शनिवार, 18 जुलाई 2015

first Monday of Sawan सावन का पहला सोमवार, विधि अनुसार करें व्रत तभी मिलेगा फल



सावन का पहला सोमवार, विधि अनुसार करें व्रत तभी मिलेगा फल


                       धार्मिक मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से हर व्रती को दु:ख, कष्ट और परेशानियों से छुटकारा मिलता है और वह सुखी, निरोगी और समृद्ध जीवन का आनन्द पाता है।और  20 जुलाई सावन का पहला सोमवार है , सावन माह में सोमवार को जो भी पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करता है वो शिव जी का विशेष आशीर्वाद पा लेता है। इस दिन व्रत करने से बच्चों की बीमारी दूर होती है, दुर्घटना और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है, मनचाहा जीवनसाथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंक होता है, सरकार से जुड़ी परेशानियों हल हो जाती हैं साथ ही भक्त को आध्यात्मिक उत्थान होता है।



कब-कब हैं सावन के सोमवार ?

                                    गणना के अनुसार 16 जुलाई को सूर्य संक्रांति के बाद सावन का पहला सोमवार  20 जुलाई, दूसरा 27 जुलाई, तीसरा 3 अगस्त, चौथा 10 अगस्त को पड़ेगा। सोमवार 17 अगस्त को भाद्रपद संक्रांति दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर आ जाने से 5 सोमवार हो जाएंगे।

                                   दूसरी गणना के अनुसार 31 जुलाई को गुरु पूर्णिमा व आषाढ़ी पूर्णिमा है। सावन 1 अगस्त से 29 अगस्त तक रहेगा। पहली अगस्त को श्रावण का कृष्ण पक्ष आरंभ होगा परंतु इस दिन शनिवार है, इसलिए श्रावण मास का पहला सोमवार 3 अगस्त  को पड़ेगा तथा शेष 10,17 ,24 तारीखों को होंगे। सावन का अंतिम दिन  29 अगस्त को राखी के त्यौहार पर होगा।

                                      इस मास के सोमवार पर उपवास रखे जाते हैं। कुछ श्रद्धालु 16 सोमवार का व्रत रखते हैं। श्रावण मास के मंगलवार के व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें सावन के महीने में मंगला गौरी का व्रत रखना फलदायक रहता है। सावन के महीने में सावन शिवरात्रि और हरियाली अमावस का भी अपना अलग महत्व है।


व्रत के नियम


                                      सावन के महिने में भगवान शिव को प्रसन्न व अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए सावन सोमवार का विशेष महत्व है। शिव की उपासना व व्रत करने की अगर विधि सही हो तो शिव जी जल्दी प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्त की मनचाही मनोकामना पूरी कर देते है। 


1. व्रतधारी को ब्रह्म मुर्हत में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए।

2. भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचिलत है।

3  तत्पश्चात ऊँ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।

4. मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र।

5. शिव-पार्वती की पूजा के बाद सावन के सोमवार की व्रत कथा करें।

6. आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें।

7. दिन में केवल एक समय नमक रहित भोजन ग्रहण करें।

8. श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं।

9.ज्योतिष शास्त्र में दूध को चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है। चंद्र ग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव पर दूध अर्पित करें।

10. समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन गाय का कच्चा दूध अर्पित करें। ताजा दूध ही प्रयोग में लाएं, डिब्बा बंद अथवा पैकेट का दूध अर्पित न करें।


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