हर कोई सोशल मिडिया पर फेम हासिल करना चाहता है, आजकल हर कोई सबसे ज्यादा वक्त यहीं बिताता है. क्यूंकि एक अच्छा और आसान प्लेटफॉर्म है| हर किसी तक अपने विचारों को पहुंचाने के लिए - शायद तभी तो आसानी से अपने मन की बात को सोशल मीडिया पर हर कोई साँझा करता है.सही भी है - बेशक भारत के प्रधानमन्त्री नरेंदर मोदी के बाद कई नेताओं ने अपने मन की बात रेडियो पर शुरू की है लेकिन उनको और उनके विचारों को भी सोशल मीडिया पर ही अच्छा पथ मिल जाता है। निजी के साथ कॉपी पेस्ट का सिलसिला भी बरकार भी यहाँ बरकार है। सोशल मीडिया पर यहाँ ज्यादा ज्ञान न दूँ तो ही बेहतर है क्यूंकि आप खुद ही जानते हो की इसका कितना फायदा है। चाहे ख़ुशी की बात हो ,या दिल उदास हो - चाहे मस्ती हो या कोई फसाद हो - सब यहीं होता है | इसिलए हर कोई अपने मन की बात यहाँ आसानी से कर पता है। लेकिन अब दौर बदल गया है , हर किसी ने अपने विचारों का आदान-प्रदान करने का तरिका भी बदल दिया है। हाल ही में कुछ ऐसे सामाजिक मामले सामने आए है
यानि खुद तो मरो साथ में
दो- चार और ले मरो - अब आधुनिक युग है तो मौत भी आधुनिक हो गई है। हरेक का अपना
स्टाइल हो गया है मरने का भी। अब शायद ये कहना मुश्किल हो जाएगा की जिसकी जितनी
लिख है वह जियेगा ही ,परन्तु अब इंसान खुद अपनी मौत, जगह और वक्त खुद तय कर रहे है।
हाल ही में ऐसे कुछ मामले भी
सामने आए -
आत्महत्या करने से पहले रिसर्च
लगभग एक साल पहले 30 Aug 2016
बैंगलोर की एक फैशन डिजायनर ईशा हांडा ने 13वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली
थी। ये अपने आप में एक अनोखा केस था क्योंकि हर किसी के पास आत्महत्या करने की वजह
होती है...किसी ना किसी परेशानी में घिरा शख्स ही आत्महत्या करने पर मजबूर होता है
लेकिन इस केस में एक अलग ही एंगल निकलकर सामने आया।
ईशा ने आत्महत्या करने से पहले 48 घंटे तक
रिसर्च की थी कि कैसे आत्महत्या कर सकते हैं मतलब कि वो आत्महत्या करने के तरीके
ढूंढ रही थी। जिसमें कूदकर जान देने, जहर खाना, ज्यादा
मात्रा में नींद की गोली खाना, फांसी लगाना, डूबकर
मरना, करंट
लगाना, दम
घोंटना, और
छत से कूद कर मरना जैसे तरीके शामिल थे। ईशा ने गूगल पर इन सभी तरीकों सर्च किया
था।फैशन डिजाइनर ईशा के फोन सर्च के आधार पर जानकारी मिली है कि उसने गूगल में
सर्च कर आत्महत्या का करने तरीका पता किया था।
उसने गूगल में पहले ये सर्च किया कि
आत्महत्या कैसे करते हैं और फिर आत्महत्या का सबसे अच्छा तरीका क्या है यह भी सर्च
किया था। इसके बाद जब उसे आत्महत्या करने सही तरीका पता चल गया तो उसने आत्महत्या
करने की जगह की रेकी की और फिर उसके अगले दिन एक बिल्डिंग की 13वीं मंजिल से कूदकर
आत्महत्या कर ली थी।

ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग और उसकी पे स्लिप के
जरिए पुलिस को जानकारी मिली है ईशा ने जिस बिल्डिंग से कूदकर जान दी उससे पहले
उसने दो और बिल्डिंग पर चढ़ी थी लेकिन वो बिल्डिंग उसे कम ऊंची लग रही थीं तो उसने
फिर तीसरी बिल्डिंग पर चढ़ी जो 13 मंजिल की थी।
बताया जाता रहा है कि इन तीनों इमारतों को
हर तरह से देखने में उसने करीब साढ़े तीन घंटे लगाया और फिर अंत में करीब 8:30 बजे
शाम को शोभा क्लासिक नामकी बिल्डिंग से कूदकर जान दे दी।
Apr
4 2017
स्टूडेंट ने होटल की 19वीं मंजिल से लगाई छलांग और फेसबुक पर शेयर किया लाइव वीडियो

ये है पूरा मामला:
जानकारी के मुताबिक ये घटना सोमवार शाम 6.30
बजे की है। इस वारदात से पहले सुबह के करीब 3 बजे इस लड़के ने होटल पहुंच कर रूम
नंबर 1925
बुक कराया जो कि 19वीं मंजिल पर था।
आत्महत्या करने से पहले अर्जुन ने अपने
फेसबुक अकाउंट पर 'सुसाइड एट ताज लैंड एंड' कैप्शन
के साथ एक वीडियो शेयर किया जिसमें उसकी आत्महत्या का पूरा वीडियो रिकॉर्ड है।
इस सुसाइडल वीडियो में उसने आत्महत्या के
पांच स्टेप बताए हैं। सबसे पहले वो सुसाइड नोट लिखता है, सिगरेट
सुलगता है,
शराब पीता है, पास्ता खाता और फिर होटल के कमरे से
छलांग लगा कर आत्महत्या कर लेता है।
मामले की तफ्तीश करने पहुंची पुलिस को
घटनास्थल से 9 सुसाइड नोट मिले हैं जिसमें उसने लिखा कि वो ड्रग एडिक्ट है और अब जिंदगी में उसे कोई दिलचस्पी
नहीं है।
April
16, 2017
फेसबुक पर खुदकुशी का लाइव
वीडियो, जिसने भी देखा सहम गया
सोनीपत में फेसबुक पर वीडियो लाइव कर युवक
ने फंदा लगा लिया, जिसे देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। उसे फंदा
लगाते जिसने भी देखा कमैंट कर उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन
युवक नहीं रुका और फंदा लगा लिया।
60 पेज की एक डायरी व दीवार पर
लिखी मौत की कहानी

मृतक की पहचान शहर के देव नगर निवासी दीपक (28) के
रूप में हुई है। उसने अपने घर के कमरे में छत के पंखे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर
ली। घटना के समय दीपक घर पर अकेला था। उसके माता-पिता कहीं बाहर गए थे, वहीं
दीपक अपनी पत्नी व बेटे को अपने परिचित के घर छोड़ आया था।
मरने से पहले बेटे संग फेसबुक
पेज पर डाला फोटो

मृतक की पत्नी ने किया खुलासा
पत्नी किरण और उसकी बहन नीलम का कहना है कि
दिल्ली पुलिस में तैनात हैड कांस्टेबल उषा बोस और ए.एस.आईं. सुरेश वत्स के बीच चल
रहे प्रेम प्रंसग का पता दीपक को पता चल गया था, जिसके
चलते ये दोनों उसे जान से मारने की धमकी भी देते थे और उसे इतना प्रताड़ित करते थे।
बस इसी के चलते उसने सुसाइड नोट लिखा और फिर फेसबुक पर अपनी लाइव फांसी लगाकर
जीवनलीला समाप्त कर ली। हालांकि पुलिस ने इस मामले में 3
के खिलाफ मामला दर्ज़ कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
April
20, 2017
मौत से पहले युवा किसान ने
बनाई वीडियो,सुनाई दर्द भरी
दास्तां

