शनिवार, 10 मार्च 2018

हाल-ए-जिगर... हनीप्रीत की झलक के लिए तरस रहा कौन ?


हनीप्रीत आज भी जब भी सामने आती है. हर किसी को एक झलक का इंतजार रहता है. हर कोई चाहता है कि वस उसका एक दिदार हो जाए. पेशी के लिए अदालत लाई गई हनीप्रीत पर कैमरे का फॉक्स भी पुरा होता है, कि किसी तरह से उसकी एक झलक कैद हो जाए. लेकिन उसके सधे हुए कदम अब उसकी शारीरिक, मानसिक,समाजिक और आर्थिक कमजोरी को ब्यां करते हैं. अंबाला जेल से जब भी हनीप्रीत पंचकूला कोर्ट में पेशी में लाई जाती है. हर बार उसका अलग ही रुप नजर आती है. हां रुप नजर होता है और उसके साथ-साथ उसकी चाल-ढाल में भी फर्क नजर आता है. वो शायद इसलिए की बलात्कारी बाबा राम रहीम की राजदुलारी हनीप्रीत शायद पहले से कमजोर हो गई है. शायद हनीप्रीत को जिस रहन सहन की आदत है वो अब उससे कोसों दूर हैं. जिसका सिर्फ वो अब ख्याल ही ले सकती है. उसकी जिंदगी का वो सच है जो अब ख्याली है, और वर्तमान में उसकी स्थिति में हकीकत से कोसों दूर – हनीप्रीत के खान-पान की एक समय सारणी थी. लेकिन अब कानून की वक्त बंदी उसे फॉलो करनी पड़ती है. 

पंचकूला हिंसा और राम रहीम के जेल जाने के बादल दिन रात एक करके हरियाणा पुलिस हनीप्रीत को ढूंढ रही थी. उस दौरान बात सामने आई थी कि हनीप्रीत जिम्म भी किया करती थी. सूत्रों की माने तो खुद को सुंदर और स्वस्थ रखने के लिए वो योगा भी किया करती थी. इसके साथ-साथ वो त्वचा को सुंदर रखने के लिए कई नुख्शें भी इस्तेमाल किया करती थी. खुद की त्वचा को कोमल और आकर्षक बनाने के लिए हनीप्रीत कई प्राकृतिक औषधियों का भी इस्तेमाल किया करती थी. और इसमें वो अपने मुंह बोले बाप राम रहीम की भी मद्द लिया करती थी. बलात्कारी राम रहीम हनीप्रीत को कुछ खास प्राकृतिक औषधियां दिया करता था. और कुछेक खास तौर से राम रहीम हनीप्रीत के लिए ही बनाया करता था. ताकि हनीप्रीत अपनी खूबसूरती को बरकरार रख सके.

हनीप्रीत भी आत्म सुरक्षा के लिए कोई लापरवाही नहीं बदलती थी. सुबह शाम हर काम की समय सारणी तय किए हुए थी. कब क्या खाना, क्या पीना है. क्या पहनना है. हर चीज में सब तय किए हुए थी. लेकिन अब हनीप्रीत क्या खाएगी, क्या पीएगी, क्या क्या कब कैसे करेगी. वो सब तय करेगा अंबाला जेल प्रशासन,

हनीप्रीत की गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने काफी भागदौड़ की. और जब उसकी गिरफ्तारी हुई तब से हनीप्रीत पंचकूला कोर्ट अंबाला जेल से लाई और ले जाई जाती है, पंचकूला हिंसा की मास्टर मांइड कही जाने वाली हनीप्रीत पर कई धाराओं सहित देशद्रोह का केस चल रहा है.

लेकिन जितनी बार भी अंबाला जेल से बाहर हनीप्रीत को लाया गया. उतनी ही बार उसके लिबजा और अंदाज में बदलाव नजर आया. वो कमजोर सी नजर आई. सूत्रों की माने तो हनीप्रीत के वजन में भी गिरावट आई है, और स्वास्थ संबंधी परेशानियों का भी शिकार जेल के अंदर हनीप्रीत होती रहती है. कमर दर्द– सिर दर्द और सर्द मौसम में जुकाम  का शिकार भी लगातार हनीप्रीत होती रही.
मखमल के बिस्तर पर सोने वाली हनीप्रीत को शायद कडाके की ठंड लग गई,जेल में अंदर वक्त गुजार रही है. सूत्रों की माने तो  हनीप्रीत को जब भी अपना गुजरा वक्त याद आता है उसके शरीर में झुनझुनाहट सी हो जाती है, मानो उसे करंट लग गया हो. अपने हसीन वक्त को याद कर मंद मंद मुस्कुराती भी है. लेकिन जब उसे अपने चारों और सन्नाटा नजर आता है उसकी आंखे भर आती है.

