जब भी जिस भी विषय - वस्तु के बारे में बात की
जाती है . तब वहां का इतिहास और भुगौलिक स्थिति को समझाना काफी महत्वपूर्ण होता है
. और आज हम उत्तर भारत की ब्यूटीफुल सिटी चंडीगढ़ के बारे में बात कर रहे है .
चंडीगढ़ के इतिहास से तो हर कोई बाकिफ है . लेकिन उसमे क्या-क्या बदलाब हुए आज हम
वो जानते है.
16 साल में इतना बदला चंडीगढ़
साल 2000 तक चंडीगढ़ की पहचान बाबुओं के शहर के तौर पर ही थी। कहा जाता था- A
city of white beards and green hedges। शहर आज भी
ग्रीन है, हालांकि 16 साल के सफर ने इसे हैप्निंग और हैपिएस्ट शहरों में शुमार कर दिया है।
आईटी पार्क आने के साथ ही यह मल्टीनेशनल कंपनियों का हॉट स्पॉट बन गया।
चंडीगढ़ में ये
हुए बदलाव...
- अपने सॉलिड बिजनेस आइडिया से यहां के
लोगों की सोच बदली है और लोग रिस्क लेने लगे हैं।
- अब यहां के लोग नौकरी की तलाश में
दूसरे शहरों में कम ही जाते हैं।
- पिछले 16 सालों में चंडीगढ़ ऐसे यंग एंटरप्रेन्योर्स का वर्क प्लेस बना, जो नए स्टार्टअप ला रहे हैं।
- हाल ही में यहां 80 स्टार्ट अप्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
जहां जानवर बंधते
थे अब वहां से उड़ते हैं प्लेन
- झुरहेड़ी गांव, जहां आज है
इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- 2000 में चंडीगढ़ में एक छोटा सा एयरपोर्ट
था, सिर्फ तीन फ्लाइट्स जाती थीं दिल्ली के लिए।
दोपहर तीन बजे तक एयरपोर्ट बंद हो जाता था।
- ट्राईसिटी के पोटेंशियल को देखते हुए
यहां एयरपोर्ट को विस्तार देने की प्लानिंग हुई।
- 2007-08 में मोहाली के गांव झुरहेड़ी के 93 किसानों की 330 एकड़ जमीन लेकर
इलाके की सूरत ही बदल दी गई।
- पंजाब में पहली बार डेढ़ करोड़ रुपए
प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन का मुआवजा दिया गया था।
- आज यहां शानदार इंटरनेशनल एयरपोर्ट
है, इंतजार है तो बस इंटरनेशनल फ्लाइट्स का।
16 सालों में बढ़ा इंफ्रास्ट्रक्चर
- सोलह सालों में चंडीगढ़ का
इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर तरीके से डेवलप हुआ है।
- शहर की अधिकांश सड़कें फोर लेन से
सिक्स लेन हो गई हैं।
- पार्किंग की दिक्कत से निपटने के लिए
शहर की पहली मल्टीलेवल पार्किंग बनकर तैयार है।
- वहीं, पीजीआई और हाईकोर्ट में भी मल्टीलेवल पार्किंग बन गई है।
- कई जगहों पर ट्रैफिक की प्रॉब्लम को
दूर करने के लिए एक नए ओवर ब्रिज बनाए गए हैं।
- शहर के राउंड अबाउट में ट्रैफिक जाम
से निपटने के लिए ट्रैफिक लाइट्स लग गईं।
- एक नया बस अड्डा, नया कोर्ट कॉम्प्लेक्स भी तैयार हो गया।
- इंडस्ट्रियल एरिया इंडस्ट्रियल
बिजनेस पार्क बन गया।
गार्डन सिटी बना
चंडीगढ़
- चंडीगढ़ की पहचान पहले सिर्फ रोज
गार्डन और रॉक गार्डन तक ही सीमित थी। अब शहर में एक दर्जन से अधिक थीम गार्डन
हैं।
- गार्डन ऑफ फ्रेगरेंस, गार्डन ऑफ कोनिफर्स, टैरेस्ड
गार्डन, पाम गार्डन, जैपनीज गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन इनमें प्रमुख हैं।
होटल एंड शॉपिंग
मॉल
- 2000 में शहर में एक भी फाइव स्टार होटल
