बुधवार, 5 दिसंबर 2018

हिंदुस्तानी हम,दुनिया में बसने वाला इंसान हमें प्यारा है

हिंदुस्तानी हम, ये लाहौर भी हमारा है
पाकिस्तान, अफगानिस्तान ही क्या ?
दुनिया में बसने वाला इंसान हमें प्यारा है.

शब्दों में ऐसी जटिलता देखी है
जुबां पर काटिलता देखी है
कब होगा एक ये जहान
जहाँ जिस्म की चमड़ी भिन्न है
पर जाती है साँस रुकने से ही सबकी जान
हिंदुस्तानी हम , ये लाहौर भी हमारा है
पाकिस्तान, अफगानिस्तान ही क्या ?
दुनिया में बसने वाला इंसान हमें प्यारा है. 


शरहदों पर शहीद होते हैं रोज़ बेटे
जालिम देश की कोख में लेटे
हुक्मरानों की एक ही आवाज़
सम्प्रदाय और जातिवाद -
अब कैसे होगी आवाम आबाद ?
दो जिस्म - एक जान सी महोब्बत नहीं

नस्ल, लिंग का भेद ही भरा पड़ा है
फिर क्यों रेप से पहले जाति पूछी नहीं जाती
क्यों हैवानियत का हैवान भरा पड़ा है

दोनों मुल्खों में एक ही माया
जो बदल रही है 47 से अपनी काया
बना पड़ा है गुस्से से, हर जिस्म बम का गोला
अब तो वहम न कर, थोड़ा रहम ही कर
हिंदुस्तानी हम , ये लाहौर भी हमारा है
पाकिस्तान, अफगानिस्तान ही क्या ?
दुनिया में बसने वाला इंसान हमें प्यारा है.

धरा हुआ करती थी धर्म की, विजय था प्यार जहाँ
अब कल तक धूमिल हो जाएगी इंसानियत यहाँ ?
चल, मोह-माया छोड़, इंसान की हैसियत तो पढ़
आ गई समझ, तो कबूल कऱ लेना
हिंदुस्तानी हम, ये लाहौर भी हमारा है
पाकिस्तान, अफगानिस्तान ही क्या ?
दुनिया में बसने वाला इंसान हमें प्यारा है.