हनीप्रीत हाल-ए-जिगर किसी को ब्यां भी नहीं कर सकती. अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसकी वजह से हनीप्रीत दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है. चांदी के चम्मच से डाइनिंग डेबल पर बैठ कर खाना खाने वाली हनीप्रीत को अब कालकोठरी के भीतर थाली में सब्जी, दाल और रोटी से पेट भरना पड़ रहा है. थाली से रोटी तो हनीप्रीत तोड़ लेती है, लेकिन उसके हलक से नीबाला नीचे उतर नहीं पाता. जेल के शुरुआती दिनों में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सूत्रों की माने तो मिनीरल वॉटर पीने वाली हनीप्रीत को खाने संबंधी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा और उसी का नतीजा आज यह है कि हनीप्रीत कमजोर हो गई है. आखों के नीचे काले घेरे भी अब बढ़ गए हैं.

कमजोर हो गई है बलात्कारी की दुलारी हनीप्रीत !


डेरा सच्चा सौदा की राजरानी- अब बदली बदली सी नजर आ रही है. राम रहीम की एंजल का रंग –ढंग बदला सा नजर आ रहा है, बलात्कारी बाबा राम रहीम को अपनी जान से प्यारी जान की चिंता तो बहुत हो रही होगी. क्योंकि अब उसका रंग-ढंग बदला बदला सा नजर आ रहा है. डेरा सच्चा सौदा की राजरानी अब हर वक्त खाकी वर्दी वालों से घिरी हुई है. जो कभी पानी पीने के लिए कदम नहीं बढ़ती थी. उसके एक इशारे पर पेयजल का प्रबंध खास तौर-तरीके से किया जाता था. आज उसको पानी के लिए भी गुजारिश करनी पड़ती है. 

राम रहीम की राजदुलारी हनीप्रीत पिछले काफी दिनों से अंबाला जेल में बंधक है. जहां वो अपने डेरे में बिताए दिनों को य़ाद कर रही है. डेरे में मखमल के बिस्तर पर सोने वाली हनीप्रीत अब कालकोठरी में जिंदगी बिताने को मजबूर है. कभी जो मनमर्जी से जिंदगी जिया करती थी . जिसका अपना एक कानून था. आज उस हनीप्रीत को कानून के मुताबिक जिंदगी जीनी पड़ रही है. शुरुआती दिनों में रहीम की राजदुलारी को मुश्किल तो हुआ होगा.लेकिन अब उसको आदत हो गई है. जेल के बाहर जाने का एक मौका ही तलाशती है,.ताकि खुले आसमान को निहार सके लेकिन वो भी उसके लिए मुनकिन नहीं रहा है.

खाकी वर्दी वालों के बीच हनीप्रीत को बार-बार जेल का सफर करना लगातार अच्छा नहीं लगता होगा. क्योंकि इसको आदत थी हुक्म देने की. जो लगता है कि अब इन खाकी वालों के बीच इसकी छुट गई है. हनीप्रीत के सामने कोई सिर उठाने की कोशिश नहीं करता था. आज वहीं हनीप्रीत जब भी अदालत लाई जाती है तो सिर झुकाए.चुप्पी साधे – दुनिया से मुंह छुपाए आती है, और ऐसे ही चली जाती है. और साथ अपने ले जाती है वो कई सवाली ख्याल जिन्हे वो सोच तो सकती है. लेकिन किसी से बोल नहीं सकती. और शायद इसी सोच  ने हनीप्रीत को कमजोर सा कर दिया है. हनीप्रीत को जब भी पेशी के लिए लाया जाता है तो उसके लिबाज से अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि हनीप्रीत को अब उसके ही कपड़े ढीले होने लगे हैं.

राम रहीम और हनीप्रीत में दूरी ... इतनी क्यों!


बाबा और उसकी बेबी का रिश्ता बेमिसाल है. उनका हर काम कमाल है. दोनों साथ -साथ हर काम किया करते थे. यहां तक की दोनों के शौक भी एक जैसे थे. लेकिन दोनों ही एक-दूसरे से दूर हैं. हाल-ए-दिल भी शायद किसी को ब्यां नहीं कर सकते . वर्तमान में बाबा की एंजल की कमजोरी का कारण शायद यही है.


हनीप्रीत राम रहीम की मुंह बोली बेटी है. जो अपने मुंह बोले पापा के साथ हर वक्त रहती थी. या यूं कहें बलात्कारी राम रहीम अपनी दत्तक पुत्री हनीप्रीत के साथ साए की तरह रहता था.


लेकिन वक्त और हालात ने इस साथ में अब दूरियां डाल दी हैं. राम रहीम और हनीप्रीत एक दूसरे के  वियोग में है दोनों साए की तरह साथ रहने वालों में अब कानून की दूरियां हैं,  एक अंबाला जेल में बंद है और दूसरा रोहतक की सुनारिया जेल में.