11
Dec 2016
फेसबुक पर लड़की ने किया पहली
बार लाइव सुसाइड पर क्लिक

12 साल की बच्ची ने किया था
सुसाइड


'
जिम्बॉब्वे के सिंगर रिचर्ड
ने गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप पर किया था FB सुसाइड
38 साल के रिचर्ड ने अपनी गर्लफ्रेंड से
ब्रेकअप होने के बाद लाइव सुसाइड किया था। वीडियो में रिचर्ड पेस्टिसाइड पीते हुए
दिख रहे हैं। सोशल मीडिया फैन्स ने पुलिस को जानकारी दी, जिसके
बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी।
तुर्की में इस शख्स ने गोली
मारकर किया था लाइव सुसाइड
हर किसी के पास आत्महत्या
करने की वजह होती है...किसी ना किसी परेशानी में घिरा शख्स ही आत्महत्या करने पर
मजबूर होता है हर केस में एक अलग ही एंगल निकलकर सामने आता है।
इस वजह से करते है आत्महत्या
भारत में
हर साल एक लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं, जो विश्व
के औसत का बड़ा हिस्सा है। आंकड़ें तो हमेशा बदलते ही रहते है, क्यूंकि
संख्या आज होर होगी जो बढ़ सकती है लेकिन कम नहीं हो सकती है। आत्महत्या करने वालों
में अधिकतर लोग साक्षर होते है ह, जो देश की राष्ट्रीय साक्षरता दर से भी शायद
अधिक है। सवाल यह है कि लोग ऐसा चरमपंथी कदम उठाने का फैसला क्यों करते हैं; आखिर ऐसा
क्या है जिसके चलते वे जीवन का मोह त्याग देते हैं?
घरेलू हिंसा
घरेलू
हिंसा भारत में आत्महत्या के मुख्य कारणों में से एक है। इस तरह के मामलों में
ज्यादातर महिलाएं ही आत्महत्या की शिकार होती हैं। लगातार तनाव और अशांति का कारण
अवसाद और अंत में आत्महत्या की ओर ले जाता है।
रिश्ते और पारिवारिक समस्याएं
युवाओं के
बीच, यह आमतौर पर रिश्ते और प्यार में विफल रहने पर
होता है, धोखाधड़ी और सम्बन्ध विच्छेद व्यक्ति को
आत्महत्या की ओर ले जा सकता है। यहाँ तक कि विवाहित जोड़ों के लिए गलतफहमी, आपसी
मतभेद और विश्वासघात भी आत्महत्या के कुछ कारण हैं। माता पिता, भाई बहन
या साथी का अपमानजनक बर्ताव भी आत्महत्या के प्रयास के लिए योगदान करते हैं।
आर्थिक तौर पर कमज़ोरी या वित्तीय
कारण
कर्ज का
भुगतान करने में असमर्थता, काम की तलाश, परिवार का
सहारा और बीमार माता पिता के मेडिकल खर्चों को पूरा करने में नाकाम रहना वह
वित्तीय कारण है जो लोगों को आत्महत्या करने की ओर ले जाते हैं। ऋण देने वाली
संस्थाएं और साहूकार आम तौर पर ऋण लेने वालों से भारी मात्रा में ब्याज लेते हैं
और उन्हें धन वापस करने के लिए लगातार परेशान करते हैं। इन व्यक्तियों से लगातार
तनाव उधार लेने वालों को आत्महत्या की ओर धकेल देते हैं।
शिक्षा
भारत में
छात्रों की आत्महत्या कोई अनोखी बात नहीं है। आमतौर पर इन आत्महत्याओं का कारण
होता है दोस्तों से बेहतर प्रदर्शन करने की चाह और माता-पिता का मानसिक दबाव।
छात्रों पर हमेशा ही अच्छे ग्रेड लाने और माता-पिता की अपेक्षाओं में खरा उतरने का
दबाव रहता है, इसलिए जब वे किसी परीक्षा में असफल होते हैं तो
