कहते है कि पीछे मुडकर नहीं देखना चाहिए लेकिन साधारण
मनुष्य़ हैं, देखते ही है, लेकिन हल नहीं
मिल पाता क्यों देखते हैं,- बीती बाते बीत चूकी होती है, जिनका आगे कुछ नहीं किया जा सकता. लेकिन सीख तो
छीपी होती है हर एक बात में- और बीत रहे
2017 के कुछ पल ऐसे भी हैं- लेकिन कुछ ऐसी बाते होती है, जिन्हे बार-बार हवा लगती
ही रहती है, कुछ ऐसे वादे होते हैं- जो जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं, औऱ ऐसा ही
राजनीति में भी होता है, जब साल 2017 की शुरुआत हुई तो उस वक्त पंजाब विधानसभा
चुनवों का दौर था., उस वक्त अच्छे दिन आएंगे, वाक्य भी खूब बोला जाता था, लेकिन
पंजाब में कांग्रेस के अच्छे दिन आ गए., पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी और फिर
निगम चुनावों तक कांग्रेस विजच हासिल करती चली गई, औऱ अब टारगेट 2019 का भी है.-
साल 2017 की शानदार
शुरुआत
पंजाब में कांग्रेस
का परचम
2017 की जीत ने जगाई 2019 के
लिए उम्मीद
पंजाब में साल 2017 की शुरुआत विधानसभा चुनाव के साथ सर्द मौसम के बीच चुनावी सरगर्मी से साथ हुई .
औऱ साल 2017 पंजाब कांग्रेस के लिए अच्छे दिन लेकर आया।
पंजाब में हुई जीत ने एक बार फिर कांग्रेस में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उम्मीद जगा दी, क्योंकि इससे पहले 3 राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के कारण कांग्रेस की स्थिति डगमगा गई थी।
कांग्रेस ने जहां विधानसभा चुनाव में 10 साल बाद सत्ता
में वापसी की. वहीं निकाय चुनाव में जालंधर,पटियाला और अमृतसर
तीनों निगमों पर धाक जमाई। कांग्रेस ने
विधानसभा की 77 सीटें जीती जबकि 20 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर और शिरोमणी अकाली दल 15 और भाजपा 3 सीटों तक ही सिमट कर रह गई। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पटियाला सीट से तो
चुनाव जीता ही । वहीं, लंबी सीट से
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से कड़ा मुकाबला किया। बादल को 66,375 वोट मिले जबकि कैप्टन ने 43,605 वोट हासिल कर
दूसरे नंबर पर रहे।
गुरदासपुर उपचुनाव
में जाखड़ रहे विजयी
कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने
बीजेपी-अकाली गठजोड़ के उम्मीदवार स्वर्ण सलारिया को 1.93 लाख वोटों से शिकस्त दी। जाखड़ के पक्ष में 4,99,752 वोट पड़े और उनके सबसे क़रीबी उम्मीदवार रहे स्वर्ण
सलारिया को 3,06,533 वोट मिले। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मेजर
जनरल सुरेश कथूरिया के पक्ष में महज 23,579 वोट ही मिले।
अभिनेता से नेता बने बीजेपी सांसद विनोद खन्ना के निधन के कारण पंजाब की गुरदासपुर
लोकसभा सीट पर ये उपचुनाव कराए गए थे।
उपचुनाव में केवल 56 फीसदी वोटिंग
हुई। नतीजों से साफ हुआ कि सात महीने पुरानी कांग्रेस की सरकार के खिलाफ लोगों में
कोई बड़ी नाराजगी नहीं थी। बीजेपी और
अकालियों की तुलना में कांग्रेस लोगों के सामने ज्यादा एकजुट और संगठित नजर
आई।
पंजाब निकाय चुनावों में भी सत्ताधारी कांग्रेस को कामयाबी
मिली। कांग्रेस ने विपक्षी दल शिरोमणि
अकाली दल और बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया। विपक्षी दलों को एक भी निकाय में जीत
नहीं मिली। आम आदमी पार्टी को तो एक भी सीट नहीं मिली। तीन नगर निगमों और 29 नगर परिषदों व नगर पंचायतों के लिए 17 दिसंबर को वोट
डाले गए थे। कांग्रेस ने अमृतसर, जालंधर और पटियाला नगर निगम में एकतरफा जीत दर्ज की। जालंधर में उसे 80 वार्डों में से 65 और पटियाला में 60 में से 59 और
अमृतसर में 85 में से 64 वार्डों पर परचम
लहराया।
न्यूज डेस्क रिपोर्ट लिविंग इंडिया न्यूज
सियासी महौल तो आपने देख ही लिया लेकिन सियासत के बीच सत्ता मे आने के लिए
पंजाब की कैप्टन सरकार ने कई वायदे भी किए, बाते-वादे भुलाए
नहीं भूले जाते- जनता को याद रहे न रहे, लेकिन विपक्ष हमेशा याद रखता है, पंजाब
सरकार सत्ता में आई और सैंकड़ो वादे किए- क्या-क्या वादे थे- अगर सरकार के मंत्री
एक दो भूल भी जाएं तो विपक्ष वक्त-वक्त पर सरकार को याद दिलाता रहता है. औऱ उसके
लिए सदन में भी जनता के हक के लिए हंगामा करता रहता है,
बदली सरकार, बदला मिजाज
पंजाब असेंबली में धक्कामुक्की
दो विधायक बेहोश
उतर गई थी दस्तारें
22 जून को विधानसभा का सत्र जारी था , यूं तो विपक्ष पर हंगामा करने का आरोप
लगता ही रहता है, लेकिन 22 जून को जारी विधान सत्र के दौरान खूब हंगामा हुआ.
