हर बार नहीं होता
कि कविता का अर्थ निकले
कई बार शून्य तक ले जाना भी
कविता होता है
शब्दों में भाव का खो जाना भी
कविता होता है
हर बार नहीं होता
कि कविता से क्रांति हो
कई बात बातें बस बातें
ही रह जाती हैं
और आग बनने से पहले ही
समय की धारा में
बह जाती हैं
कागजों से आगे और कागज़
और उन में दबे हजारों नारे
इन नारों का नारा रह जाना भी
कविता होता है
कथ्य से ज्यादा अकथ्य
झूठ के सागर में
सच का एक
बेपतवार नाव सा अस्तित्व
इस अस्तित्व की पूजा
और झूठ का कारोबार
इस कारोबार में फँसा आदमी
उसका खुली आँख से सो जाना भी
कविता होता है
जन्म से पहले
और जन्म के बाद
मरने वाली लडकियाँ
और उनको जीवन भर
मिलने वाली झिड़कियाँ
बंद गली के आखरी मकान की
ये बंद खिड़कियाँ
इन खिडकियों के पीछे
बंद लाख सिसकियाँ
इनका युगों के बीच छुप जाना भी
कविता होता है
नौकरी की सलीब पर
चढ़ा आदमी
कहते हैं सब कि
बढ़ा आदमी
आदमी के सर पर ही
खड़ा आदमी
अँधेरे कमरे में बंद भविष्य
और भविष्य के नाम पे लड़ा आदमी
जात धर्म वर्ण में बंटा आदमी
अपनों की तलवार से कटा आदमी
खून से करता खून का हिसाब आदमी
देखिये पढ़िए
है खुली किताब आदमी
इतने रूप धर लेना भी कविता होता है
जीते जीते मर लेना भी
कविता होता है
इसी लिए
ज़रूरी नहीं की हर बार
कविता का अर्थ निकले
साँसों के बीच
साँसों का अर्थी
हो जाना भी शायद
कि कविता का अर्थ निकले
कई बार शून्य तक ले जाना भी
कविता होता है
शब्दों में भाव का खो जाना भी
कविता होता है
हर बार नहीं होता
कि कविता से क्रांति हो
कई बात बातें बस बातें
ही रह जाती हैं
और आग बनने से पहले ही
समय की धारा में
बह जाती हैं
कागजों से आगे और कागज़
और उन में दबे हजारों नारे
इन नारों का नारा रह जाना भी
कविता होता है
कथ्य से ज्यादा अकथ्य
झूठ के सागर में
सच का एक
बेपतवार नाव सा अस्तित्व
इस अस्तित्व की पूजा
और झूठ का कारोबार
इस कारोबार में फँसा आदमी
उसका खुली आँख से सो जाना भी
कविता होता है
जन्म से पहले
और जन्म के बाद
मरने वाली लडकियाँ
और उनको जीवन भर
मिलने वाली झिड़कियाँ
बंद गली के आखरी मकान की
ये बंद खिड़कियाँ
इन खिडकियों के पीछे
बंद लाख सिसकियाँ
इनका युगों के बीच छुप जाना भी
कविता होता है
नौकरी की सलीब पर
चढ़ा आदमी
कहते हैं सब कि
बढ़ा आदमी
आदमी के सर पर ही
खड़ा आदमी
अँधेरे कमरे में बंद भविष्य
और भविष्य के नाम पे लड़ा आदमी
जात धर्म वर्ण में बंटा आदमी
अपनों की तलवार से कटा आदमी
खून से करता खून का हिसाब आदमी
देखिये पढ़िए
है खुली किताब आदमी
इतने रूप धर लेना भी कविता होता है
जीते जीते मर लेना भी
कविता होता है
इसी लिए
ज़रूरी नहीं की हर बार
कविता का अर्थ निकले
साँसों के बीच
साँसों का अर्थी
हो जाना भी शायद
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