शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

own writing

हम लिखते है क्योंकि 
कलम के हाथों मजबूर है 
किया जो तुमने वादा है खुद से 
हुए नहीं कांच की तरह चूर है 

उसकी चाहत में वेशक 
गिर गए थे हम 
फिर भी आज तक हुआ नहीं 
सन्नी तेरे प्यार में दिल बेईमान 

दिल्लगी नहीं की थी
हुई भूल जो प्यार कर लिया
इसी को उसने बीच महफ़िल
क्यों नीलाम कर दिया
आज आता ना ये दिन
हर चांदनी रात में देख चाँद को
उसकी ख़ुशी के लिए जाम भर लिया

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