नहीं था। आज चंडीगढ़ में इस समय पांच बेहतरीन होटल, 80 से अधिक बड़े होटल्स और 50 से अधिक
मल्टीनेशनल फूड चेन्स हैं।
- वर्ष 2003 में ढिल्लों सिनेमा की जगह पहला मल्टीप्लेक्स बना तो 2016 तक शहर के एक सिनेमा को छोड़कर सभी सिंगल स्क्रीन सिनेमा
मल्टीप्लेक्स में कन्वर्ट होने के लिए तैयार हो गए।
21वीं
सदी में बदलता चंडीगढ़
- 2001 तक जहां झाड़ियां उगी हुई थी, वहां 2300 मकान बने
- 15 साल पहले घग्गर पार खाली जमीन थी।
बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई थी।
- 2005 में हुडा ने यहां पर सेक्टर्स बसाने
शुरू किए और सड़कें बनने लगी।
- एरिया डेवलप होता गया और आज यहा
सेक्टर-23 से लेकर 28 तक बस चुके हैं।
- अब यहां पर 2300 मकान बन चुके हैं और 12 हजार 800 आबादी रहती है।
- इन सेक्टर्स में कई सोसाइटीज में लोग
रहते हैं।
- घग्गर पार के सेक्टर्स में बढ़ते
ट्रैफिक दबाव को देखते हुए यहां सड़क को हाईवे की तर्ज पर डबललेन किया गया है
चंडीगढ़ एक सुयोजित शहर है , और यहाँ
हरियाणा ,पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोग निवास भी
करते है ,और
ज्यादातर लोगों का यहाँ स्थित पीजीआई में इलाज करवाने के लिए आना - जाना भी लगा रहता है , गंभीर
बीमारी के इलाज के लिए आम तौर पर मरीज पीजीआई चंडीगढ़ इलाज कराने के लिए पहल देते
हैं,लेकिन वर्तमान हालत कुछ ऐसे हैं कि यहाँ की पार्किंग व्यवस्था इन दिनों
खुद ही बीमार पड़ी है , जो सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। पीजीआई फैकल्टी और स्टाफ
के बीच पिछले दिनों पार्किंग को लेकर हुए विवाद के बाद पीजीआई प्रशासन ने इस
प्राब्लम को सुलझाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।लेकिन कब इस समस्या का समाधान होगा
ये तो भविष्य ही बताएगा , पर आज इस रिपोर्ट से जानते है कि पीजीआई में कहाँ - कहाँ पार्किंग की समस्या से जूझना
पड़ रहा है -
पी.जी.आई. में ‘विकराल’ पार्किंग समस्या
पी.जी.आई. में पार्किंग समस्या बढ़ती
जा रही है। मरीजों के साथ उनके परिजनों को वाहन पार्क करने के लिए कड़ी मशक्कत
करनी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक पी.जी.आई. की पार्किंग एक ही कांट्रैक्टर के
पास है। पी.जी.आई. की करीब आधी पार्किंग पी.जी.आई. स्टाफ के लिए है जबकि बाकी बची
पार्किंग मरीजों के लिए है। स्टाफ के लिए पार्किंग उनके विभाग के पास बनाई गई है लेकिन मरीजों को वाहन
पार्क करने के लिए विभाग से काफी दूर जाना पड़ता है।
एमरजैंसी
पी.जी.आई. की एमरजैंसी की अपनी कोई
पार्किंग नहीं है। एमरजैंसी में आने वाले मरीजों को अपने वाहन एमरजैंसी के सामने (अपोजिट) स्थित ब्लाक के साथ वाली
बिल्ंिडग में खड़े करने पड़ते हैं।एमरजैंसी के सामने भार्गव ऑडिटोरियम, रिसर्च सैंटर आदि ब्लॅाक है, जहां पर पार्किंग में लोगों को अपने वाहन खड़े करने पड़ते हैं।
एंडवासआई डिपार्टमैंट
पी.जी.आई. के एडवांस आई डिपार्टमैंट
के मरीजों के लिए कोई पार्किंग नहीं है। आई सैंटर के पास जो पार्किंग है वह
सिर्फ पी.जी.आई. के स्टाफ के लिए बनाई है।
आई सैंटर पर आने वाले मरीजों को वाहन खड़े करने के लिए नई ओ.पो.डी. के सामने बनी पार्किंग में