अपना जीवन समाप्त करने का फैसला ले लेते हैं। इन आत्महत्या पीड़ितों का सामाजिक
स्तर आमतौर पर मध्यम वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग होता है, जिसमें
माता पिता को बच्चों की शिक्षा के खर्च को पूरा करने के लिए पैसे उधार लेने पड़ते
हैं या उन्हें अतिरिक्त काम करना पड़ता है।
मादक पदार्थों और शराब की लत
मादक
पदार्थों का सेवन भारतीय समाज में सभी वर्गों को प्रभावित करता है। मादक द्रव्यों
के सेवन से संबंधित आत्महत्याएं आम तौर पर मानसिक असंतुलन, काफी समय
से चल रहा अवसाद, नशीली दवाओं के कारण मतिभ्रम, अधिक
मात्रा में मादक पदार्थ लेना और अपनी लत को पूरा करने में वित्तीय असमर्थता के
कारण होती हैं।
मानसिक बीमारियों से पीड़ित
वर्ष 2014
में मानसिक बीमारियों से पीड़ित 7104 भारतीयों ने आत्महत्या कर ली। यह मुख्य रूप
से देश में इस विषय को लेकर कलंक और जड़ता की वजह से है। यहाँ तक की साक्षर लोग भी
इन लक्षणों की अनदेखी करना चाहते हैं जो इससे भुगत रहे लोगों को आत्महत्या की ओर
ले जाते हैं। निरक्षर लोगों का एक हिस्सा मानसिक बीमारियों को प्रेतात्मा के कारण
मानता है और झाड़-फूंक से उपचार कराते हैं, जो पीड़ितों के लिए मददगार नहीं होता है और
उन्हें आत्महत्या की ओर ले जाता है।
लाइलाज शारीरिक बीमारियां
भयानक
शारीरिक बीमारियां जैसे कैंसर, एसटीडी और अन्य लाइलाज बीमारियों के कारण लोग
आत्महत्या करते हैं। 2014 में, सरकार के रिकॉर्ड बताते हैं कि आत्महत्या के 15,419 मामले
पुरानी और लम्बी बीमारियों से सम्बंधित थे। लगातार दर्द और ठीक होने की कोई उम्मीद
नहीं होने पर आमतौर पर लोगों को लगता है कि पीड़ा सहने से मौत बेहतर विकल्प है।
बढ़ता मानसिक तनाव
मानसिक
तनाव का अर्थ है मन संबंधी द्वंद्व की स्थिति। आज का किशोर, युवावस्था
में कदम रखते ही मानसिक तनाव से घिर जाता है। आंखों में सुनहरे सपने होते हैं, लेकिन
जमाने की ठोकर उन सपनों को साकार होने से पूर्व ही तोड़ देती है। युवा बनना कुछ
चाहते हैं पर कुछ पर विवश हो जाते हैं। यहीं से मानसिक तनाव की शुरुआत होती है।वर्तमान
युग में लड़का हो या लड़की, सभी स्वावलंबी होना चाहते हैं, मगर
बेरोजगारी की समस्या हर वर्ग के लिए अभिशाप सा बन चुकी है। मध्यम वर्ग के लिए तो
यह स्थिति अत्यंत कष्टदायी होती है। जब इस प्रकार की स्थिति हो जाती है तो जीवन
में आए तनाव से मुक्ति पाने के लिए वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को बाध्य हो जाते
हैं। महिलाओं की स्थिति तो पुरुषों की तुलना में ज्यादा ही खतरनाक है।
‘जिंदगी जब मायूस होती है
तभी महसूस होती है.’ फिल्म ‘डर्टी
पिक्चर’ का यह संवाद उस नायिका की व्यथा है जो रुपहले
परदे पर चमकने के सपने लिए ग्लैमर की दुनिया में आती है और हर तरह के समझौते करते
हुए अपने को स्थापित भी कर लेती है। पर चकाचैंध भरी इस दुनिया में शोषित होते हुए
शिखर पर पहुंचने के बाद अंतत: इतनी अकेली हो जाती है कि आत्महत्या कर लेती है।

