प्यार किया है कभी? लेकिन जब किया होगा, पहली दफा इजहार-ए-महोब्बत कम ही लोगों से हो पाता है. चलिए जिन्होंने किया है उनको आज एक बात बताते हैं. जो उनके साथ भी कई दफा घटित हुई है लेकिन हजूर करें तो क्या करें. आदत सी है दिवारों से सिर मारने की, लेकिन सिर पत्थर का हो जाता है पर कभी दिल पत्थर नहीं होता. वो तो पागल है
गाना सुना है ना- दिल तां पागल है, दो घड़ियां रोके चुप कर जू
पर दिलचस्प बात एक होर भी है. जिसे हम नजर अंदाज करते ही नहीं, गुस्सा आकर भी पल भर में भूल जाने का गालिब सलिका हमें खूब आता है. क्योंकि जब हमें किसी से प्यार हो जाता है फिर तो मालिक इस दौर का खुदा ही है. हां- अगर एक तरफा हुआ फिर इंसान गधों से कम नहीं. जिसपर जितना वजन डाले जाओ घोड़े की तरह वो हरकत नहीं करेगा. बस अंदर ही अंदर भार को सहन करता जाएगा चाहे आंखो से आंसू क्यों न टपक पड़े.
चलिए अब प्यार करने वालों की फितरत कुछ यूं होती है, जिसमें जो जितना ढूबता है , तैराकी मार कर बाहर आ तो जाता है लेकिन टूट जाता है. विश्वास नहीं होता !
अपना ही वो दौर याद कर लो जब भरी सभा में भी उसी इंसान के बारे में सोचे कर बैठे रहना. जो आज फेसबुक या इंस्टाग्राम पर नजर पड़ता है. लेकिन छुपके से जब उसका सर्च प्रोफाइल करते हैं, फिर क्या पल भर का सकूं पाकर रुह को शांति मिल जाती है.
लेकिन आज भी वही प्यार करने वाला इंसान वैसा है जैसे चाय में बिस्कुट ढूबो तो देतें है लेकिन अगर वक्त पर न निकाला वो ढूब जाता है. फिर वो चाय का स्वाद भी खराब कर देता है. इसलिए किसी चीज मेें इतना न ढूबो की टूट जाओ. क्योंकि टूटे हुए इंसान को जुड़ने में अरसा लग जाता है . और फिर जिंदगी जीने का मजा भी किरकिरा हो जाता है.
चलो अब चैन से सोयें
फिर ख्बाव लें उसका
जिसको देखा नहीं है
शायद-
अरसे से दिख जाए वही चेहरा
गाना सुना है ना- दिल तां पागल है, दो घड़ियां रोके चुप कर जू
पर दिलचस्प बात एक होर भी है. जिसे हम नजर अंदाज करते ही नहीं, गुस्सा आकर भी पल भर में भूल जाने का गालिब सलिका हमें खूब आता है. क्योंकि जब हमें किसी से प्यार हो जाता है फिर तो मालिक इस दौर का खुदा ही है. हां- अगर एक तरफा हुआ फिर इंसान गधों से कम नहीं. जिसपर जितना वजन डाले जाओ घोड़े की तरह वो हरकत नहीं करेगा. बस अंदर ही अंदर भार को सहन करता जाएगा चाहे आंखो से आंसू क्यों न टपक पड़े.
चलिए अब प्यार करने वालों की फितरत कुछ यूं होती है, जिसमें जो जितना ढूबता है , तैराकी मार कर बाहर आ तो जाता है लेकिन टूट जाता है. विश्वास नहीं होता !
अपना ही वो दौर याद कर लो जब भरी सभा में भी उसी इंसान के बारे में सोचे कर बैठे रहना. जो आज फेसबुक या इंस्टाग्राम पर नजर पड़ता है. लेकिन छुपके से जब उसका सर्च प्रोफाइल करते हैं, फिर क्या पल भर का सकूं पाकर रुह को शांति मिल जाती है.
लेकिन आज भी वही प्यार करने वाला इंसान वैसा है जैसे चाय में बिस्कुट ढूबो तो देतें है लेकिन अगर वक्त पर न निकाला वो ढूब जाता है. फिर वो चाय का स्वाद भी खराब कर देता है. इसलिए किसी चीज मेें इतना न ढूबो की टूट जाओ. क्योंकि टूटे हुए इंसान को जुड़ने में अरसा लग जाता है . और फिर जिंदगी जीने का मजा भी किरकिरा हो जाता है.
चलो अब चैन से सोयें
फिर ख्बाव लें उसका
जिसको देखा नहीं है
शायद-
अरसे से दिख जाए वही चेहरा