जाना पड़ता है और वहीं से पैदल आना पड़ता है।
नेहरू अस्पताल
नेहरू अस्पताल, नेहरू सराय और डैंटल
अस्पताल के बीचों-बीच बनी पार्किंग को भी सिर्फ स्टाफ के लिए रखा गया है। पहले यह पार्किंग मरीज प्रयोग
कर सक ते थे लेकिन अब डैंटल अस्पताल के साथ एक पार्किंग बनाई गई है। जो काफी छोटी
है। इस पार्किंग में वाहनों को अंदर ले जाना और बाहर निकालने में काफी समय बर्बाद
हो जाता है।
स्टाफ के लिए पार्किंग
पी.जी.आई. में स्टाफ डाक्टर्स, नर्स व क्लर्कआदि के लिए आई सैंटर ब्लाक के साथ ही पार्किंग बनाई गई है
जबकि नेहरू ब्लाक के बीचों-बीच भी पार्किंग बनाई गई है।
पंजाब यूनिवर्सिटी में ट्रैफिक इतना
बढ़ गया है कि कैंपस में जाम की स्थिति पैदा हो गई है और साथ ही इसके पार्किंग की
समस्या भी बढ़ जाती है। जिससे कैंपस में स्टूडेंट्स, फैकल्टी और अन्य लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या
से निजात पाने के लिए अब प्रशासन ब्रिज बनाने पर विचार कर रहा है ताकि जिससे इस
समस्या का हल हो सके।
पी.यू. में
ट्रैफिक की समस्या जल्द होगी खत्म
पी.यू. में पार्किंग समस्या को खत्म
करने के लिए मल्टीलैवल पार्किंग और कैंपस के बीचोंबीच ब्रिज बनाने की योजना बनाई
जा रही है। योजना को अमलीजामा पहनाने से पहले लगातार बैठकों का दौरा जारी है। अगर
कैंपस में मल्टी स्तर की पार्किंग और ब्रिज बन जाता है तो इससे कैंपस से
ट्रैफिक कंट्रोल हो जाएगा। कैंपस में
मल्टी स्तर की पार्किंग कहां-कहां बनेगी इसके
लिए नई रूपरेखा तैयार की जा रही है।
बनाया जाएगा
ब्रिज
वहीं कैंपसमें जो ब्रिज बनाया जाएगा,
वह सैक्टर-14 से
सैक्टर-25 के
बीचों-बीच बनाने की योजना है। फिलहाल इन पर कितना फंड खर्च होगा, यह तय नहीं हुआ है। कैंपस में ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए
कई की योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन अब पी.यू. ने ट्रैफिक नियंत्रित करने के लिए
ब्रिज बनाने का रास्ता निकाला है।
पी.यू. जूझ रहा ट्रैफिक समस्या से
आपको बता दें कि पी.यू. ट्रैफिक
समस्या से लंबे समय से जूझ रहा है। कैंपस में में स्टूडैंट, फैकल्टी मैंबर्स व आऊटसाइडर अपनी-अपनी गाडिय़ों व अन्य व्हीकल पर आते हैं,
लेकिन कैंपस में पार्किं ग की समस्या होने पर उन्हें
अपने व्हीकल कैंपस में कहीं पर भी पार्क करने पड़ते हैं। हाल ही में कैंपस में
आऊटसाइडर्स की गाडिय़ों की एंट्री गेट नंबर दो व तीन से बंद कर दी है, जबकि गेट नंबर एक पर उन्हें पार्किंग करने के लिए कहा जाता है।
बनी कई योजनाएं
इससे पहले कैंपस से ट्रैफिक
नियंत्रित हो इसके लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। कैंपस में पिछले साल ही हॉस्टल में
रहने वाले स्टूडैंट्स को गाडिय़ां न रखने के नियम बनाए गए, स्टूडंैट्स को बस शटल सर्विस का प्रयोग करने के लिए कहा गया। उन्हें
साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करने की योजना भी बनाई गई, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। कैंपस में ट्रैफिक की समस्या जस की तस बनी हुई है।