विरासती रीति -रिवाज़ की गुम हो रही आवाज़ ; मीनू बख्शी
'' सबसे सम्पन्न और सर्वाधिक धनी पंजाबी लोक संगीत''
चंडीगढ़/ सुनील;जहां हर कोई पश्चमी सभ्यता के रंग में लीन होता जा रहाहै. लोकगीत दरकिनार होते जा रहे है।मंगलवार को हुई कांफ्रेंस के दौरान प्रोग्राम में थोड़ा लेट पहुंचीं बहुमुखी प्रतिभा की धनी मीनू बख्शी ने बताया कि विरासती रीति -रिवाज़ गुम हो रहा है। आजकल सिर्फ हिप-हॉप या इंडी-पॉप ही ज्यादा पसंद युवकों की है, जिसकी वजह से विवाह-शादीयों में भी सिर्फ ऐसे ही गीत सुनने को मिलते हैं।
‘बैंड बाजा पंजाब’ एलबम जिसमें पंजाब के लोकगीतों को लखविंदर वडाली व परम खुराना की आवाज़ों के साथ कंपोज किया है ताकी यूथ भी इन्हें पसंद करे।नगर बाणी से हुई वार्ता में इन्होंने बताया की पंजाब सेजुड़े त्योहारों लोहड़ी, बसंत, तीज और बैसाखी के लोकगीत भी एलबम मेंशामिल किए गए हैं। भविष्य में आगे आने वाली किताब ' मौजे -ए -शराब'आप लिखीं हुई ग़ज़लों कि है साथ ही बताया कि अगली एल्बम कीर्त्तन परआधारित होगी। मेरी इस कामयाबी का श्रेय मेरे पति कमलजीत बख्शी जी वमेरे परिवार को जाता है। पंजाबी विरसा बहुत ही धनी और सबसे सम्पन्न है ,संगीत को बचना मेरा उदेश्य व पंजाबीयत को संजोकर रखना हम सब का जिम्मा है।
‘बैंड बाजा पंजाब’ एलबम जिसमें पंजाब के लोकगीतों को लखविंदर वडाली व परम खुराना की आवाज़ों के साथ कंपोज किया है ताकी यूथ भी इन्हें पसंद करे।नगर बाणी से हुई वार्ता में इन्होंने बताया की पंजाब सेजुड़े त्योहारों लोहड़ी, बसंत, तीज और बैसाखी के लोकगीत भी एलबम मेंशामिल किए गए हैं। भविष्य में आगे आने वाली किताब ' मौजे -ए -शराब'आप लिखीं हुई ग़ज़लों कि है साथ ही बताया कि अगली एल्बम कीर्त्तन परआधारित होगी। मेरी इस कामयाबी का श्रेय मेरे पति कमलजीत बख्शी जी वमेरे परिवार को जाता है। पंजाबी विरसा बहुत ही धनी और सबसे सम्पन्न है ,संगीत को बचना मेरा उदेश्य व पंजाबीयत को संजोकर रखना हम सब का जिम्मा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें