अगला होगा कहाँ- कौन शिकार, हाँ- यह जान लें – होंगे कितने शिकारी, नहीं है कोई पहचान !
काफी कुछ भर गया है जहन में न जाने
क्या ? बस उबाल से मार रहा है। रविवार दोपहर जब
मीनाक्षी जी का कॉल आया उसके बाद बेचैनी सी और बढ़ गई। सब कह भी रहे है आँखों के
नीचे काले घेरे और बढ़ गए है। सो जाया कर! लेकिन ध्यान पिछले कुछ दिनों से फिर समाज
में घट रही घटनाओं की और जाने लग पड़ा। सोच फिर दो हिस्सों में बंट गई। हर पहलू को दो हिस्सों में बांट रहा हूँ,
लेकिन किसी हल तक नहीं पहुँच पाया हूँ। अपने जहन में उठ
रहे इन सवालों को शांत कैसे करूँ।
मीनाक्षी जी ने विनम्रता पूर्वक
आग्रह किया था , एक मीडिया कर्मी की तरह नहीं ,एक हिमाचली की तरह सेक्टर 17 प्लाजा में आ जाना। कैंडल मार्च है -कुड़िया के लिए ! फ़ोन कट कर दिया, लंच कर रहा था ,साथ में
दो -चार बंधू और भी बैठे हुए थे।
जिसके बाद एक किन्तु सा उत्पन हो गया है देव भूमि के बेटा और वीर भूमि
का वासी कहने पर ? हाल में गुड़िया काण्ड की जैसे ही खबर
मिली , इग्नोर
करता रहा , व्हाट्सप्प ,फेसबुक पर काफी पोस्ट टैग की गई थी। काफी हिमाचल के दोस्तों ने मैसेज भी
किए. जनता था ध्यान दूंगा ,दिक्क्त होगी।
लेकिन उन लोगों की मानसिकता को लेकर
फिर से जानने की इच्छा पैदा हो गई है,- जब न रहा
गया खबर से दूर रहने से - जो कुकर्म जैसे अपराधों को अंजाम देते है। क्या चल रहा होगा उनके दिमाग में। ऐसा क्या है
जो अपना आपा खो देते है , क्या उन लोगों का
अपने ऊपर कोई कंट्रोल नहीं - या हवस ने उन्हें भूखा दरिंदा बना दिया है।
कोई एक वारदात ऐसी हो तो न बोलूं
-लेकिन दिसंबर में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद से ऐसी जब की कोई खबर सामने
आती है तो - सवाल कई होते है ,लेकिन इस तरह की
प्रवृति के लोगों के घर में कोई माँ -बहन अगर हो और उसके साथ ऐसा हो तो शायद ये इस
दर्द का अहसास जान सके।
काफी मानसिक रोगी देखता हूँ - रोज़
लोगों के बीच रहता हूँ तो उनका आचरण व्यवहार सब देखता हूँ , क्यूंकि समाज का ही जीव हूँ तो इंसानी जीवों को तो देखना ही पड़ेगा। वैसे भी नौवीं में इंलिश की किताब में रीड किया
था -इंसान दुनिया का सबसे खतरनाक जानवर है , अकसर इस बात को झुंड में बैठे दोस्तों और जानकारों के साथ बोलता ही रहता
हूँ।
वैसे भी जब भी किसी लड़की की आबरू से
जुड़ा कोई वकया सामने आता है तो उसके चरित्र को लेकर भी काफी कुछ बातें कही जाती
है। लेकिन समझदारों को कौन समझाए 'चरित्र हीनता से
बड़ी कोई हीनता नहीं होती -एक पक्ष के आधार पर ही अपने विचार इस कदर ब्यान करते है
जैसे सब इनके सामने ही हुआ है ,भली -भाँती
बाक़िफ़ है। इतनी बकवास न जाने कहाँ से
शब्दों का भण्डार मिल जाती है ,जो जुबान पर लगाम
ही नहीं लगता। फिर सोचता हूँ 'इस इंसानी बकवास
से कहीं ज्यादा अच्छा कुत्ते का भौंकना है।'
जिस दिन मुझे मीनाक्षी जी और कई
लोगों ने चंडीगढ़ आने के लिए कहा और कहा की कैंडल मार्च का हिस्सा बने लेकिन हालात
कर्म के आगे मज़बूर थे। गुडिय़ा की आत्मा की शांति के लिए रविवार को कोटखाई के दांदी
जंगल के पास जिस जगह उसका शव बरामद हुआ था, वहां पर उसके परिजनों ने गायत्री पाठ किया।
आप भी दुआ करना की गुड़िया की आत्मा को शांति मिले और देवभूमि में ऐसी घिनौनी
वारदात दोबारा न हो ऐसा माहौल कायम करने की कोशिश करना। ताकि फिर से किसी की बेटी
बहन और माँ - हवस के मानसिक रोगियों की भेंट न छाडे।
वैसे भी रोज़ अखबार पढ़ता हूँ हर तीसरे
पन्ने पर इस तरह की खबर होती है ,जो खुद का भी मानसिक संतुलन बिगाड़ सा देती है। वैसे भी अखबार के पन्नो से ही पता चला कोटखाई
रेप और मर्डर मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली बार-बार सवालों के घेरे में आ
रही है। पुलिस ने शनिवार को 2 संदिग्ध
आरोपियों को हिरासत में लिया था। कोटखाई से कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें शिमला
पहुंचाया गया। इसके बाद रिपन अस्पताल में मैडीकल करवाने के बाद रात को उन्हें छोड़
दिया गया। हालांकि इस बात की पुलिस अधिकारी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं कर रहे
हैं, जिससे साफ हो गया है कि पुलिस रसूखदारों के प्रभाव में कार्य कर रही
है।इसके बाद केस में संदिग्ध ईशान का CM को लिखा
पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है , जिसमे
संदिग्ध ने अपना पक्ष रखने की कौशिश की है।
उल्लेखनीय है कि ईशान वहीं लड़का है, जिसका 11 जुलाई को गैंगरेप और हत्या मामले
में फोटो वायरल हुआ था और शनिवार 15 जुलाई को पुलिस ने हिरासत में लेकर रिपन
अस्पताल में मेडिकल करवाया था। इतना ही नहीं उसने जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करने
की बात भी कही है।लेकिन उसका क्या फायदा है ?
