चंडीगढ़(सुनील ) गणतंत्र यानी जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा..... गणतं त्र दिवस अर्थात जनता का राष्ट् रीय पर्व,परन्तु क्या आम जनता अ पने इस राष्ट्रीय त्यौहार को उत ने ही उत्साह के साथ मनाती है ज ितने उत्साह से देश में होली,दि वाली जैसे धार्मिक सामाजिक पर्व मनाये जाते हैं ? वैसे भी गणतंत्र दिवस का अपना व िशेष महत्त्व है ! 2014में भी देश अपनी आज़ादी और उ सके बाद हुए व्यवस्था परिवर्तन की खुशियाँ मनाने की तैयारियों में जुटा है .गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले इस सालाना जलसे मे राजपथ प र देश भर से आये कलाकार, सैनिक और स्कूली बच्चे अपनी कला के रं ग बिखेरेंगे और सरहदों की हिफा ज़त करने वाली सेनाओं के जवान अप नी ताकत और जोश के जरिये एक बार फिर हमें इस बात का विशश्वास द िलाएंगे की हमारादेश पूरी तरह सुरक्षित है !
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बडा लिखित संविधान है। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्द्रीय कार्यपालिका कासांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्द्रीय संसद की परिषद् में राष्ट्रपति तथा दो सदन है जिन्हें राज्यों की परिषद्राज्यसभा तथा लोगों का सदन लोकसभा के नाम सेजाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रमुख प्रधानमन्त्री होगा, राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद्की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोगों के सदन (लोक सभा) के प्रतिउत्तरदायी है। प्रत्येक राज्य में एक विधानसभा है। जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में एक ऊपरी सदन है जिसे विधानपरिषद् कहा जाता है। राज्यपाल राज्य का प्रमुख है।प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा तथा राज्य की कार्यकारी शक्ति उसमें विहित होगी। मंत्रिपरिषद्, जिसका प्रमुख मुख्यमन्त्री है, राज्यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्पादन में सलाह देती है। राज्य कीमंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से राज्य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।संविधान की सातवीं अनुसूची में संसद तथा राज्य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ संसदमें विहित हैं। केन्द्रीय प्रशासित भू- भागों को संघराज्य क्षेत्र कहा जाता है।
26 जनवरी, 1950 को भारत देश के संविधान को लागू किया गया.तब से आज तक इस दिन को देश गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है .26 जनवरी आजादी से पहले भी देश के लिए एक अहम दिन था.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था . इसके साथ एक और महत्वपूर्ण फैसला इस अधिवेशन के दौरान लिया गयाकि प्रतिवर्ष 26 जनवरी कादिन “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाएगा . इस दिन सभी स्वतंत्रता सेनानी पूर्ण स्वराज का प्रचार करेंगे ! भारतीय संविधान के वास्तुकार, भारत रत्न से अलंकृत डॉ। भीमरा व अम्बेडकर समिति के अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान के निर्माता ओं ने विश्व के अनेक संविधानों के अच्छे लक्षणों को अपने संवि धान में आत्मसात करने का प्रयास किया है। इस दिन भारत एक सम्पू र्ण गणतान्त्रिक देश बन गया।इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिन कहलाया गया। 211 विशेषज्ञों के द्वारा दो साल ग्यारह महीने और 18 दिनों में भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था !
25 नवम्बर 1949 को देश के सँवि धान को मंजूरी मिली.24 जनवरी 1950 को सभी सांसदों और विधायको ने इस पर हस्ताक्षर किए और इस के दो दिन बाद ही 26 जनवरी 1950 को सँविधान लागू कर दिया ग या. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश को पहले राष्ट्रपति बने !तब से 26 जनवरी,1950का दिन भारत के लिए विशेष महत्व रखता है !26 जनवरी का दिन भारत के साथ ही साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए खास महत्व रखता है.ऑस्ट्रेलिया में 26 जनवरी को आधिकारिक राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया है. 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया डे भी कहा जाता है. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री इस मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं. यह दिन ऑस्ट्रेलियामें ब्रिटिश उपनिवेश के आरंभ को दर्शाता है. जिस गणतंत्र ने हमें अभिव्यक्ति की आजादी, कहीं भी रहने और घूमने की आजादी और अन्य अधिकार दिए थे उसे हम याद ही नहीं रख पाए. आज लोग अपने अधिकारोंके लिए तो लड़ते हैं लेकिन अपने कर्तव्यों से दूर भागते हैं और यही वजह है.आज 64 साल बाद भी देश गणतंत्र होने के बावजूद भ्रष्टाचार, महंगाई और सामाजिक बुराइयों में फंसा हुआ है !
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