बाबा और उसकी बेबी का रिश्ता बेमिसाल है और उनका हर काम कमाल है. दोनों साथ साथ हर काम किया करते थे. यहां तक की दोनों के शौक भी एक जैसे थे. बाबा की बेबी का एक बयान यह भी था कि पापा जी साथ होते हैं तो उसे किसी बात का डर नहीं लगता. और वर्तमान में बाबा की एंजल की कमजोरी का कारण शायद यही है कि उसे अकेले रहने में डर लगता है. जिस डर के कारण वो कमजोर हो रही है, दुनिया को अपनी उंगलियों को नचाने वाले बाबा और बेबी में आज दूरियां है, दोनों को शायद एक दूसरे की याद भी आती होगी. दोनों का एक- दूसरे के साथ बैठ कर बात करने का मन भी करता होगा. लेकिन हालात इस बात की उनको इज्जाजत नहीं देते.

पुरानी यादों के सहारे राम रहीम के बिना हनीप्रीत !


राम रहीम की स्पेशल बेबी अब अंबाला पुरानी यादों के सहारे दिन-रात काट रही है. जब उसको कोर्ट लाया जाता है,., तब उसको अपने किए पर शायद पछतावा भी होता होगा. और शायद जेल से बाहर जाने की कहीं न कहीं उसे कोई किरण भी नजर आती होगी. चढ़ते सूरज के साथ उम्मीद की किरण के सहारे उसका भरोसा बढ़ता भी होगा, लेकिन जैसी ही सूरज ढलता होगा, उसको विश्वास टूटता सा नजर आता होगा.

रात को फिर चांद की रोशनी को देखते हुए पूरानी यादों के सहारे नींद की झपकी लेती होगी, और अगली सुबह फिर एक उम्मीद के सहारे जेल में काम करते हुए फिर ख्यालों में खोई रहती है. सूत्रों की माने तो जब भी हनीप्रीत को जब भी कोई आवाज जेल के भीतर देता है. कई बार ख्यालों में ढूबे होने के कारण उसको करीब से जाने पर ही हिला के पुकारा जाता है.

जेल से बाहर बाबा के साथ बिताए वक्त में राम रहीम के साथ जिस हनीप्रीत की तस्वीरें जो आप देख रहे हैं, वो हनीप्रीत अब हकीकत में भी दिखाई नहीं पड़ती है. ख्यालों में खोए रहना और बार-बार सोच में डूबे रहना शायद हनीप्रीत की कमजोरी की एक वजह यह भी है.  क्योंकि जेल में होते हुए भी उसका दिमाग कहीं और रहता है. सूत्रों का यह भी कहना है कि कई बार एक जगह पर हनीप्रीत घंटों बैठी रहती है. और न जाने क्या-क्या किन लम्हों के बारे में सोचती रहती है.

शायद उसे डेरे के वो सब लम्हें याद आते होंगे जो वो भुलाए नहीं कभी भुलना चाहती. वो रंगीन और हसीन लम्हें जो डेरे की राजरानी के तौर पर उसने डेरे में बिताए है, अब उसकी जिंदगी के इतिहास के पन्नों के तौर पर देखती होगी. शायद वो उसके कभी कभी एक हसीन ख्वाब समझने की भी बात करती हो अपने ही मन से-

बलात्कारी राम रहीम की एंजल हनीप्रीत दिन ब दिन कमजोर हो रही है. शायद राम रहीम को भी हनीप्रीत की फिक्र रोहतक की सुनारिया जेल में होती होगी. लेकिन हाल -ए -दिल का जिक्र किसी से करे भी तो क्या करे. सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि राम रहीम का भी जेल के भीतर स्वास्थय कुछ ठीक नहीं है और कभी-कभी हनीप्रीत से मिलने की बात भी करता है. जाहिर सी बात है कि राम रहीम और हनीप्रीत पिछले कई महीनों से एक दूसरे से दूर हैं, और कभी –कभी दोनों का ही एक दूसरे का हाल जानने का मन करता है. और शायद यही वजह है कि दोनों ही मानसिक और शारीरिरिक परिशानियों के साथ गुजर रहे हैं. और जो तस्वीरें आपने हनीप्रीत की देखी वो भी उसको दिन ब दिन आ रही कमजोरी को ब्यान करती है. जिस्से साफ जाहिर है कि बलात्कारी बाबा राम रहीम की एंजल कमजोर हो गई है.

‘आप’ ने अभी से कस ली कमर, बार-बार मात पंजाब में ‘आप’ ने खाई!



