शुक्रवार, 29 मई 2015

shimla himachal pradesh शिमला को सतर्क होने की जरूरत sunil k himachali



                शिमला को सतर्क होने की जरूरत !
4 अप्रैल 1905 को आया था प्रलयकारी भूकंप ,शिमला ले नेपाल भूकंप से सीख!,
             नेपाल में अब तक आए भूकंप के 204 झटके
चंडीगढ़ - सुनील के. हिमाचली ( सहयोगी पत्रकार)
    हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 25 मई  को  भूकंप के झटके महसूस किए गए। जानकारी के मुताबिक ये झटके लगभग 10 सेकेंड तक आते रहे। जिसके चलते वर्षों पुरानी याद भी ताज़ा हो गई है ,आपको बता दें की 25 मई  को  सोमवार दोपहर लगभग 1 बजकर 50 मिनट पर आए। प्राप्त जानकारी के अनुसार भूकंप का केंद्र चंबा के होली में था। रिक्टर पैमाने के अनुसार जिले में 3.3 तीव्रता वाले झटके महसूस किए गए हैं।हालांकि ज्यादातर लोगों को ये झटके महसूस नहीं हुए लेकिन बहुमंजिला भवनों में ठहरे लोगों में हड़कंप जरूर मच गया। गौरतलब है कि पिछले दो महीने के दौरान ‌नेपाल के सा‌थ साथ हिमाचल में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि यहां किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। हिमाचल प्रदेश में आज से लगभग एक सौ दस साल और एक महिना 20 दिन पहले कांगडा घाटी में 4 अप्रैल 1905 को आए भूकंप में 527 लोग मारे गए थे ,और हाल ही में नेपाल आए प्रलयकारी भूकंप में लगभग 9 हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए थे ,वहीँ अब हिमाचल में पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले शिमला पर भी प्राकृतिक आपदा खुदा न खालसा आए लेकिन उसकी चिंता सताने लगी है ,क्योंकि राजधानी शिमला में बेतरतीब तरीके से बनी इमारतों और अतिक्रमणों पर संज्ञान लेते हुए राज्य उच्च न्यायालय ने निर्माताओं को नेपाल में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकंप से सीख लेने के लिए कहा। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि नेपाल का विनाशकारी भूकंप भी प्रशासन को नींद से नहीं जगा पाया है कि वे शिमला में अवैध निर्माण पर रोक लगाएं, जिसकी वजह से यह पहाड़ी क्षेत्र झुग्गी में तब्दील होता जा रहा है।  नेपाल में 25 अप्रैल और 12 मई को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से अबतक 204   झटके आ चुके हैं, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4 से ज्यादा मापी गई है। विनाशकारी भूकंप में 8,000 लोगों की मौत हो चुकी है।

        गौरतलब है कि पिछले दो महीने के दौरान ‌नेपाल के सा‌थ साथ हिमाचल में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि यहां किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है।नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद बार-बार भूस्खलन हो रहा है। पिछले महीने आए 7.8 तीव्रता के भूकंप में नेपाल में आठ हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीँ हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बेतरतीब तरीके से बनी इमारतों और अतिक्रमणों पर संज्ञान लेते हुए राज्य उच्च न्यायालय ने निर्माताओं को नेपाल में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकंप से सीख लेने के लिए कहा। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं, जो बेहद खतरनाक हैं।


           न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह सुनाए गए अपने 29 पृष्ठों के फैसले में कहा कि हालिया अध्ययनों ने इस बात के संकेत किए गए हैं कि हिमाचल प्रदेश का अधिकतर हिस्सा भूंकप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र-5 और बाकी हिस्सा क्षेत्र-4 में आते हैं। लेकिन यह तथ्य भी शिमला में अधिकारियों को नींद से जगा नहीं पाया। पीठ ने शिमला के बाजारों में हो रहे अतिक्रमण पर स्वत: संज्ञान में लेते हुए कहा कि भूकंप की आशंका वाला क्षेत्र होने के कारण कभी ब्रिटिश राज की राजधानी रही शिमला में नेपाल जैसे विनाश के खतरे को नहीं टाला जा सकता।

