कहीं दुनिया ही निराश है
कहीं ख़ुशी ही उदास है
मेरा तो बस एक प्रयास है
जनता हूँ अंत काल का
मिटटी में ही मिल जाऊंगा
अपने दिल की किसी को तो सुनाऊंगा
भरे नहीं
गहरे अभी भी … हरे हैं जख्म
राह जाते हुए को भी पुकार लगाउँगा
पुकार एक अनसुनी कहानी
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