विधानसभा में पहली बार मार्शल से धक्कामुक्की के दौरान महिला विधायक की बाजू में
चोटें आई इस दौरान दो विधायक बेहोश भी हो गए, वहीं 5 विधायकों की दस्तारें भी उतर
गई.
वादा तेरा वादा...
कैप्टन सरकार ने अपने कितने वादे किए
पूरे ?
पंजाब में सत्तासीन हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व
वाली कैबिनेट की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए थे। कैबिनेट ने अपनी
पहली ही बैठक में नशा पर हमला किया। और जल्द खात्मे की बात कही थी, कैप्टन सरकार ने कई मसलों से ज्यादा पर चुनाव
लड़ा था.
10 महीने की सरकार ने 10 वादे भी नहीं
किए पूरे
1.
किसान कर्ज फाफी
2.
युवाओं को 2500 रुपए महीना बेरोजगारी भत्ता
3.
30 लाख स्मार्ट फोन
4.
फसल का 12 हजार रुपए/एकड़ मुआवजा
5.
12वीं तक की फ्री बुक्स
6.
सरकारी प्राईमरी स्कूलों में फर्नीचर
7.
हेल्थ इंशयोरेंस
8.
छठा वेतन आयोग
9.
सस्ती चाय पती-चीनी
इंडस्ट्री को 5
रुपए प्रति यूनिट बिजली
क्या हुआ तेरा वादा
पंजाब सरकार को सत्ता में आए 10 महीने हो गए हैं. लेकिन सत्ता में 10 साल बाद
सरकार को शायद जीत हाजम नहीं हो रही है..और अब तक 10 वादे भी पूरे नहीं कर पाई है.
नशे को खत्म करने की कसम का सच !
कैप्टन सरकार की 4 हफ्ते की सियासी
कसम !
न नशा खत्म हुआ और न ही नशे की लत !
नशे के खात्मे के लिए बनी STF!
सबसे बड़ा मुद्दा सरकार बनने के बाद नशा का खात्मा करने का रहा. सरकार ने नशे
के खात्मे के लिए STF बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ से पंजाब में नशे का खात्मा करने आए
हरप्रीत सिहं भी, नशे पर रोक न लगा पाए.
कर्ज होगा कब माफ!
नए साल में कर्ज माफी किस्त देने की
कही है बात
किसान परेशान, दे रहा जान!
पंजाब सरकार ने किसान कर्ज माफी की बात कही लेकिन सिर्फ चर्चाएं ही आई, पंजाब
का अन्नदाता उम्मीद के सहारे बैठा रहा कि आज नहीं कल कर्ज माफ होगा, उम्मीद के
सहारे दिन महीनों में बदल गए लेकिन अब साल बाद कर्ज माफी करने की बात पंजाब सरकार
की और से कही गई है. पंजाब वित्त मंत्री की माने तो नए साल में किसान कर्ज माफी की
किस्त जारी की जा सकती है. सरकार के कर्ज
माफी जैसे- जैसे दिन बढ़ते गए , वैसे-वैसे पंजाब में किसान खुदकुशियों का आंकड़ा
भी बढ़ता चला गया.
अभी ये हाल
343 किसान खुदकुशी कर चुके हैं 9
महीने मेः विपक्ष
नवंबर में खुदकुशी करने वाले किसान
289 बताए गए थे
कैप्टन सरकार का दावा है कि 100
किसाने ने खुदकुशी की थी
10.25 लाख किसानों के फसली कर्ज के
लिए 9500 रुपए माफ होने हैं
हाल किसानों का बेहाल है- और किसानों कर्ज से परेशान होकर जान दे रहा है. फसल
की पैदावार कम हो रही है, अक्सर किसान बिजली के मसले को लेकर भी कहता है कि बिजली
के कट ज्यादा लगने से फसल को पानी नहीं मिल पता जिस कारण धान की फसल की पैदावार
में कमी आ जाती है. बिजली के कटों से परेशान किसान घर- और आंगन में तो अंधेरा होता
ही है, देखते ही देखते कर्ज उसकी जिंदगी में भी अंधेरा ला देता है , और किसान की
आंखों को कालरुपी कर्ज हमेशा के लिए बंद कर देता है. जो पीड़ित किसान परिवार के
अंधेरे के आगोष में भेज देता है,क्योंकि सरकार उद्योगपतियों की बहाली के लिए बिजली की दरों में कमी करने के
लिए प्रयत्नशील है,
घरेलू बिजली महंगी करने की वजह क्या ?