            पीठ ने कहा कि अवैध निर्माण को वैध नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की हालिया गतिविधियों पर विचार करते हुए निर्माण संबंधी उपनियमों को संशोधित किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं। उच्च तीव्रता वाला भूकंप इन घनी बस्तियों और संकरे रास्तों के लिए घातक होगा। न्यायालय ने कहा कि बेढ़ंगे और अवैध निर्माण के कारण कभी सात खूबसूरत पहाडिय़ों का नगर रहा यह शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है।

             उन्होंने कहा कि इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि बेतरतीब, अनियोजित और अवैध निर्माणों ने पहाड़ी इलाकों, खासतौर से राजधानी शिमला की खूबसूरती को नुकसान पहुंचाया है। फिर प्रशासन इसे झुग्गी में परिवर्तित करने की अनुमति क्यों दे रहा है? न्यायालय ने शिमला नगर निगम को छह सप्ताह के भीतर सभी अवैध परियोजनाओं को ध्वस्त करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि शिमला में न सिर्फ बाजारों, बल्कि सार्वजनिक सड़कों पर भी अतिक्रमण है, जिससे आपातकालीन वाहनों को गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी होती है।

             उच्च न्यायालय ने कहा कि बेढंगे विकास और पर्यावरणीय ह्रास के बाद भी शिमला को यूनेस्को विशव धरोहर स्थल की सूची में शामिल होने की उम्मीद है। लेकिन लेकिन क्या वर्तमान परिदृश्य में शहर को यह हैसियत मिल सकती है? शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने आईएएनए (न्यूज़ एजेंसी) को बताया कि सरकार कुछ सरकारी कार्यालयों को राजधानी से अलग आस-पास के क्षेत्रों में ले जाकर, शहर की भीड़-भाड़ कम करने की कोशिश कर रही है।






KI HUNDA AE PYAR ,,SANU AJJ PTA LAGA KI HUNDA AE PYAR || RJ SUNIL || #...

गुरुवार, 28 मई 2015

akshar-e-dastaan by sunil k himachali

    अज़मता है जमाना सब्र मेरा
   बार-बार कर जिक्र तेरा
    धुआं हुए है बेशक अरमान मेरे
   राख होना बाकि है शाह ए शरीर मेरा
   फर्क  पड़ता नहीं अब खाक मुझे
   हो चूका है जो हीरा दिल मेरा
    रब तक कर इवादत
   गर्त तक जाना है तय तेरा
   अज़मता है जमाना सब्र मेरा
     बार-बार कर जिक्र तेरा

