सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

a women

नारी को कभी पैरों की जुती नहीं समझा गया नारी को कभी भोग्य की दृष्टि से नहीं देखा गया
जबकि इस देश में नारी इतनी महँ है की उसके बारे में वर्णन करते करते अल्फाज़ कम पड़ जाते है .
अगर नारी के परिचय का वर्णन करूँ तो पंक्तियाँ भी सुन्दरता धारण कर लेती है .नारी का परिचय इतना है ,यह भारत की तस्वीर है  ,मात्र भूमि पर मर मिटने वालों की पीर है ,यह उन वीरों की दुहिता है जो हस हस झुला झूल गए ,नारी उन शेरो की माता है जो रण प्रांगण में जूझ गए ,नारी जीजा की अमर सहेली ,पन्ना की प्रतिछाया है ,कृष्णा के कुल की मरियादा .लक्ष्मी की समसिर है,नारी का परिचय इतना है यह भारत की तस्वीर है ,कालीदास का अमर काव्य, नारी तुलसी की रामायण ..नारी अमर बोल है श्री गीता के जिसका घर घर होता परायण .नारी सूरदास के मधुर गीतों में मीरा का एक तारा है . नारी का परिचय इतना है यह भारत की तस्वीर है..


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