बुधवार, 22 अप्रैल 2015

sunil k himachali



आज भी सवाल है जहन  में
आज भी ख्याल है जहन  में
तेरे आने से पहले का
तेरे जाने के बाद का
क्या हुआ कसूर
क्यूँ हुआ मजबूर
गलत मै कहाँ पर था
यहीं बता देते हजुर
आज भी सवाल है जहन  में
आज भी ख्याल है जहन  में

तेरे दिल में क्या था ये तू जाने
या उस वक्त हम तुझे नहीं पहचाने
बता दूँ तेरी विरह को ...  अभी .. मिटा नहीं ख़ाक में
जिन्दा हूँ वस् तेरे आने की आस में
आज भी सवाल है जहन  में
आज भी ख्याल है जहन  में

उम्मीद है एक आश है
इन धुंधली सी आँखों में लो
और दिल में थोड़ी सी खटास है
तेरे रूह ए प्यार की मिठास  है ..
आज भी क्यूँ तेरे पास होने का
उस बेरंग बेढंग प्यार का एहसास है
आज भी क्यूँ तेरी यादों में मेरा विश्वाश है
है जो यु जिंदगी जिंदा दिल
आज भी सवाल है जहन  में
आज भी ख्याल है जहन  में
तेरे अपने पन का
तेरे ही शाकी दिए हर गम
खुद ही खुदा बनकर निश्चय कर लिया
सोचा भी नहीं तनिक
जीवन आंसुओं से भर लिया
चल हम गर्त तक नहीं गए
दिल से निकाल दे भय
अब करें शुरू
शुरुआत ए अंत की
चाहत नहीं दुरी की
अब भी यही पूछूँगा
तेरी क्या मज़बूरी
या ,,,, सिर्फ मेरी सुनील करनी थी मशहूरी