
ना तेरे जाने का ग़म -
हमें न मिला अब तक
हमारी तन्हाईयों सा हमदम--


देखी है हमने भी टूटते दिलों की वारदातें-
जब सोचा ही नहीं तेरे बारे में -
फिर क्यों गुजारूँ महखाने में रातें -:p

राख बनता गया देह का-
असूलों से ही परे न सही -
दुश्मन था खुद से ही खुद का -:P

कदर तो दूर , कबर भी बना न सका -
आँखों से ही छलकता रहूँगा तेरी
मेहबूब जो तुझे बना न सका-

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