रविवार, 24 दिसंबर 2017

बिना मुछ वाले सीएम की रीत बरकरार



हिमाचली में एक कहावत है, 'जालु आई मुछ फिर अपणी ठुक' कुछ ऐसा हुई है अबकी बार भी हिमचाल में- देवभूमि के दंगल में कई दिग्गज थे. लेकिन चुनाव से पहले हिमाचली टोपी को लेकर घमासान मचा हुआ था और चुनाव के बाद मुछ वाले सीएम को लेकर- बहरहाल अब हिमाचल के सिर का ताज के लिए मोर्चा एक बार फिर से बिना मुछ वाला मार गया है।  1952 से अब तक हिमाचल के जितने भी सीएम रहे सभी बिना मुछ के थे।  लेकिन पेंच उस वक्त फसा जब प्रेम कुमार धूमल को मात मिली ,जिसके बाद भाजपा केंद्र तक चिन्तन में थी - कि किसको हिमाचल में सीएम बनाया जाए।  चर्चाओं और चिंतन का दौर जारी था, और अब जय राम ठाकुर को सीएम का पद भाजपा की तरफ से देने  एलान कर दिया है। होता भी क्यों न मंडी से 9 विधायक भाजपा  के खाते में आए है , और यह सब जयराम ठाकुर की बदौलत  ही है , चाहे उसके पीछे अब जो भी हो।  लेकिन गौर हो की जब भाजपा ने जब मंडी में रैली की थी  तब अमित शाह ने जयराम ठाकुर का ओहदा बढ़ाने की बात कही थी।  और अब  अपने कहे पर शाह ने सच  दिया है. लेकिन अब शायद भाजपा में भी अंदर ही अंदर कार्यकर्ता कहीं न कहीं मायूस है , मायूस तो उस दिन भी थे जब धूमल की नैया पार न लग पाई थी।  लेकिन फिर उम्मीद थी कि शायद हारे हुए सैनिक को कमान फिर से सौप दे भाजपा ,. लेकिन  ऐसा हुआ नहीं -2019 को मूल आधार मानते हुए भाजपा ने कमान कहीं और  सौंप दी।  अगर कार्यकर्ताओं के हाल ए दिल की बात की जाए तो उन्हें अंदर ही अंदर दुःख तो है कि सीएम की कमान धूमल को न मिल पाई ,. लिहाजा अब देखना होगा कि सीएम जयराम अब  धूमल साहब के कितना करीब आते और कौन सी हिमाचल की भागदौड़ सौंपते है। 
वैसे कांग्रेस भी अबके वर्ष पिछले साल को शायद याद करना भूल गई हो। कि इसी महीने 25 दिसंबर को वो अपनी हिमाचल सरकार के चार  साल का जश्न धर्मशाला में मना रही थी । लेकिन अबकी सर्द हवा ने कांग्रेस की आँखों में से आंसू निकाल हैं. पर क्रिसमस का सेंटा भाजपा की झोली में जयराम देकर  गया है।