ख़ूबसुरत गुनाह करता हूँ।
उसको पाने की चाह करता हूँ ।।
उसको पाने की चाह करता हूँ ।।
उसका चेहरा नज़र ही आता है ।
जिस भी जानिब निग़ाह करता हूँ ।।
जिस भी जानिब निग़ाह करता हूँ ।।
वो हक़ीक़त में मिल नहीं पाता ।
ख़्वाब में रस्मो-राह करता हूँ ।।
ख़्वाब में रस्मो-राह करता हूँ ।।
जख्म न लगे तुझे ,
न छेड़ मेरे शीशे की तरह टूटे हुए दिल को।
सुना है -
धार तेज़ हो जाती है शीशे के टूटने के बाद।।
न छेड़ मेरे शीशे की तरह टूटे हुए दिल को।
सुना है -
धार तेज़ हो जाती है शीशे के टूटने के बाद।।
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