अज़मता है जमाना सब्र मेरा
बार-बार कर जिक्र तेरा
धुआं हुए है बेशक अरमान मेरे
राख होना बाकि है शाह ए शरीर मेरा
फर्क पड़ता नहीं अब खाक मुझे
हो चूका है जो हीरा दिल मेरा
रब तक कर इवादत
गर्त तक जाना है तय तेरा
अज़मता है जमाना सब्र मेरा
बार-बार कर जिक्र तेरा
बार-बार कर जिक्र तेरा
धुआं हुए है बेशक अरमान मेरे
राख होना बाकि है शाह ए शरीर मेरा
फर्क पड़ता नहीं अब खाक मुझे
हो चूका है जो हीरा दिल मेरा
रब तक कर इवादत
गर्त तक जाना है तय तेरा
अज़मता है जमाना सब्र मेरा
बार-बार कर जिक्र तेरा
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