रविवार, 21 जून 2015

kalka shimla railway station himachal praddesh railway



हुआ खत्म इंतजार .. अब बदलेगा रेलवे का आकार

सुनील के. हिमाचली  

                       केंद्र सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर जन कल्याण पर्व के तहत मनाली की मनु रंगशाला में आयोजित जनसभा में गत माह के अंतिम सप्ताह (30 मई) में केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहुंचे ,जहाँ उन्होंने कहा कि पहली बार हिमाचल को रेल बजट में तीन गुना अधिक राशि का प्रावधान किया है। भानुपल्ली-मनाली-लेह रेल लाइन के सर्वे के लिए 353 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। जोगिंद्रनगर-पठानकोट रेललाइन को ब्रॉडगेज करने के लिए होने वाले सर्वे के लिए 60 करोड़ का प्रावधान किया है।वहीँ बार्डर एरिया में चीन के फैलते रेल नेटवर्क पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गंभीर है। लेह तक रेललाइन पहुंचाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। देश की एकता और अखंडता से कभी भी समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से भी हिमाचल के लिए विशेष गाडि़यां चलाने पर विचार किया जा रहा है।

                                                                                              
kalka -shimala railway
 
याद आया ‘केएसआर’ का विस्तार

                   केन्द्रीय रेल मंत्री द्वारा हिमाचल रेलवे को शानदार तोहफा दिया गया , जिसके साथ ही कुछ पुरानी यादें भी ताज़ा ही गई है और कुछ  इतिहास की यादें भी ऐसी होती है जिन्हें जितना याद किया जाए उतना कम है , 9 नवंबर 1903 से शुरू हुआ कालका-शिमला रेल का सफर 112 सालों के बाद भी बिना किसी बाधा के जारी है। कालका-शिमला रेल को केएसआर कहते हैं। कालका-शिमला रेल सैलानियों की खास पसंद है। शिमला जाने वाले सैलानी बस के बजाय इस खिलौना ट्रेन से शिमला जाने को प्राथमिकता देते हैं। क्योंकि इस खिलौना ट्रेन का सफर इतना सुहाना है कि जितना मजा शिमला की हसीन वादियों में घूमने में आता है, उतना आनंद ये छह घंटे का सफर आपको देता है। ब्रिटिश शासन की ग्रीष्मकालीन राजधानी  शिमला को कालका से जोड़ने के लिए 1796 में दिल्ली-अंबाला  कंपनी को इस रेलमार्ग के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हरियाणा राज्य के समुद्र तल से 656 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालका  रेलवे स्टेशन को छोड़ने के बाद ट्रेन शिवालिक की पहाड़ियों के घुमावदार रास्ते से गुजरते हुए 2076 मीटर ऊपर स्थित शिमला तक जाती है। दो फीट छह इंच की इस नेरो गेज लेन पर नौ नवंबर, 1903 से आजतक रेल यातायात जारी है। कालका-शिमला रेलमार्ग में 103 सुरंगें और 861 पुल बने हुए हैं। इस मार्ग पर 919 घुमाव आते हैं, जिनमें से सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है। वर्ष 1903 में अंग्रेजों द्वारा कालका-शिमला रेल सेक्शन बनाया गया था। रेल विभाग ने 7 नवम्बर, 2003 को धूमधाम से शताब्दी समारोह भी मनाया था, जिसमे पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार ने हिस्सा लिया था। इस अवसर पर नीतीश कुमार ने इस रेल ट्रैक को हैरिटेज का दर्जा दिलाने के लिए मामला यूनेस्को से उठाने की घोषणा की थी।
रेलवे की धरोहर,विश्व में मनमोहर


                     यूनेस्को की टीम ने कालका-शिमला रेलमार्ग का दौरा करके हालात का जायजा लेने के बाद कहा था कि दार्जिलिंग रेल सेक्शन के बाद यह अपने आप में अनोखा रेल सेक्शन है। यूनेस्को ने इस ट्रैक के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए भरोसा दिलाया था कि इसे वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल करने के लिए वह पूरा प्रयास करेंगे। और 24 जुलाई 2008 को इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया।60 के दशक में चलने वाले स्टीम इंजन ने इस स्टेशन की धरोहर को बरकरार रखा है और यह आज भी शिमला और कैथलीघाट के बीच चल रहा है। इसके बाद देश की हैरिटेज टीम ने इस सेक्शन को वर्ल्ड हैरीटेज बनाने के लिए अपना दावा पेश किया था।
 
103 के नाम से बजी बीण


                         इस सेक्शन पर 103 सुरंगों की के कारण शिमला में आखिरी सुरंग को 103 नंबर सुरंग का नाम दिया गया। इसी कारण से ठीक ऊपर बने बस स्टॉप को भी अंग्रेजों के जमाने से ही 103 स्टेशन के नाम से जाना जाने लगा, जबकि इसका नाम 102 स्टॉप होना चाहिए।



सैंकड़ो यात्री करते हैं सफ़र तय

कालका-शिमला रेलमार्ग पर सामान्य सीजन में लगभग डेढ़ हजार यात्री यात्रा करते हैं, जबकि पीक सीजन मे यह आंकड़ा दुगुना हो जाता है।


कल्पना के बिपरीत ,परन्तु सपना हुआ साकार

अंग्रेजों ने हिमाचल के किन्नौर जिले के कल्पा में इस रेल ट्रैक को बनाने का प्लान बनाया था। पहले यह रेल ट्रैक कालका से किन्नौर तक पहुंचाया जाना था, लेकिन बाद में इसे शिमला लाकर पूरा किया गया।

नाम से बड़ा मान ,बड़ी स्टेशन की शान

अंग्रेजों ने इस रेल ट्रैक पर जब काम शुरू किया तो बड़ोग में एक बड़ी पहाड़ी की वजह से ट्रैक को आगे ले जाने में दिक्कतें आने लगीं। एक बार तो हालात यह बन गए कि अंग्रेजों ने इस ट्रैक को शिमला तक पहुंचाने का काम बीच में ही छोड़ने का मन बना लिया। इस वजह से ट्रैक का काम देख रहे कर्नल बड़ोग ने आत्महत्या तक कर ली। उन्हीं के नाम पर आज बड़ोग स्टेशन का नाम रखा गया है।



112 वर्ष की है उम्र पर जानदार अभी भी  

भले ही इस ट्रैक को वर्ल्ड हैरिटेज का दर्जा मिल गया है, लेकिन 102 वर्ष पुराने इस ट्रैक पर कई खामियां भी हैं। इस ट्रैक पर बने कई पुल कई जगह इतने जर्जर हो चुके हैं कि स्वयं रेलवे को खतरा लिखकर चेतावनी देनी पड़ रही है। ऐसे असुरक्षित पुलों पर ट्रेन निर्धारित गति 25 किलोमीटर प्रतिघंटा की जगह 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलती है।

‘ओल्ड इज गोल्ड’ इंजन वर्षों पुराने भी सोल्ड


   इस ऐतिहासिक रेलमार्ग पर चलने वाले अधिकतर इंजन 36 वर्षों की यात्रा के बाद भी सवारियों को कालका-शिमला की ओर ढो रहे हैं। इस रेलमार्ग पर वर्तमान मे लगभग 14 इंजन चल रहे हैं, इनमे 10 इंजन 36 वर्ष पूरे कर चुके हैं और शेष 4 इंजन भी 20 से 25 वर्ष पुराने हो चुके हैं। ज्ञात हो की पहाड़ों पर चलने वाले टॉय ट्रेन इंजन का जीवनकाल लगभग 36 वर्ष का ही होता है। इस प्रकार इस रेलमार्ग पर चलन वाले 10 इंजन अपनी यात्रा पूरी कर चुके हैं। इन सभी इंजनों की कालका स्थित नैरोगेज डीजल इंजन वर्कशॉप में मरम्मत और रख रखाव किया जाता है, लेकिन पुराने हो चुके इंजनों के स्पेयर पार्ट्स न मिलने के कारण इनके मेंटेनेंस में भी परेशानी होती है।


छुक-छुक से सफ़र,कालका से शिमला तक हमसफ़र

                     सफर की शुरूआत कालका शहर से होती है। कालका हरियाणा राज्य का रेलवे स्टेशन है जो चंडीगढ़ से थोड़ा आगे है। कालका ब्राड गेज का आखिरी रेलवे स्टेशन है। कालका स्टेशन के ब्राडगेज प्लेटफार्म से ही कालका शिमला छोटी लाइन का प्लेटफार्म जुड़ा हुआ है। अगर आप दिल्ली से हिमालयन क्वीन से सुबह अपना सफर शुरू करते हैं तो दोपहर में कालका से शिमला जाने वाली ट्रेन आपको मिलती है। अगर आप किसी और समय में कालका पहुंचे हैं तो कालका रेलवे स्टेशन के आसपास होटलों में ठहर कर अगले दिन सुबह कालका से शिमला जाने वाली ट्रेनों से आगे का सफऱ कर सकते हैं। 
 

 
बॉलीवुड की रील में भी सील कलाका – शिमला रेल लाइन

जब भी किसी एतिहासिक विषय पर बात शुरू होती है तो उसमे मनोरंजन  का किस्सा कहीं  न कहीं जुड़ा ही होता है ,ठीक उसी तरह अगर बॉलीवुड की बात करें तो 1960 में शम्मी कपूर की फिल्म ‘ब्वाय फ्रेंड’ का गाना ‘मुझको अपना बना लो...’ कालका शिमला रेल पर शूट हुआ था।यहीं नहीं 19 मई 2000 में आई प्रीति जिंटा की फिल्म क्या कहना’  और 26 अक्तूबर 2007 को आई करीना कपूर व शाहिद की फिल्म ‘जब वी मेट’ में भी कालका-शिमला रेल और उसके कुछ स्टेशनों के स्थान देखे जा सकते है। 


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