गुरुवार, 21 मई 2015

DHARMSHALA GAING RAPE



देव भूमि बना दिल्ली - बलात्कार – आज का विशेष समाचार
आए दिनों किसी भी पन्ने पर किसी की सोशल नेट्वोर्किंग साइड पर पढ़ने को मिलता है वस् एक ही अध्याय – बलात्कार – आज का विशेष समाचार .भूतकाल से लेकर वर्तमान तक और न जाने भविष्य में भी और कितनी ऐसी घटनाए सामने आएंगी जो फिर से ‘निर्भया कांड’ का दर्द जगाएँगी .16 दिसम्बर 2012का निर्भया काण्ड या फिर मोगा बस कांड 25 अप्रैल 2015 की आग से चलने वाली हवाओं की तपश कम हुई ही नहीं कि फिर से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में गैंगरेप की ख़बरों ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है .प्रशासन जहाँ चुपी साधे हुए है वहीँ कुछ अलानेताओं को इस खबर की भनक तक नहीं थी. (सो रहे थे नेता-मस्ती में था बेटा- देश की बेटी की इज्जत को तार-तार करके ,हवस का बना शिकार बाँहों में लपेटा)और कुछके अधिकारीयों का यहाँ तक कहना भी है की ऐसा कोई कांड हुआ ही नहीं .अब ये घटना सची है या झूठी उस लड़की के सामने आने पर ही ज्ञात होगा ,पर सवाल ये भी उठता है कि प्रशासन के द्वारा उस लड़की के ब्यान को जनता के सामने क्यों नहीं लाया जाता है .वहीँ कयास ये भी लगाए जा रहे है कि गैंगरेप के आरोपियों के सम्बन्ध राजनितिक घरानों से होने के चलते मामले को दबाया जा रहा है .परन्तु ये कदापि उचित नहीं है ,जो भी अधिकारी इस मामले को दबा रहे है क्या सिर्फ इसलिए की पीड़ित लड़की उनकी बेटी या बहन नहीं थी या फिर उनके किसी रिश्तेदार की बेटी नहीं है ,बताया जाता है घटना शुक्रवार 15 मई 2015 की है लेकिन चार दिन तक मामले को दबाया गया ,यहाँ तक की समाचार पत्र की सुर्ख़ियों से भी मिटाया गया .सोमवार तक सोशल मिडिया में आने के बाद मुद्दा उछालना शुरू हुआ लेकिन अब भी किसी प्रकार का सरकार ,प्रशासन द्वारा उचित कदम नहीं उठाया गया ,एस आई टी की गठित टीम जाँच कर रही है ,लेकिन संज्ञान में क्या है कुछ ज्ञात नहीं ,हर प्रश्न धर्मशाला गैंग रेप के उपर पहेली सा बन गया है ,लेकिन जाहिर सी बात है ( डर का दावानल हवस के प्यासों के भी सोने नहीं देता होगा ,हर चढ़ते सुरज से डूबते चाँद तक उनको भी चिंता होगी अपने किए हुए की शमशान तक ).आज नही तो कल आरोपी सलाखों के पीछे होंगे ,आखिर कब तक बकरे की माँ खैर मानेगी . आखिर में आरोपी पकडे जाने पर यही कहेंगे - मैं अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नहीं देखी,,,,वैसे भी अब मुदा सुलग उठा है धर्मशाला गैंगरेप के चलते एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा नहीं रचाया जाएगा क्योंकि इस बार भी युवा और विद्यार्थियो की शक्ति और उनकी एकता ,एक है .
लिखा जाएगा हिमाचल प्रदेश का नया ‘राजनितिक कांड’
जिस तरह से दिल्ली के बाद अब गैंगरेप का मामला हिमाचल प्रदेश के छोटे से शहर धर्मशाला में सामने आया है ,ये मामला भी दिल्ली की राजनीती की तरह ‘तख्ता पलट’ करवा सकता है जिसमे निसंदेह कोई संकोच नहीं है .क्यूंकि दिल्ली में 2012 की घटना के बाद ही राजनितिक गलियारों से हवा ने रुख विपक्ष की और मोड़ लिया था ,और शायद ये भी प्रकृति का ही कोई संकते था ,और धर्मशाला विश्वप्रसिद्घ होने के नाते इस तरह की घटना कलंकित करती है देव भूमि हिमाचल की छवि को . और धर्मशाला गैंगरेप मामले में आरोपियों के सर पर राजनीतीkक हाथ होने के कारण इस मामले की सुलग को दबाया जा रहा था ,और जब आरोपी सामने आएँगे तब यही कहलाया जाएगा - गवाह मेरे भाई का मित्र निकला, उसने उसे आँख मारी, अन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता। वैसे सम्भव है यदि इस मामले को राजनीती उठापठक के बीच बातों के आंकड़ो में  आँका जाता है तब भविष्य में हिमाचल प्रदेश की राजनीती में फेरबदल संभव है और उदहारण दिल्ली का आपके समक्ष है .