सेलों में आर्थिकता उबारने की कोशिश
चंडीगढ़ /सुनील :यूँ तो भारत देश सोने की चिडया भी कहा जाता है। लेकिन पिछले आंकड़ों को देखें तो भारत की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय रही है। मुद्रा स्फीति की दर में निंरंतर गिरावट देखने को मिली। जिसकारण उपभोक्ता खरीददारी तो करता है ,लेकिन त्योहारों के समय। गतवर्ष बाजार में मंदी छायी रही, डालर के मुकाबले रुपया बहुत ही दयनीय स्थिति में रहा और समाज के हर वर्ग को मंहगाई के सामने गुटने टेकने पड़े। ऐसे में आजकल दुकानदारों द्वारा अधिक संख्या में सेलें लगाई जाती है। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय सभी कम्पनियां चाहे वह कपडे की ,क्रॉकरी या फिर और किसी सामान की, वह अपने प्रोडक्ट को सेल के जरिए अच्छी दरों पर बेचना पसंद करते है।
जब नगर बाणी की टीम ने कुछ सेल व्यापारियों से बात कर आँकड़े इक्क्ठे किये तो उन्हों ने बताया कि उन्हें सेल में प्रतेक वर्ग का ग्राहक मिल जाता है। जबकि दुकान में गिने -चुने ग्राहक मिल जाता है। यहाँ पर अधिक संख्यां में २२ से ४० वर्ष के लोग आते है। इसके इलावा जब मुनाफे कि बात की तब व्यापारियों से जाना कि सेल में ज्यादा मुनाफा नही होता लेकिन सामान ज्यादा बिकता है,ग्राहकों की अधिक संख्या में आने से नुक्सान भी नही होता,वस! खर्चा पानी आसानी से निकल जाता। है।
सेलों से आर्थिक स्थिति में काफी संतुलन आता है। त्योहारों के समय लोग सेलों से ज्यादा खरीदारी करते है। जिससे आर्थिकता उबारने की कोशशि मिली है। सेल वह व्यापर प्रणाली है,जहाँ से उपभोक्ताओं को उपभोग करने के लिए वस्तुएं व्यापारियों द्वारा कम दम में बेचकर उपभोग में लायी जाती है। जिसक फलस्वरूप समाज का हर वर्ग कम व आसान दरों से वस्तुओं का उपभोग क्र पता है। उत्तर भारत में दिल्ली पंजाब व हिमाचल में अधिक संख्या में सेल प्रणाली अपनाई जाती है।
व्यापारियों का कहना है कि यहा कम्पीटिशन विदेशी व राष्ट्रिय कम्पनियों के व्यापर में नही ब्लकि हस्तनिर्मित चीजों में बहुत ही सोच समझ क्र दाम तय किये जाते है। सेलों के माध्यम से ग्राहकों को कम दरों से अधिक सामान अर्जित करने का मौका मिला है। जिसक चलते अधिक सामान कि बिक्री से मुनाफा हुआ और आर्थिक स्थिति में तेजी आई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें