गीत तब होता है -2
शाम कई बार ढली
सुबह कई आई
तुम जगाती हो
तो गीत होता है
सुबह कई आई
तुम जगाती हो
तो गीत होता है
कई पहर गए
डूबा था सूरज
जो तुम सुलाती हो
तो गीत होता है
डूबा था सूरज
जो तुम सुलाती हो
तो गीत होता है
कलम पकड़ तो ली
चलना नहीं आया
जो तुम लिखाती हो
तो गीत होता है
चलना नहीं आया
जो तुम लिखाती हो
तो गीत होता है
आम की बौर सी
रंगीन तितली सी
जो तुम रिझाती हो
तो गीत होता है
रंगीन तितली सी
जो तुम रिझाती हो
तो गीत होता है
ये धडकनों का सफ़र
ये नयी बेचैनी
जो तुम उठाती हो
तो गीत होता है
ये नयी बेचैनी
जो तुम उठाती हो
तो गीत होता है
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