे
हैं। आज वो ओलंपिक में जाने के लिए फ्रंट रनर हैं और उनका मुकाबला अपने ही देश में ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के साथ है। ये पहलवान देश के नंबर वन पहलवाल सुशील कुमार के लिए चुनौती बनकर उभरा है। आज खुद सुशील कह रहे हैं कि उनका नरसिंह से मुकाबला कराया जाए और जो जीते उसे ओलंपिक टिकट दिया जाए।
बहरहाल, खबर ये है कि नरसिंह रियो ओलंपिक 2016 के लिए 74 किलो वर्ग में क्वालीफाई कर चुके हैं। लेकिन यही से परेशानियां शुरू होती हैं क्योंकि देश को दो ओलंपिक मेडल दिलाने वाले सुशील कुमार भी 74 किलो वर्ग की रेसलिंग में हिस्सा लेते हैं जिससे साफ है कि भारतीय रेसलिंग फेडरेशन के सामने अब बड़े उहापोह की स्थिति बनी हुई है। फेडरेशन को अब ये फैसला लेना है कि इन दोनों प्रतिभावान खिलाड़ियों में से किसे रियो ओलंपिक का टिकट थमाया जाए।
हिंदुस्तान की परंपरा रही है कि जो क्वालीफाई करता है
वही ओलंपिक जाता है। उल्लेखनीय है कि कुश्ती महासंघ ने भारतीय ओलंपिक संघ(आईओए) को
ओलंपिक कोटा दिलाने वाले पहलवानों की जो सूची भेजी है उसमें 74 किग्रा
वजन वर्ग में नरसिंह यादव का नाम है। इस सूची के बाद अब सुर्खियां बन गई हैं कि
सुशील रियो ओलंपिक से बाहर हो गए हैं।