नहीं ज्ञात मुख्य
आरोपी कौन है- जिनका नाम लिया जा रहा है वह किस हद तक इस काण्ड में शामिल है। लेकिन
कोटखाई रेप एंड मर्डर केस में मरने से पहले आंखों में आंसू लिए छात्रा के
मुंह से यह अंतिम शब्द निकले थे- ‘जो करना है करो, लेकिन मुझे मत मारो। मैं जीना चाहती हूं, मैं किसी
का नाम नहीं बताऊंगी।’ यह खुलासा पूछताछ के दौरान दरिंदों ने किया है। रेप करने के
बाद करीब 5 मिनट तक वह उनसे जान से न मारने की भीख मांगती रही, लेकिन जब
मुख्य आरोपियों ने उसकी बात नहीं सुनी। उल्टा उन्होंने अपने साथियों से कहा कि- ‘बेइज्जती
हो जाएगी’। ऐसे में एक आरोपी ने उसका गला दबा दिया। 10 से 12 मिनट तक वह तड़पती
रही। उसके बाद वह मर गई।
हिमाचल में ऐसा यह कोई पहला वाकया
नहीं है , न जाने कितनी लड़कियों को क्या कुछ सहन करना पड़ता है और न ही
देश में। वैसे भी दिल्ली
में निर्भया कांड के बाद पूरा देश गुस्से में आ गया था, दिल्ली की सड़कों पर हज़ारों लोग उतर आए. खूब प्रदर्शन हुए, मोमबत्तियां जलीं, आंदोलन
हुए, निर्भया के बलात्कारी और हत्यारों को फांसी
की सज़ा भी हुई. बलात्कार को लेकर कड़े कानून की बहस चली, निर्भया से दरिंदगी करने वाले नाबालिग को लेकर नई बहस शुरु हुई कि इस तरह
के अपराध में नाबालिग को कितनी उम्र की राहत मिलनी चाहिए. सरकार ने निर्भया फंड भी
बनाया, पुलिस की निर्भया टीमें जगह-जगह तैनात की
गईं लेकिन क्या हुआ इसका असर.
महाराष्ट्र के लातूर में एक औरत से
गैंगरेप किया गया है. गैंगरेप के बाद उसके प्राइवेट पार्ट में पत्थर मारे गए हैं
और फिर लोहे की रॉड डाली गई है.पीड़ित महिला बीमार थी और इलाज के बाद अस्पताल से
घर जा रही थी तभी रास्ते में ऑटो में तीन लोगों ने उसे घसीट लिया और फिर हैवानियत
का खेल खेला. फिर से हेडलाइन देखी देश हुआ शर्मसार...हैवानियत की हदें पार आदि
आदि. लेकिन इनसे क्या होगा, रोज़ाना कितनी
महिलाएं बलात्कार का शिकार होती हैं. कहीं कोई किसी को फर्क नहीं पड़ता है.
लेकिन अब इन मानसिक रोगियों का इलाज
कैसे किया जाए ये बहुत ही चिंता का विषय है।
इनका शिकार लड़कियां ही नहीं लड़के भी होते है - ऐसी ख़बरें भी कई बार मेरी
उँगलियों से टाइप होकर आगे निकली है। चिंता का विषय भी शायद तब हो जब इस बीमारी का
डॉक्टरों द्वारा पता लगाया जा सके। जिसका
कोई पता ही नहीं - उसे कैसे पहचाना जाए। लेकिन कुछ तो ऐसा होगा जिससे इस तरह के
प्रवृति के इंसानों की पहचान हो सके।
हाँ वर्तमान में समाज में यौन कुंठा
लगातार बढ़ रही है. हालात सुधरने की बजाय बिगड़ सकते है। सस्ते इंटरनेट ने हर हाथ
में पॉर्न उपलब्ध कर दिया है जो लोगों को सेक्स को लेकर हिंसक बना रहा है. और न
जाने की सेक्स के रिगार्डिंग मार्केट में क्या चीजें है ,क्यूंकि मुझे
यहाँ लिखते हुए भी शर्म आएगी , वैसे भी जीतनी
नॉलेज सेक्स के रिगार्डिंग समाज में होनी चाहिए उतनी नहीं है।क्यूंकि
जिस उम्र में हमें स्कूल में x और y हार्मोन्स का ज्ञान दिया जाता है , उस वक्त सिबा दांत निकालने यानि हंसने के अलावा कुछ नहीं होता। मानसिकता इतनी
बदल चुकी है कि मोबाईल एप तक अब लोगों के लिए उपलब्ध है। अब मुझे तो यह भी लगता है
की वैज्ञानिको की नज़र में एड्स के बाद अब कोई नई बीमारी सेक्स से जुडी आने वाली
है।