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गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015
KAHAN GAYE HUM LOG
6
मै सुनील कुमार हिमाचली मुखातिब हूँ आपसे .. दोस्तों......
हर ख़ुशी है हम लोंगों के दामन में
,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं
.
दिन रात दौड़ती दुनिया में
,
ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं
.
आखिर कहाँ गए हम लोग
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