शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

song

गीत तब होता है -2
शाम कई बार ढली
सुबह कई आई
तुम जगाती हो
तो गीत होता है
कई पहर गए
डूबा था सूरज
जो तुम सुलाती हो
तो गीत होता है
कलम पकड़ तो ली
चलना नहीं आया
जो तुम लिखाती हो
तो गीत होता है
आम की बौर सी
रंगीन तितली सी
जो तुम रिझाती हो
तो गीत होता है
ये धडकनों का सफ़र
ये नयी बेचैनी
जो तुम उठाती हो
तो गीत होता है

कोई टिप्पणी नहीं: