कहाँ है एकता जो करते है एकता की बात
वर्तमान में स्वतंत्रता दिवस हो या गांधी जयंती नेता और अभिनेता कोई भी एकता की बात किए बिना अपना भाषण पूरा नहीं करता। भाषण के दौरान एकता और अखंडता की बात अव्यश्य की जाती है। लेकिन जब किसी बिल को राजयसभा में या लोक सभा में पास करवाना होता है तब इनकी एकता क्यों नहीं होती। जब एक दूसरे पर जमकर चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा तंज़ कसे जाते है तब एकता कहाँ जाती है। यूँ तो बहुत ही संस्कारी और धार्मिक बातें करते है। लेकिन वर्तमान की बीजेपी और पीएम मोदी की सरकार पर विपक्ष तो छोडो कोई दूसरा राजनीतीक दल नहीं होगा जिसने इनपर कटाक्ष नहीं किया हो. सब एक दूसरे की खिचाई करने में लगे हुए है तो हल कैसे किसी विषय का होगा ?