चिंता से चतुराई घटे, दु:ख से घटे शरीर।
पा किये लक्ष्मी घटे, कह गये दास कबीर।।
मौजूदा
दौर में समाज में आगे बढ़ने और सफल होने के जो मापदंड हैं, वे सिर्फ आर्थिक
सफलता को ही सफलता मानते हैं। यह बात फिल्म से लेकर कारपोरेट वल्र्ड और सामान्य जन
तक बर बराबर लागू होती है। पढ़ाई मोटी तनख्वाह वाली नौकरी पाने का जरिया भर बन कर
रह गई। इस दौड़ में शामिल युवा परिवार व समाज से दूर होते जा रहे हैं। उनके जीवन
में न रचनात्मकता बची है और न आपसी लगाव का कोई स्थान रहा है, परिणाम
सामने है।
तनाव को करें बाय- बाय, जियो आसान और खुशहाल

”सबसे बढ़ कर जरूरी है हम खुद से सच्चे रहे.”
”खुद में वो बदलाव लाइये, जो आप
दुनिया में देखना चाहते है.”
अपने जीवन और कार्य को बड़े उद्देश्य से जोड़े
:-
व्यर्थ की चिंता से मुक्ति पाये :-”चिंता
चिता समान होती है जो सब कुछ जला देती है.”
अपेक्षाएँ
कम रखे :-”कर्म करो, फल की चिंता मत करो.”
हमेशा सुख
की चाह न रखे :-”अपेक्षा सभी ह्रदय-पीड़ा की जड़ है.”
30 मिनट
तक एक्ससाइज करें
अगर आप
रोज कम से कम 30 मिनट भी एक्सरसाइज करें तो आप काफी हद तक तनाव पर काबू पा सकते
हैं। इससे आप शारीरिक तौर तो फिट रहेंगे ही साथ ही आपको मानसिक शांति भी मिलेगी।
मेडिटेशन
करें
तनाव से
मुक्ति का सबसे आसान तरीका है मेडिटेशन। अगर आप रोजाना कम से कम 30 मिनट मेडिटेशन
करें तो तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
टीवी
देखें
टीवी
देखकर भी काफी हद तक तनाव पर काबू पाया जा सकता है। टीवी मनोरंजन का एक बड़ा जरिया
है। जब भी आप ज्यादा तनाव महसूस करें अपना पसंदीदा कार्यक्रम देखें आपको जरूर
अच्छा महसूस होगा।
किताबें
पढें
तनाव पर
काबू पाने के लिए किताबें पढ़ना भी एक अच्छा उपाय है। आप अपनी पसंदीदा किताबें
पढ़ें जिससे काफी हद तक आपका तनाव कम होगा।
मन ही मन बोलें यह आसान
मंत्र..फौरन दूर होगा मानसिक तनाव
मन को
ऊर्जावान और शक्ति संपन्न बनाने के लिए ईश्वर स्मरण भी एक आसान उपाय है। वैसे तो
तन या धन की दुर्बलता या फिर कामनाओं पर नियंत्रण न होना भी मन को कमजोर बनाता है।
किंतु ऐसे में ईश्वर का ध्यान और उसके व्यापक स्वरूप व शक्तियों में विश्वास
मानसिक कमजोरियों, तनाव व चिंताओं को दूर करता है। इस मंत्र विशेष
में ईश्वर के पूर्ण व व्यापक स्वरूप का वंदन व स्मरण हैं। जिसे धार्मिक कर्म व
पूजा में भी बोलना शांति और सुख देने वाला माना गया है। जानते
हैं यह मंत्र -
ऊँ
पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य
पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।
इसके बाद
तीन बार ऊँ शांति: शांति: शांति: बोलें। साथ ही दैहिक, दैविक व
भौतिक संतापों से छुटकारे की कामना करें।