शनिवार, 21 जनवरी 2017

एक पल,एक दिन, एक ज़िन्दगी क्या है ?


क्या है ?

एक पल,एक दिन, एक ज़िन्दगी 

क्या है ?

जवाब भी यहीं, फिर भी सवाल क्या है?

ढलते सूरज से चढते चाँद तक क्या है?

धरती से गगन तक का एक होना-

न कभी मिल सके वो एहसास क्या है?

हर लम्हा होते हुए भी कुछ नहीं क्या है ?

ये कोई पहली दफा है - जो क्या बेवफा है ?

क्या है ? क्यों है ? किसके लिए है ?

ये पंक्ति भी क्या है ?

उसके न होने से लगता है -क्या है ?

बस! पल-पल की हरकतों में वो है ?

वो क्या है ?कौन है ?

कल है - या जा साथ चलने वाला पल है!

क्या है ?

कोई टिप्पणी नहीं: