बूंदों के साथ
बह रहा है
अमृत आकाश से
उसे अंतर में
उतार ले
मिटा दे द्वेष की गर्मी
बाहर जा
फुहार ले
मेघ ले के आये
सन्देश प्रेम का
पर्दा कोई हटा
तू भी उसे
पुकार ले
बह रहा है
अमृत आकाश से
उसे अंतर में
उतार ले
मिटा दे द्वेष की गर्मी
बाहर जा
फुहार ले
मेघ ले के आये
सन्देश प्रेम का
पर्दा कोई हटा
तू भी उसे
पुकार ले
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