रविवार, 27 नवंबर 2016

ना तेरे आने की ख़ुशी - ना तेरे जाने का ग़म NA TERE AANE KI KHUSHI NA TERE JAANE KA GAM

 ना तेरे आने की ख़ुशी -
ना तेरे जाने का ग़म -
हमें न मिला अब तक
हमारी तन्हाईयों सा हमदम-- :p
:) अपने ही ख्यालों से करता था बातें -
देखी है हमने भी टूटते दिलों की वारदातें-
जब सोचा ही नहीं तेरे बारे में -
फिर क्यों गुजारूँ महखाने में रातें -:p
:) महर ही नहीं था खुद का -
राख बनता गया देह का-
असूलों से ही परे न सही -
दुश्मन था खुद से ही खुद का -:P
:) तेरे जहन में समा न सका -
कदर तो दूर , कबर भी बना न सका -
आँखों से ही छलकता रहूँगा तेरी
मेहबूब जो तुझे बना न सका-

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