हर पार्टी 2019 की तैयारी में जुट गई है. और आम आदमी पार्टी ने भी अब कमर कस ली है. जाहिर सी बात है कि पंजाब में आप  काफी पिछे है और अब सबसे आगे निकलने की फिराक में है, जहां हर पार्टी का मकसद 2019 के चुनाव में जीत हासिल करना है,. लेकिन पंजाब आप का टारगेट अब 2019 के बाद 2022 भी साथ है.

पंजाब की राजनीति का असर दिल्ली तक दिखने को आए दिन मिलता है. और जब से पंजाब सरकार सत्ता में आई है, विपक्ष की मुश्किलें जहां बढ़ती दिखी हैं, वहीं सरकार को भी आए दिन विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा है. लेकिन साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव का मौसम हाल में हुए नगर निगम चुनाव तक आम आदमी पार्टी के अंदर के हामजे को बिगाड़ता रहा है.  
पंजाब में आम आदमी पार्टी पर सर्द हवाओं का असर दिल्ली तक दिखा है. सुबह और शाम को सर्द हवाओं से ठिठुर रहे पंजाब में नगर निगम चुनाव हारने के बाद आप ठिठुर सी गई है। आलम यह है कि दो महीने बाद भी नए प्रभारी और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अभी तक आधिकारिक तौर पर पंजाब का एक भी दौरा कर पार्टी को सियासी गर्मी देने की कोशिश नहीं की है।

पंजाब प्रधान भगवंत मान ने प्रधानगी का ताज पहनने के बाद से ही पहले खुद को पार्टी की तमाम गतिविधियों से दूर कर लिया । नतीजतन, अगले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की हवा अभी से निकलती दिखाई देने लगी है। विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने तमाम विरोध के बाद भी पंजाब की सियासत में सत्ता पलट करने की भरसक कोशिशें की थीं।
लोगों का अच्छा समर्थन पार्टी को विधानसभा चुनाव से दो सप्ताह पहले तक मिला था। इसके बाद अचानक से कट्टरपंथियों के समर्थन को लेकर खुली पार्टी की पोल के बाद पंजाब के लाखों मतदाताओं ने आप से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। इसके बाद अरविंद केजरीवाल द्वारा खिसकते जनाधार को बचाने को लेकर की गई तमाम कोशिशें भी रंग नहीं ला सकीं।

 विधानसभा चुनाव में 80 सीटों का सपना देखने वाली आप सूबे में 20 सीटों पर ही सिमट कर रह गई।  उसके कुछ ही समय बाद हुए गुरदासपुर लोकसभा उप चुनाव और उसके बाद जालंधर, अमृतसर, पटियाला और लुधियाना नगर निगम चुनावों में पार्टी की बुरी तरह से हार हुई है।  चारों के निगमों के 320 वार्डों के चुनाव में आप ने सिर्फ एक सीट जीती है। पंजाब के नेताओं ने कुछ वीडियो पेश करते हुए सफाई दी कि कांग्रेस ने निकाय चुनाव धक्केशाही से जीता है।  

लेकिन अब पंजाब आम आदमी पार्टी होली के बाद से नए रंग में नजर आने लगी है. पंजाब आम आदमी पार्टी को दिल्ली बुलाया गया. बैठक में पंजाब प्रधान सांसद भगवंत मान, उप प्रधान अमन अरोड़ा, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा और  आप विधायकों के अलावा जोनल इंचार्जों को भी बुलाया गया था।  आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया ने प्रदेश में बीते दिनों हुए निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार पर दिल्ली में पंजाब के नेताओं की खिंचाई की।
बैठक के बारे में अमन अरोड़ा ने बताया कि कई मुद्दों पर चर्चा की गई है,  प्रदेश के नेताओं के साथ पहली बैठक में उन्होंने जोनल इंचार्जों से उनके जोन के बारे में पूरी जानकारी ली। इस मौके पर पंजाब के मामलों और लगातार गिर रहे पार्टी के ग्राफ के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी मंथन किया गया। दूसरी बैठक भी इसी महीने बुलाने की रणनीति पर विचार किया गया।
दिल्ली में मंगलवार को हुई पंजाब आप की बैठक के बाद सांसद भगवंत मान ने कहा कि पार्टी को मजबूत किए जाने की बात चर्चा हुआ.
बाईट-    भगवंत मान
पार्टी सूत्रों के अनुसार आप नेताओं को हाईकमान ने लगातार खत्म हो रहे पार्टी के जनाधार को लेकर काफी लताड़ लगाई है। यही वजह है कि दिल्ली गए नेता बैठक के बारे में बोलने से कतरा रहे हैं। सिसोदिया ने बैठक में जोनल इंचार्जों को ज्यादा तवज्जो दी। औऱ अब दो सप्ताह के अंदर दूसरी बैठक करके लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करनी है।