गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

KAHAN GAYE HUM LOG

मै सुनील कुमार हिमाचली मुखातिब हूँ आपसे .. दोस्तों......आज उन सब को तहे दिल से अभिन्दन जो मेरे साथ .. मेरे तरह ..कोइ  पढाई करने आया है तो कोइ नौकरी .. जो अपने घर से ,अपनी माँ से दूर है यहाँ .. वस आज दिल भर गया,, और आंखे नम सी हो गई है .. एक ही वाकय  कहूँगा ,, मा आपकी बात सताती है मेरे पास आ जाओ .. थक गया हूँ आज .. मुझे अपने आँचल में छुपा लो आज... हाथ अपना फेर कर मेरे बालों में एक बार फिर लोरियां सूना दो ...  वस् आप सबसे यही निवेदन है थोडा सा टाइम निकल कर .. घर कॉल कर लो....थोडा टाइम अपनी मा को अपनी फैमली को भी दो नहीं तो कल को अकेले बैठ के सोचोगे कहाँ गए हम लोग ...

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