क्या चुनावी वादों की पूर्ति के लिए
डाला जनता पर बोझ ?
थर्मल प्लांट बंद करने से होगा फायदा ?
बिजली महकमे से राणा गुरजीत के कितने
हित जुड़े ?
माइनिंग मामले में क्यों विरोधियों के
निशाने पर राणा गुरजीत ?
पंजाब सरकार उद्योगपतियों की बहाली के लिए लगातार प्रयासरत है, 9 महीने से पंजाब में उद्योगों की राह बनाने के
लिए पंजाब सरकार जुटी हुई है, उद्योगपतियों को पंजाब सरकार 5 रुपए प्रति यूनिट
बिजली की दर से देना चाहती है, लेकिन एक कहावत है. 9 दिन अढाई कोस दूर – यानि
सरकार प्लान तो बहुत कर रही है, लेकिन बात –बात पर आर्थिक हालात ठीक न होने का राग
आलाप देती है.
पंजाब सरकार के खजाने में नहीं है माल
!
3 साल, ऐसा ही रहेगा हाल !
पंजाब में अगले तीन साल ऐसे ही गुजरेंगे जैसे गुजर रहे हैं यानी कि मंदहाली और
गुरर्बत के जो दिन पंजाब सरकार के बीत रहे हैं वैसे ही अगले 3 साल भी बीतेंगे..ये
हम नहीं बल्कि खुद पंजाब के खज़ाना मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कह रहे हैं,...
दरअसल, मनप्रीत बादल पंजाब कैबिनेट की मीटिंग के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दे रहे थे....इसी दौरान जब उनसे पूछा गया कि सरकार
अपने वादे पूरे नहीं कर पा रही है...किसान कर्जमाफी की पहली ही किश्त जारी होने
में तारीख मिलती जा रही हैं....युवाओं को स्मार्टफोन जैसे तमाम वादे हैं जो पूरे
नहीं हो पा रहे हैं तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पंजाब के अगले 3 साल ऐसा ही
बीतेंगे क्योंकि हमारी माली हालत ठीक नहीं है..
पंजाब के खज़ाना मंत्री मनप्रीत
बादल ने खजाना खाली होने का हवाला देते हुए जब ये ज़ाहिर कर दिया कि अब अगले तीन
साल तक उनसे ऐसा कोई सवाल न पूछा जाए तो हमने पंजाब के कैबिनेट मंत्री साधू सिंह
धर्मसोत से सवाल पूछा तो वो भी कुछ कुछ यही कहते नज़र आए...
हालांकि कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका ने भी बात यो लगभग यही कही लेकिन उनका
लहज़ा थोड़ा सा दुहाई वाला था..अब बड़ा सवाल यहां पर ये उठता है कि अगर पंजाब की माली हालत ठीक नहीं है और
अगले 3 साल ऐसा ही हाल रहने वाला है तो इसमें गौर करने वाली बात ये है कि सरकार
अपने वादे कैसे पूरे करेगी जो सत्ता में आने से पहले किए गए थे...मसलन
किसान की पूर्णरूप से कर्जमाफी
युवाओं को स्मार्टफोन
बेरोजगार युवाओं को 2500 रुपए बेरोज़गारी भत्ता
बेघर दलितों को मुफ्त में आवास मुहैया कराने का वादा
ओलंपिक के गोल्ड विनर को 6 करोड़ रुपए दिए जाएंगे
ऐसे और भी कई वादे हैं जो कि बिना पैसों के पूरे नहीं किए जा सकते....अब तय
सरकार को करना है कि प्रदेश की जनता को माली हालत का हवाला देकर समय काटने को कहना
है या फिर अपने ही किए गए वादों को पूरा करना है...
न्यूज डेस्क रिपोर्ट लिविंग इंडिया न्यूज
लालबत्ती
संस्कृति खत्म
कैबिनेट ने राज्य में वीआइपी कल्चर भी खत्म करने का भी
फैसला किया। इसके तहत मुख्यमंत्री, मंत्री और नौकरशाह लाल या अन्य रंग की बत्ती लगी गाड़ी का
इस्तेमाल नहीं करेंगे।
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