शनिवार, 5 जुलाई 2014

hindi poem

हमसे पूछा उन्होंने 
क्यों रहते हो तन्हा 
खोये रहते हो आप में 
करते को किसी अपने का इंतज़ार 
हमने कहा ए मेरे अज़ीज 
हाँ कर रहे है हम इंतज़ार 
किसी के जूठे वादे का इंतज़ार 
मिले नहीं है शायद उनसे हम कभी 
लिखकर ही जो बात की हो जो हम अजनबी 
है जो किस्मत 
आ जाती है वक्त के आड़े
जिसको माना था सब कुछ
वो ही छोड़ गया विच मझदार
ये सच है
वक्त सबसे बड़ी हकीकत है
उससे भी बड़ी हकित है मौत
एक ही पल में मर जाते तो अच्छा था
हर रोज़ उन्हें याद करते
मौत से हम फरियाद करते
है उनके आने का इंज़ार
दो पल ठहर
रुक्सत हो लेगे साथ
मुद्दत से कर रहे है हम उनका इंतज़ार
देख लू उनकी सूरत
है खुद अगर महोब्बत की रजा
मिलेंगे हम चाहे हो ये जहांन या
या हो मौत की सजा
हो बस कश्मीर की हरियाली
या डूबते हुए कन्याकुमारी से सूरज की लाली

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