बुधवार, 25 जून 2014

1984













1 इंदिरा गांधी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप साबित हुए थे. उन्हें कुर्सी छोड़ने और छह साल तक चुनाव ना लड़ने का निर्देश मिला.
2 लेकिन इंदिरा गांधी ने अपनी ताकतवर छवि और गर्म मिजाज से इमरजेंसी का रास्ता निकाला.
3 25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी ने संविधान की धारा-352 के अनुसार आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी.
4 यह एक ऐसा समय था जब हर तरफ सिर्फ इंदिरा गांधी ही नजर आ रही थीं.
5 उनकी ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते देश में इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिराका नारा जोर शोर से गूंजने लगा.
6 लेकिन हाई कोर्ट के फैसले से इंदिरा गांधी की उस छवि को गंभीर धक्का पहुंचा जिसकी वजह से वह गरीबों की मसीहा थीं और हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की अगुआ मानी जाती थीं. बाद में 21 महीनों की इमरजेंसी को हटा इंदिरा गांधी ने सत्ता जनता के हाथों में दे दी.
7 विधिमंत्री सिद्धार्थशंकर रे ने आपातकाल का प्रस्ताव बनाया और राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को रात में ही जगाकर हस्ताक्षर करा लिये.
8 मंत्रिमंडल को भी इसका पता अगले दिन ही लगा. इस प्रकार 26 जून को देश में आपातकाल लग गया.
9 विरोधी दल के अधिकांश नेताओं तथा संघ के प्रमुख कार्यकर्ताओं को बंदी बना लिया गया. तब चन्द्रशेखर, रामधन, कृष्णकांत और मोहन धारिया भी कांग्रेस में थे. ये इंदिरा जी के इस रवैये के विरोधी थे. इन्हें युवा तुर्ककहा जाता था. इन्हें भी बंद कर दिया गया.
10 मीडिया पर सेंसर लगा दिया गया. देश एक ऐसे अंधकार-युग में प्रवेश कर गया, जहां से निकलना कठिन था.
11 इस तानाशाही के विरोध में लोक संघर्ष समितिबनायी गयी. इसके बैनर तले सत्याग्रह हुआ, जिसमें देश भर में डेढ़ लाख लोगों ने गिरफ्तारी दीं.
12 इंदिरा ने सबको बंदकर सोचा कि अब आंदोलन दब गया है. उन्होंने लोकसभा के चुनाव घोषित कर दिए, पर संघ अंदरखाने पूरी तरह सक्रिय था. जेल में बंद नेताओं से तुंरत सम्पर्क कर जनता पार्टीके बैनर पर चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया. अधिकांश बड़े नेता तो हिम्मत हार चुके थे, पर जब उन्होंने जनता का उत्साह देखा, तो वे राजी हो गये.इंदिरा गांधी की भारी पराजय हुई.

भारत में आपातकाल की यादें


 सुनील कुमार हिमाचली

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