सोमवार, 16 मई 2016

आम हो गया है -बैन,रेप और प्रोटेस्ट इंसान के लिए

आम हो गया है -बैन,रेप और प्रोटेस्ट इंसान के लिए 
आजकल युग बदल रहा है - क्यूंकि जो भी बदलाब हुआ है उसका दूसरा समीकरण पहले ही ढूंढ लिया है और शायद ढूंढा भी अनजाने में ही जाता है। आजकल मुद्दा कोई भी हो - विषय कोई भी हो सबने एक ही रास्ता निकल लिया है -प्रोटेस्ट। घर से लेकर सड़क तक और सड़क से सांसद तक सर प्रोटेस्ट ; अगर घर में बच्चे की बात उसकी खबाहिश को अगर माँ - बाप पूरा नहीं कर सकते है तो भी अपनी बात मनमाने के लिए भूख़ हड़ताल ,अनशन पर उतर जाता है। वही आज सड़क पर हो रहा है ,मुद्दा होता है सड़क में खड्डे का और पहुंचा जाता है चौराहों पर और यहां से गूंजती है सीधी आवाज़ ससद तक - क्यूंकि आजकल किसी भी विषय ,वस्तु की बात को  मुद्दा बनाते वक़्त नहीं लगता। जब कभी आवाज़ उठाई जताई है उसका  राजनेता हल निकालना सही नहीं समझते। उस पर पार्टीबाजी करते हुए  राजनेता रोटियां सेकने  शुरू कर देते है। और फिर तब तक उस प्रदर्शन की आड़ में रोटी को सका जाता जब तक वो कोयले की तरह राख नहीं हो जाए।

कभी उठती थी आवाज़ 
कपडा, रोटी और मकान के लिए 
आज आम हो गया है -
बैन,रेप और प्रोटेस्ट इंसान के लिए 

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