Aaj ki kalam se
गुरुर न कर
"शाह-ए-शरीर"
का, ... !
मेरा भी 'खाक'
होगा, तेरा भी
'खाक' होगा ... !!
'मौत' को देखा
तो नहीं, पर
शायद 'वो' बहुत
"खूबसूरत"
होगी, ... !
"कम्बख़त"
जो भी 'उस'
से मिलता है,
"जीना
छोड़ देता है"
... !!
'ग़ज़ब' की 'एकता'
देखी "लोगों की ज़माने
में"
... !
'ज़िन्दों'
को "गिराने में" और
'मुर्दों' को "उठाने
में"
... !!
"बक्श
देता है 'खुदा'
उनको, ... !
जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती
है ... !!
वो हरगिज नहीं 'बक्शे'
जाते है, ... !
जिनकी 'नियत' खराब होती
है... !!"
जिन्दगी भर 'ब्रांडेड-ब्रांडेड' करने
वालों ...
!
याद रखना 'कफ़न' का
कोई ब्रांड नहीं
होता ... !!